17 September 2011

कुछ लिखना है

कुछ लिखना है
किसी के लिये
एक वादे के लिये
जो अभी अभी किया है
किसी से।
वो कहीं दूर
कर रहा है इंतज़ार
मेरे गुमनाम शब्दों का
न जाने क्यों?
न कोई चाह;
न कोई इच्छा ;
न कोई स्वार्थ;
फिर भी अक्सर
मन के दरवाजे पर
एक दस्तक देकर
वो  
पकड़ा देता है
एक विषय
और कहता है
कुछ लिखो
असमर्थ सा हूँ
कल्पनाशक्ति के
उस पार जाने मे
फिर भी सोच रहा हूँ
कुछ लिखने को
उस वादे के लिए
जो अभी अभी किया है
किसी से।

36 comments:

  1. बस ऐसे ही वादे पूरे होते रहें ज़िन्दगी सहज हो जायेगी .... शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब...यह है आज की कविता का कमाल...कवि मन सादगी से अपने मन के भाव अभिव्यक्त कर देता है...

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||

    आपको हमारी ओर से

    सादर बधाई ||

    ReplyDelete
  4. लेखन चलता रहे इससे अच्छा क्या है.... सुंदर कविता ....

    ReplyDelete
  5. गुमनाम शब्दों क इन्तजार कर रह है कोई ...
    लिखने की सार्थक और अधिक हो जति है , जब कोइ बेचैनी से पढ्न चाहत है ...
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  6. अच्छी पंक्तिया लिखी है बधाई

    ReplyDelete
  7. कम शब्दों में सुन्दर अभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
  8. वादा किया है तो निभाना तो पड़ेगा ही ... खूबसूरती से लिखा है ...

    ReplyDelete
  9. http://premchand-sahitya.blogspot.com/

    यदि आप को प्रेमचन्द की कहानियाँ पसन्द हैं तो यह ब्लॉग आप के ही लिये है |

    यदि यह प्रयास अच्छा लगे तो कृपया फालोअर बनकर उत्साहवर्धन करें तथा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें |

    ReplyDelete
  10. http://premchand-sahitya.blogspot.com/

    यदि आप को प्रेमचन्द की कहानियाँ पसन्द हैं तो यह ब्लॉग आप के ही लिये है |

    यदि यह प्रयास अच्छा लगे तो कृपया फालोअर बनकर उत्साहवर्धन करें तथा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें |

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर वादा..दिल से निभाया..सुभकामनाए~..

    ReplyDelete
  12. antaraatma isi tarah prerit karti hai kuch likhne ke liye.man ke bhaavon ko achche shabdon me dhala hai.aur aabhar itna pyara music blog par lagaane ke liye.

    ReplyDelete
  13. असमर्थ सा हूँ
    कल्पनाशक्ति के
    उस पार जाने मे
    फिर भी सोच रहा हूँ
    कुछ लिखने को
    उस वादे के लिए
    जो अभी अभी किया है
    किसी से।

    बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  14. वाडे को निभाना है
    मन को उतारना है
    शब्दों के हमसफ़र के लिए ...

    ReplyDelete
  15. कविमन की भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  16. कल्पनाशक्ति के
    उस पार जाने मे
    फिर भी सोच रहा हूँ
    कुछ लिखने को
    उस वादे के लिए
    जो अभी अभी किया है
    किसी से।

    एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती सुंदर कविता !

    ReplyDelete
  17. वायदा निभाते रहना .....

    ReplyDelete
  18. बढ़िया प्रस्तुति...
    सादर बधाई...

    ReplyDelete
  19. बहुत ही खुबसूरत पंक्तिया....

    ReplyDelete
  20. वादा तो निभाना ही चाहिए .....

    ReplyDelete
  21. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  22. कभी कभी लिखना बहुत मुश्किल हो जीता है ... मैंने भी किया है महसूस !

    ReplyDelete
  23. अपने वादे को निभाते रहें और इसी तरह कुछ लिख लिख कर हमें पढ़वाते रहें... सुंदर कविता !

    ReplyDelete
  24. कुछ लिखना है
    किसी के लिये
    एक वादे के लिये
    जो अभी अभी किया है
    किसी से।
    वो कहीं दूर
    कर रहा है इंतज़ार
    मेरे गुमनाम शब्दों का

    बहुत बारीक-सी कहन...मन को छूने वाली...

    ReplyDelete
  25. लिखने का वादा..जीवन की आशा..प्रेरक रचना..आभार.

    ReplyDelete
  26. लिखने वाले को तो बस विषय की तलाश रहती है और को है जो आपको विषय सुझा रहा है तो फिर हिचक कैसी बस लिखते रहिये|

    ReplyDelete
  27. ऐसे वादों को निभाना ही अच्छा होता है ... जीवन के वादे है ये ...

    ReplyDelete
  28. भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  29. लेखनी अविराम चलती रहे!

    ReplyDelete
  30. क्या बात है
    आपको पढना एक सुखद अनुभव है।

    ReplyDelete
  31. आपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
    जय माता दी..

    ReplyDelete
  32. आपको नवरात्रि की ढेरों शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  33. भावपूर्ण रचना///

    ReplyDelete