आईने मे आज फिर
अपना चेहरा देखा
कल किसी ने
इसे बेदाग कहा था
और मुझे घेर दिया था
गहरी सोच मे
क्या यह सचमुच बेदाग है?
क्या बदलते वक़्त के साथ
बीतती उम्र के साथ
वही कोमलता बाकी है?
नहीं!
नहीं हूँ मैं बे दाग
तमाम चोटों के
खरोचों के निशान
इसकी गवाही दे रहे हैं ।
खुद को ज़मीन जैसा पाता हूँ मैं
अपने पैरों तले
जिसे कुचल कर
चोटें दे देकर
वक़्त बढ़ता चला जा रहा है
चलता चला जा रहा है
अपनी राह
उम्र के बढ्ने के साथ
पुराने होते चोटों के निशान
अब भी दिख रहे हैं
आईने मे
और आने वाली चोटें
तलाश रही हैं अपनी जगह
मेरे चेहरे पर !
अपना चेहरा देखा
कल किसी ने
इसे बेदाग कहा था
और मुझे घेर दिया था
गहरी सोच मे
क्या यह सचमुच बेदाग है?
क्या बदलते वक़्त के साथ
बीतती उम्र के साथ
वही कोमलता बाकी है?
नहीं!
नहीं हूँ मैं बे दाग
तमाम चोटों के
खरोचों के निशान
इसकी गवाही दे रहे हैं ।
खुद को ज़मीन जैसा पाता हूँ मैं
अपने पैरों तले
जिसे कुचल कर
चोटें दे देकर
वक़्त बढ़ता चला जा रहा है
चलता चला जा रहा है
अपनी राह
उम्र के बढ्ने के साथ
पुराने होते चोटों के निशान
अब भी दिख रहे हैं
आईने मे
और आने वाली चोटें
तलाश रही हैं अपनी जगह
मेरे चेहरे पर !
उम्र के बढ्ने के साथ
ReplyDeleteपुराने होते चोटों के निशान
अब भी दिख रहे हैं
आईने मे
और आने वाली चोटें
तलाश रही हैं अपनी जगह
मेरे चेहरे पर !
उम्र का हर दौर कुछ नया और अर्थपूर्ण ज़रूर लाता है .....सुंदर रचना ...जन्मदिन की शुभकामनायें ...
हैप्पी बर्थ डे टू यू यशवंत भैया ...पता है आप भी मुझे सेम टू यू कह सकते :)
ReplyDeleteवक़्त की लकीरें होती हैं चेहरे पर... बहुत ही गहरे एहसास हैं
ReplyDeleteशानदार.....बेहतरीन.........हैट्स ऑफ इसके लिए |
ReplyDeleteचैतन्य की टिप्पणी के अनुसार शायद आपका जन्मदिन है आज........अगर वाकई ऐसा है तो आपको हमारी और से भी जन्मदिन की ढेरो शुभकामनाये |
वाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteसब से पहले यशवंत जी आपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं ... उसके बाद इस उम्दा रचना के लिए ... बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteकल 23/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, चलेंगे नहीं तो पहुचेंगे कैसे .. ?..
ReplyDeleteधन्यवाद!
उम्र के बढ्ने के साथ
ReplyDeleteपुराने होते चोटों के निशान
अब भी दिख रहे हैं
आईने मे...............अन्दाज ही नही था कि इस विषय पर भी कुछ लिखा जा सकता है
खूब बन पड़ा...........आनन्द आ गया
आईने मे आज फिर
ReplyDeleteअपना चेहरा देखा
कल किसी ने
इसे बेदाग कहा था...
सच कहा होगा... आँखे भी सब कुछ पढ़ लेती हैं... बहुत सुंदर रचना ...जन्मदिन की शुभकामनायें ...
उम्र का हर पड़ाव ...गहरी सोच और अर्थ लिए हुए ...गंभीर लेखनी ...
ReplyDeleteजन्म का दिन मुबारक हो ...
खुद को ज़मीन जैसा पाता हूँ मैं
ReplyDeleteअपने पैरों तले
जिसे कुचल कर
चोटें दे देकर
वक़्त बढ़ता चला जा रहा है
चलता चला जा रहा है
अपनी राह
गहन अभिव्यक्ति ..
जन्मदिन की शुभकामनाएँ
बहुत सुंदर रचना , शुभकामनायें जन्मदिन की |
ReplyDeleteसुंदर सुंदर सुंदर ...जन्मदिन की शुभकामनायें....!
