28 September 2011

उसका जीवन....

रोज़ पीठ पर बोझा लादे
वो दिख जाता है
किसी दुकान पर
पसीने से तर बतर
उसके चौदह बरस के शरीर पर
बदलते वक़्त की खरोचें
अक्सर दिख जाती हैं
कभी बालू ,सीमेंट ,गिट्टी
और कभी अनाज के बोरों
से निकलने वाली धूल
उसके जिस्म से चिपकती है
जन्मों के साथ की तरह
और जब उसका हमउम्र
उस दुकानदार का बेटा
मुँह मे चांदी की चम्मच
आँखों मे रौब का
काला चश्मा लगाए
खुद को खुदा समझ कर
उसे चिढ़ाता है
मैं देखता हूँ
मंद मंद मुस्कुराती हुई  
उसकी चमकती हुई सी
आँखों को
कुछ कहने को आतुर
पर शांत से होठों को
वो इसमे भी बहुत खुश है
संतुष्ट है इस जीवन से
क्योंकि
शायद यही उसका जीवन है 
पर एक आशा भी है उसके साथ
एक आशा
जो रोज़ रात को टिमटिमाती है
स्ट्रीट लाइट की मंद रोशनी मे
उसकी झोपड़ी के बाहर
जब वो सीख रहा होता है
कुछ पाठ
कूड़े के ढेर मे पायी
किसी गुमनाम की किताब से।

31 comments:

  1. बहुत खूब ... बहुत ही संवेदनशील रचना .. समाज की डिस्पेरीटी को प्रभावी से उजागर किया है ...

    ReplyDelete
  2. सहज रूप से भावों में उतार दिया . शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  3. और जब उसका हमउम्र
    उस दुकानदार का बेटा
    मुँह मे चांदी की चम्मच
    आँखों मे रौब का
    काला चश्मा लगाए
    खुद को खुदा समझ कर
    उसे चिढ़ाता है
    मैं देखता हूँ

    सुन्दर प्रस्तुति ||
    माँ की कृपा बनी रहे ||

    http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/09/blog-post_26.html

    ReplyDelete
  4. मजदुर बालक की जीवनी को बहुत ही मर्म रूप से प्रस्तुत
    किया है आपने .
    बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है .

    ReplyDelete
  5. बहुत ही संवेदनशील रचना ..भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  6. बहुत बढ़िया!
    आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की मंगलकामनाएँ!

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुन्दर भाव भर दिए हैं पोस्ट में........शानदार| नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  8. मजदुर बालक की जीवनी को बहुत ही मर्म रूप से प्रस्तुत
    किया है आपने .
    बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है .

    ReplyDelete
  9. बहुत ही खुबसूरत से इतनी गहरी बात इतने सहज शब्दों में रख दी आपने.... मार्मिक और भावपूर्ण रचना.......

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर चित्रण.
    आपकी कलम को सलाम .

    ReplyDelete
  11. चर्चा-मंच पर हैं आप

    पाठक-गण ही पञ्च हैं, शोभित चर्चा मंच |

    आँख-मूँद के क्यूँ गए, कर भंगुर मन-कंच |


    कर भंगुर मन-कंच, टिप्पणी करते जाओ |

    प्रस्तोता का करम, नरम नुस्खा अपनाओ |


    रविकर न्योता देत, द्वार पर सुनिए ठक-ठक |

    चलिए रचनाकार, लेखकालोचक-पाठक ||

    शुक्रवार

    चर्चा - मंच : 653

    http://charchamanch.blogspot.com/

    ReplyDelete
  12. very sentimental.. touched my heart.
    well composed !!!

    ReplyDelete
  13. संवेदनशील रचना ..भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर संवेदनशील रचना !

    ReplyDelete
  15. मन को छू गई यह प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  16. जो जिस हांल में भी है खुदा ने रहमत की है कि वह उस हांल में भी खुश रह सकता है ...अब कोई यही ठान ले कि हमें तो रोना ही है तो महल भी उसे हंसा नहीं सकते... बहुत गहराई से इस अहसास को जगाती कविता..

    ReplyDelete
  17. बहुत सुंदर रचना है यशवंत जी
    बहुत अच्छे से समझा है आपने बच्चों की दिक्कतों को

    ReplyDelete
  18. बहुत सुन्दर भाव ...नवरात्रि की शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  19. बहुत बढ़िया ...संवेदनशील रचना

    ReplyDelete
  20. स्थिति परिस्थिति को संवेदनशीलता के साथ उकेरा है!

    ReplyDelete
  21. बाल शरम को रौशनी में लाती अप्रतिम रचना मार्मिक कठोर यथार्थ से रु -बा -रु .

    ReplyDelete
  22. बहुत ही संवेदनशील रचना ......... शुभकामनाएँ !

    ReplyDelete
  23. सर्वप्रथम नवरात्रि पर्व पर माँ आदि शक्ति नव-दुर्गा से सबकी खुशहाली की प्रार्थना करते हुए इस पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनायें। बाल-मजदूरी पर लिखी सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  24. man ke dharatal ko choone vaali shreshth prastuti.

    ReplyDelete
  25. ग़रीब बचपन का सशक्त चित्रण....बेमिशाल रचना.
    दुर्गा-पूजा की शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  26. संवेदनाओं को झकझोरती,भावुक करती...मर्मस्पर्शी रचना...

    ReplyDelete
  27. यशवंत,
    उम्दा. संवेदनशील.
    आशीष
    --
    लाईफ?!?

    ReplyDelete
  28. यशवंत माथुर जी सुन्दर भाव रचना मन को छू गयी ..ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  29. यशवंत माथुर जी सुन्दर भाव रचना मन को छू गयी ..ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  30. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

    ReplyDelete
  31. बहुत गहरी बात कह गये.

    ReplyDelete