शाम के वक़्त
जब आता है नलों मे पानी
हलचल सी दिखती है
हर तरफ
कहीं धुलने लगते हैं कपड़े
हाथों से
वॉशिंग मशीनों से
कहीं धुलती हैं कारें
प्यासे पौधों को
मिलने लगता है
नया जीवन
दिन की गर्मी से बेहोश
धरती पर
होने लगता है छिड़काव
सोंधी सोंधी सी महक
कराती है एहसास
होश मे आने का
होश मे आ जाती है धरती
पानी का छिड़काव पाकर
मगर मैं
अब भी बेहोश हूँ
क्योंकि
मेरे घर की छत पर लगी टंकी
ढुलकाती रहती है
अनमोल धार
पूरी भर जाने के बाद भी
नलों मे
पानी के आने से लेकर
चले जाने तक।
जब आता है नलों मे पानी
हलचल सी दिखती है
हर तरफ
कहीं धुलने लगते हैं कपड़े
हाथों से
वॉशिंग मशीनों से
कहीं धुलती हैं कारें
प्यासे पौधों को
मिलने लगता है
नया जीवन
दिन की गर्मी से बेहोश
धरती पर
होने लगता है छिड़काव
सोंधी सोंधी सी महक
कराती है एहसास
होश मे आने का
होश मे आ जाती है धरती
पानी का छिड़काव पाकर
मगर मैं
अब भी बेहोश हूँ
क्योंकि
मेरे घर की छत पर लगी टंकी
ढुलकाती रहती है
अनमोल धार
पूरी भर जाने के बाद भी
नलों मे
पानी के आने से लेकर
चले जाने तक।
waah ji waah...
ReplyDeletebahut khoob...
:)
ReplyDeletepaani amoolya hai isko brbaad nahi hone dena chahiye.apne man ke bhaavon ko achche se prastut kiya hai aapne.saarthak rachna.
ReplyDeleteपानी अनमोल है इसके बारे में बहुत ही खुबसूरत पंक्तियाँ .......
ReplyDeleteहोश में आना ही होगा.सुंदरता से अपनी बात कही है.
ReplyDeleteसुन्दर संदेश सरल शब्दों में . मैं भी सोचती हूँ सभी बेहोश कैसे रहते है वो भी पानी के लिए .
ReplyDeleteबहुत कुछ कह दिया इन एहसासों की बारिश से ...
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत एहसास....
ReplyDeletebhaut hi acchi....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया । पानी अनमोल है ...
ReplyDeletearey waah nal ke pani par itni achhi rachna...
ReplyDeleteइसे कहते हैं सार्थक एवं सदुपयोगी कविता।
ReplyDeleteबधाई।
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क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
जल है तो जीवन है।ये बात हमे याद रखनी है।
ReplyDeleteसार्थक रचना।
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteबिन पानी सब सून ! होश में आना ही होगा, पानी की हर बूंद कीमती है...
ReplyDeletesunder rachna ......
ReplyDeleteआप की अभिव्यक्ति ने 'जल है तो जहान है.'इस कथन को साकार रुप दे दिया....बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteमाफ़ कीजिये मुझे कुछ मज़ा नहीं आया इस पोस्ट में .........आपके ब्लॉग के के लायक नहीं लगी ये पोस्ट|
ReplyDeleteबड़ी खूबसूरती से शब्द दिए...सुन्दर भाव..बधाई.
ReplyDeleteYashwant jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
ReplyDeleteआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
बिलकुल सहमत हूँ ..पानी तो अनमोल है ही ..... शुभकामनायें !
ReplyDeleteअच्छा चित्रण किया...
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