11 September 2011

पानी आने पर....

शाम के वक़्त
जब आता है नलों मे पानी
हलचल सी दिखती है
हर तरफ
कहीं धुलने लगते हैं कपड़े
हाथों से
वॉशिंग मशीनों से
कहीं धुलती हैं कारें
प्यासे पौधों को
मिलने लगता है
नया जीवन
दिन की गर्मी से बेहोश
धरती पर
होने लगता है छिड़काव
सोंधी सोंधी सी महक
कराती है एहसास
होश मे आने का

होश मे आ जाती है धरती
पानी का छिड़काव पाकर
मगर मैं
अब भी बेहोश हूँ
क्योंकि
मेरे घर की छत पर लगी टंकी
ढुलकाती रहती है
अनमोल धार
पूरी भर जाने के बाद भी
नलों मे
पानी के आने से लेकर
चले जाने तक।

23 comments:

  1. paani amoolya hai isko brbaad nahi hone dena chahiye.apne man ke bhaavon ko achche se prastut kiya hai aapne.saarthak rachna.

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  2. पानी अनमोल है इसके बारे में बहुत ही खुबसूरत पंक्तियाँ .......

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  3. होश में आना ही होगा.सुंदरता से अपनी बात कही है.

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  4. सुन्दर संदेश सरल शब्दों में . मैं भी सोचती हूँ सभी बेहोश कैसे रहते है वो भी पानी के लिए .

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  5. बहुत कुछ कह दिया इन एहसासों की बारिश से ...

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  6. बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति .....

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  7. बहुत ही खुबसूरत एहसास....

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  8. बहुत बढ़िया । पानी अनमोल है ...

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  9. arey waah nal ke pani par itni achhi rachna...

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  10. जल है तो जीवन है।ये बात हमे याद रखनी है।
    सार्थक रचना।

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  11. वाह ...बहुत ही बढि़या ।

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  12. बिन पानी सब सून ! होश में आना ही होगा, पानी की हर बूंद कीमती है...

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  13. आप की अभिव्यक्ति ने 'जल है तो जहान है.'इस कथन को साकार रुप दे दिया....बहुत सुन्दर...

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  14. माफ़ कीजिये मुझे कुछ मज़ा नहीं आया इस पोस्ट में .........आपके ब्लॉग के के लायक नहीं लगी ये पोस्ट|

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  15. बड़ी खूबसूरती से शब्द दिए...सुन्दर भाव..बधाई.

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  16. Yashwant jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
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  17. बिलकुल सहमत हूँ ..पानी तो अनमोल है ही ..... शुभकामनायें !

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  18. अच्छा चित्रण किया...

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