कितना अजीब सा होता है
एडिट मोड
जहां पूरा होने का
इंतज़ार करते मिलते हैं
कुछ सिमटे से
अधूरे ड्राफ्ट
ठीक वैसे ही
जैसे पिंजरे में कैद
कोई पंछी
फड़फड़ा रहा हो
खुली हवा मे उड़ने को
दो दो तीन तीन लाइन के
ढेर सारे ड्राफ्ट
जिन पर
अक्सर चली जाती है
मेरी उछ्टती सी निगाह
लेकर
एक हल्की सी मुस्कान
देता हूँ
मौन दिलासा--
'चिंता मत करो
तुम डिलीट नहीं होगे
तुमको छपना है
अंश बनना है
आने वाली
किसी पोस्ट का'
आश्वस्ति सा भाव लिये
बेचारा ड्राफ्ट
रह जाता है कैद
एडिट मोड में
और न्यू पोस्ट पर
क्लिक करते ही
बजने लगता है
की बोर्ड का राग
नयी पोस्ट बन कर
पब्लिश भी हो जाती है
और ड्राफ्ट ....?
उसे करना है
अभी कुछ और
इंतज़ार !
एडिट मोड
जहां पूरा होने का
इंतज़ार करते मिलते हैं
कुछ सिमटे से
अधूरे ड्राफ्ट
ठीक वैसे ही
जैसे पिंजरे में कैद
कोई पंछी
फड़फड़ा रहा हो
खुली हवा मे उड़ने को
दो दो तीन तीन लाइन के
ढेर सारे ड्राफ्ट
जिन पर
अक्सर चली जाती है
मेरी उछ्टती सी निगाह
लेकर
एक हल्की सी मुस्कान
देता हूँ
मौन दिलासा--
'चिंता मत करो
तुम डिलीट नहीं होगे
तुमको छपना है
अंश बनना है
आने वाली
किसी पोस्ट का'
आश्वस्ति सा भाव लिये
बेचारा ड्राफ्ट
रह जाता है कैद
एडिट मोड में
और न्यू पोस्ट पर
क्लिक करते ही
बजने लगता है
की बोर्ड का राग
नयी पोस्ट बन कर
पब्लिश भी हो जाती है
और ड्राफ्ट ....?
उसे करना है
अभी कुछ और
इंतज़ार !
बेचारे ड्राफ्ट की आत्म कथा, बहुत सुन्दर ठंग से प्रस्तुत किया है...बहुत खूब...
ReplyDeleteहर ड्राफ्ट रौशनी में आएगा...
ReplyDeleteलिख गया है.. तो
अवश्य झिलमिलायेगा...
नयी पोस्ट बन कर
ReplyDeleteपब्लिश भी हो जाती है
और ड्राफ्ट ....?
उसे करना है
अभी कुछ और
इंतज़ार !
वाह ...बहुत बढि़या।
यशवंत भाई... बिल्कुल नया विम्ब लेकर लिखी गई कविता है... सुन्दर..
ReplyDelete:)
ReplyDeleteबहुत खूब ......
ReplyDeleteपड़े हुए ड्राफ़्ट में बहुत संभावनाएँ होती हैं और पूर्णता की कोई परिभाषा नहीं होती. कविता के माध्यम से ड्राफ़्ट का पोर्ट्रेट खींच दिया है. सुंदर.
ReplyDeleteकितना अजीब सा होता है
ReplyDeleteएडिट मोड
जहां पूरा होने का
इंतज़ार करते मिलते हैं
कुछ सिमटे से
अधूरे ड्राफ्ट
ठीक वैसे ही
जैसे पिंजरे में कैद
कोई पंछी
फड़फड़ा रहा हो
खुली हवा मे उड़ने को... शानदार लेखन ... ड्राफ्ट अधूरे रहेंगे ही नहीं
ड्राफ्ट की आत्मकथा ....
ReplyDeleteऐसा भी होता है..आपकी यह पोस्ट पढ़कर तो मै ड्राफ्ट के बारे में सोचने लग गयी...
अच्छी प्रस्तुति...
क्या बात है, बिल्कुल नई बात..
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी..। पढ़ना बहुत अच्छा लगा.।
ReplyDeleteसमय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,। धन्यवाद ।
अरे वाह!
ReplyDeleteइस पर भी पोस्ट बन सकती है जो अभी तक है ड्राफ़्ट!
बेचारा ड्राफ्ट :( अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं कुछ अलग सी.....
ReplyDeleteहम सब के मन का इतना बड़ा सच ....कैसे इतने सरल शब्दों में लिख दिया आने .....बहुत खूबसूरत ये आपक ''ड्राफ्ट''.......आभार के साथ
ReplyDeleteसुन्दर सी प्रेरक रचना..बधाई !!
ReplyDeletekuchh khayaal draft shape me hi achhay lagte hain..
ReplyDeleteजस्ट डायल डॉट कॉम धोखाधड़ी, लूट खसोट Just Dial.com Scam/ Fraud
:-))
ReplyDeleteकल 30/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, थी - हूँ - रहूंगी ....
ReplyDeletewah...bahut sundar...
ReplyDeletehaha:-)
नए बिम्बों के साथ सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय यशवंत जी...
ReplyDeleteसादर...
यशवंत जी,,.
ReplyDeleteसुंदर आयामों को दर्शाता ड्राफ्ट,..
ड्राफ्ट की सुंदर आत्मकथा,..बेहतरीन पोस्ट .
मेरे नए पोस्ट "प्रतिस्पर्धा"में .......
ha ha ha bahut rochak lekh...sach jaane kitne soch kate hue pankh liye baithi hai ki kabhi toh humare pankho mei bhi jaan bharo...delete toh nahi kiya par kabhi kabhi aapni kuch drafts ko dekh kar khud se kahti hu..hey bhagwaan yah kya likh rahi thhi tum...
ReplyDeleteDilchasp !!
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