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20 July 2011

कब तक चलना है

कब तक चलना है
इस राह पर
जिस के हर कदम पर
आशाओं की मृग मरीचिका
दिखती है
आखिर कब तक
भ्रम की इस बुनियाद को
देखुंगा
और हँसता रहूँगा
खुश होता रहूँगा
रहस्य के खुलने का एहसास
हो चुका है मुझे
बस इंतज़ार है
सच के बाहर निकलने का
एक ऐसा सच
जिसके बाहर आते ही
शीशे के अनगिनत
टुकड़ों की तरह
बिखर जाऊंगा
मेरे अवशेषों पर
कदम ताल करने वालों को
भान भी न होगा
कि कभी मेरा अस्तित्व भी था।

31 comments:

  1. अस्तित्व... एक अनसुलझी पहेली जितना सुलझाने की कोशिश करो उलझती ही जाती है...
    गहन भाव... मर्मस्पर्शी रचना...

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  2. सच तो एक -न -एक दिन बाहर आ ही जाती है गंभीर रचना

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  3. मेरे अवशेषों पर
    कदम ताल करने वालों को
    भान भी न होगा
    कि कभी मेरा अस्तित्व भी था।
    ह्रदय के उद्गार बहुत व्यथित हो प्रगट हुए हैं सुन्दर भावाभिव्यक्ति बधाई यशवंत जी

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  4. मेरे अवशेषों पर
    कदम ताल करने वालों को
    भान भी न होगा
    कि कभी मेरा अस्तित्व भी था



    बहुत ही जीवंत रचना है.....
    बधाई.....

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  5. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 21 - 07- 2011 को यहाँ भी है

    नयी पुरानी हल चल में आज- उसकी आँखों में झिल मिल तारे -

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  6. कब तक चलना है
    इस राह पर
    जिस के हर कदम पर
    आशाओं की मृग मरीचिका...बहुत सुन्दर भाव रचना शब्दों और ्भावो का अच्छा ताल मेल...

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  7. isi sawal ka jawab to ham sabhi dund rahe hai.... sunder rachna....

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  8. बहुत बढ़िया रचना!

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  9. एक ऐसा सच
    जिसके बाहर आते ही
    शीशे के अनगिनत
    टुकड़ों की तरह
    बिखर जाऊंगा

    वजूद के अस्तित्व को कहती अच्छी रचना ...

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  10. आशा और निराशा जिंदगी के दो पहलू है। इसके बिना जिंदगी नही। सुंदर रचना।

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  11. बहुत सुंदर ...भाव और शब्द दोनों...

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  12. यशवंत जी गहन भावों को प्रकट किया है आपने .आभार

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  13. बहुत सुन्दर गंभीर भाव रचना बधाई

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  14. What actually is life--- greatly and profoundly revealed.

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  15. बहुत गहन अभिव्यक्ति ....
    ''जीवन केरा बुदबुदा अस मानुस की जात ''
    बहुत सुंदर रचना ....

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  16. अच्छी रचना है शुभकामनाएं।

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  17. और जब अपने अस्तित्व का अहसास खुद को नहीं होगा तभी एक नए जीवन की शुरुआत होगी....

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  18. वाह ...बहत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

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  19. गहन जीवन दर्शन है आपकी इस रचना में....

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  20. वाह........यशवंत जी वाह....हैट्स ऑफ........अभूत दिल को छू लेने वाली बात कही है आपने........शानदार |

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  21. यशवंत भाई अब कशमकश से बाहर निकालने का समय है|

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  22. अस्तित्व की पहचान युगों युगों से एक यक्ष प्रश्न ....बहुत ही गहन भाव युक्त दार्शनिक चिंतन की परिचायक रचना...बधाईयां एवं शुभ कामनाएं !!!

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  23. bahut sundar rachna ..antardavand aisa hi hota hai..

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  24. बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया यशवंत जी.....

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  25. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

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  26. कम शब्‍दों में गहरी बात......यशवंत भाई

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  27. मेरे अवशेषों पर
    कदम ताल करने वालों को
    भान भी न होगा
    कि कभी मेरा अस्तित्व भी था।
    bahut hi sundar rachna ,aapki dil se aabhari hoon nahi to mujhe khabar hi nahi hoti ki ek purani rachna kahi sarahi gayi hai ,main ek pal ko yakin nahi kar paa rahi thi ,ek baar phir shukriyaan .

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