ReplyDeleteसिर्फ चोटों के दाग ही दिखे न दिखा किसी के आशीष का स्पर्श, स्नेह की छुअन...कबीर को याद नहीं किया ज्यों की त्यों रख दिनी चदरिया...सुंदर कविता !
ReplyDeleteउम्र के बढ्ने के साथ
ReplyDeleteपुराने होते चोटों के निशान
अब भी दिख रहे हैं
आईने मे
और आने वाली चोटें
तलाश रही हैं अपनी जगह
मेरे चेहरे पर !
Bahut khub yashwantji...
sundar kavita :)
ReplyDeleten happy wala bday ji :)
yashwant ji janmadin par behateen parastuti....
ReplyDeleteक्या बदलते वक़्त के साथ
ReplyDeleteबीतती उम्र के साथ
वही कोमलता बाकी है?
नहीं!...........बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति है यशवंत, फिर से जन्मदिन की मुबारकबाद
सब से पहले यशवंत जी को जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं ...............बहुत संवेदनशील रचना।
ReplyDeleteचिंतन चलता रहे सफ़र के साथ!
ReplyDeleteअच्छे शब्द है
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति ...जन्मदिन की ढेर साडी बधाई और शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति है....
ReplyDeleteजन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाये .....
बहुत ही खुबसूरत शब्द रचना.....
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति ..बढ़िया
ReplyDeleteगहरे भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति .... उम बढ्ने के साथ कोई बेदाग नहीं रहता... इस पूरी ज़िंदगी में यदि कुछ साफ,निर्मल,कोमल,कुछ रहता है तो वो है केवल बचपन ....
ReplyDeleteउम्र के बढ्ने के साथ
ReplyDeleteपुराने होते चोटों के निशान
अब भी दिख रहे हैं
आईने मे
और आने वाली चोटें
तलाश रही हैं अपनी जगह
मेरे चेहरे पर !
....उम्र अपने निशाँ छोडती ही है चहरे पर..बहुत गहन अभिव्यक्ति..जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें..
बहुत सुंदर रचना ............जनम दिन की भी बहुत सी बधाई
ReplyDeleteयशवंत जी -आपको जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें .
ReplyDeleteबार बार दिन ये आये
बार बार दिल ये गाए
तुम जियो हजारो साल
ये मेरी है आरजू
शिखा
शालिनी
जन्मदिन पर वक़्त की खरोंचे नहीं देखी जाती वक़्त की रंगतें देखी जाती हैं. आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteयशवंत जी -आपको जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें ...बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति है
ReplyDeleteबढ़िया रचना
ReplyDeleteGyan Darpan
Matrimonial Site
gahan ..aur bahut sunder abhivyakti ...
ReplyDeleteसुन्दर,भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteजन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत अच्छी प्रस्तुति.चोटों के निशाँ ..खरोचों के निशाँ ....सब शेष रह जाते हैं,सच!!
ReplyDeletewakayee chehra to zindgi ke har padaw ka aaina hota hai.........
ReplyDeletemain jameen jaisa hoon...baqhut sundar
ReplyDeleteयशवंत जी,
ReplyDeleteआपको जीवन अंकुरण दिवस पर हार्दिक मंगल कामनाएं
बहुत सुंदर रचना
मेरी नई पोस्ट में स्वागत है
यसवंत जी आपको जन्म दिन बहुत बहुत बधाई ....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता
मेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है
उम्र के बढ्ने के साथ
ReplyDeleteपुराने होते चोटों के निशान
अब भी दिख रहे हैं
आईने मे
और आने वाली चोटें
तलाश रही हैं अपनी जगह
मेरे चेहरे पर !
बहुत खूबसरती से लिखा है ..जिंदगी की सच्चाई को ..बधाई
और आने वाली चोटें
ReplyDeleteतलाश रही हैं अपनी जगह
मेरे चेहरे पर !
क्या बात कही है यशवंत जी....
सादर बधाई स्वीकारें इस बेहतरीन रचना के लिये...
बहुत सुन्दर यथार्थ परक कविता ! आप को जन्म दिन की बधाई !
ReplyDeleteक्या बदलते वक़्त के साथ
ReplyDeleteबीतती उम्र के साथ
वही कोमलता बाकी है?
नहीं!बहुत ही अच्छी प्रस्तुति जीवन की सच्चाई के साथ।
बेदाग़ तो आज चाँद भी नहीं है ... यथार्थ लिखा है आपने ..
ReplyDeleteआप सभी की टिप्पणियों और जन्मदिन पर अमूल्य स्नेह और आशीर्वाद हेतु तहे दिल से शुक्रिया। इसे आगे भी बनाए रखिएगा।
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