06 July 2011

चलते जाना ही है

राह में आती हैं
बाधाएं अनेकों
उनको तो आना ही है
फर्ज़ अपना निभाना ही है

बंद हों रास्ते
भले ही आने और जाने के
पीछे खाई और आगे कुआं
ही क्यों न हो
चलने वालों को तो
चलते  जाना ही है
रास्ता कोई निकालना ही है

फिर मैं क्यों रुकूँ
तुम्हारे पत्थरों की बारिश में
इनको फूल समझ कर
सहेजता चल रहा हूँ
कि  कल जब तुम आओ
तो मैं ये कह सकूँ
निशाँ कितने ही  दो
मुझको तो मुस्कुराना ही है

इस राह पर यूँ ही
चलते जाना ही है.


39 comments:

  1. निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है
    इस राह पर यूँ ही
    चलते जाना ही है.

    बहुत खुबसूरत रचना दोस्त जी |:)

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  2. तुम्हारे पत्थरों की बारिश में
    इनको फूल समझ कर
    सहेजता चल रहा हूँ
    कि कल जब तुम आओ
    तो मैं ये कह सकूँ
    निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है
    bahut sundar bhavabhivyakti

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  3. चलना ही ज़िन्दगी है।

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  4. फिर मैं क्यों रुकुं
    तुम्हारे पत्थरों की बारिश में
    इनको फूल समझ कर
    सहेजता चल रहा हूँ
    कि कल जब तुम आओ
    तो मैं ये कह सकूँ
    निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है

    जज्बा ऐसा ही होना चाहिए हर इंसान का जिसे मस्ती से जीना है उसे कहाँ परवाह, कौन पत्थर से स्वागत करता है कौन फूलों से ... बहुत सुंदर कविता !

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  5. चलते जाना ही जीवन है ... फिर चाहे पत्थर हो या फूल ... और मुस्कुराना भी है ... अच्छी रचना है ...

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  6. चलने का नाम ही जीवन है ....
    बंद हों रास्ते
    भले ही आने और जाने के
    पीछे खाई और आगे कुआं
    ही क्यों न हो
    चलने वालों को तो
    चलते जाना ही है
    बहुत सुन्दर रचना..... बेहतरीन प्रस्तुति

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  7. फिर मैं क्यों रुकुं
    तुम्हारे पत्थरों की बारिश में ||

    बेहतरीन प्रस्तुति

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  8. bahut achchhe bhav -chalte jana hai .badhai

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  9. चरैवेति का संदेश देती सार्थक रचना...

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  10. जो राह चुनी तूने... उस राह में राही चलते जाना रे !
    चाहे जितनी हो लंबी रात ...दिया बन जलते जाना रे ! उस राही में रही चलते जाना रे !
    बहुत सुंदर...

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  11. उम्मीदों भरी कविता
    इनको फूल समझ कर
    सहेजता चल रहा हूँ
    कि कल जब तुम आओ
    तो मैं ये कह सकूँ
    निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है
    सुंदर पंक्तियाँ
    बधाई
    रचना

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  12. फिर मैं क्यों रुकुं
    तुम्हारे पत्थरों की बारिश में
    इनको फूल समझ कर
    सहेजता चल रहा हूँ
    कि कल जब तुम आओ
    तो मैं ये कह सकूँ
    निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है

    इस राह पर यूँ ही
    चलते जाना ही है.
    Behad khoobsoorat panktiyan!

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  13. राह में आती हैं
    बाधाएं अनेकों
    उनको तो आना ही है
    फर्ज़ अपना निभाना ही है

    Bahut Sunder...Prabhavit karati panktiyan

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  14. फिर मैं क्यों रुकुं
    तुम्हारे पत्थरों की बारिश में
    इनको फूल समझ कर
    सहेजता चल रहा हूँ
    कि कल जब तुम आओ
    तो मैं ये कह सकूँ
    निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है


    काव्यमय सुन्दर वैचारिक प्रस्तुतिकरण...

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  15. सुंदर सकारात्मक अभिव्यक्ति. यदि अन्यथा न लें तो रुकुं को सुधार कर रुकूँ कर लें.बैक ग्राऊंड म्युजिक के साथ पढ़ने का मजा दुगुना हो गया.

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  16. बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  17. आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!

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  18. बहुत ही सुन्दर ||

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  19. निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है

    सुंदर पंक्तियाँ

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  20. फिर मैं क्यों रुकूँ
    तुम्हारे पत्थरों की बारिश में
    इनको फूल समझ कर
    सहेजता चल रहा हूँ
    कि कल जब तुम आओ
    तो मैं ये कह सकूँ
    निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है

    बहुत खूबसूरत........यही बात तो जीवन का मूलमंत्र है |

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  21. वाह ...बहुत ही अच्‍छा लिखा है ।

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  22. "फिर मैं क्यों रुकूँ
    तुम्हारे पत्थरों की बारिश में
    इनको फूल समझ कर
    सहेजता चल रहा हूँ
    कि कल जब तुम आओ
    तो मैं ये कह सकूँ
    निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है "


    बेहद motivate करने वाले कविता है ..... :)

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  23. निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है

    ...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  24. बेहतरीन रचना,बहुत सुन्दर

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  25. काफी उम्मीदों से भरी हुई प्रेरणादायक रचना

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  26. जहाँ चाह वहाँ राह. अच्छी अभिव्य्क्ति.

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  27. तो मैं ये कह सकूँ
    निशाँ कितने ही दो
    मुझको तो मुस्कुराना ही है


    बहुत सुन्दर भाव ..सकारात्मक सोच लिए हुए

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  28. Life goes on and on...
    beautiful writing !!

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  29. जीवन जीने का बेहद सकारात्मक नज़रिया ...... शुभकामनायें !

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  30. कल शनिवार (०९-०७-११)को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा होगी नयी-पुराणी हलचल पर |कृपया आयें और अपने शुभ विचार दें ..!!

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  31. प्यारी सी है कविता और ब्लॉग खोलते ही जो म्यूजिक बजा वह भी पसंद आया.

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  32. chahe kuchh bhi ho bas chalte jana hai....bahut sundar

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  33. उम्दा रचना ..बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .. टचिंग

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  34. Vaah , kamal likha hai .aapko aabhar

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  35. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

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  36. चलने वालों को तो
    चलते जाना ही है
    रास्ता कोई निकालना ही है
    यह आत्मविश्वास ही तो है जो हमें चलाये रखता है. सुन्दर रचना
    सादर
    मंजु

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