01 December 2011

'अनजाना' और 'पार' (मम्मी की दो कविताएं)

 आज प्रस्तुत हैं मम्मी की लिखी दो नयी कविताएं --


(श्रीमती पूनम माथुर )
अनजाना

पुराना था एक सपना
उसमे झलका अपना
कब होगा उसका आना
कब होगा मेरा जाना

आयेगा एक मस्ताना
उसको बना देगा दीवाना
यह है उसका अफसाना
कौन है वह अनजाना
         *

पार

बढ़ना था
चढ़ना था
गिरना था
उठना था
प्यार था
झगड़ा था    
सबेरा था
साँझ था
हौसला था
घोंसला था
भूत था
वर्तमान था
भविष्य था
मझधार था
उतरना था
नाव था
माझी था
फासला था
दूर था
जाना था
पार ।

42 comments:

  1. दोनों रचनाएँ बहुत बढ़िया लगीं .....

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  2. बेहतरीन रचनाएं ...आभार ।

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  3. पूनम जी को पढ़ना भी अच्छा लगा ...:)

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  4. दोनों रचनाएँ अपनी बात को पूरी तरह संप्रेषित करती हैं. सुंदर सृजन.

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  5. दोनों कविताएँ आपनी बात को पूरी तरह संप्रेषित करती हैं. सुंदर सृजन.

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  6. बहुत सुंदर..दोनों रचनाएँ बहुत बढ़िया लगीं ....आभार..

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  7. BAHUT SUNDAR BHAVABHIVYAKTIYAN .AABHAR

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  8. कवितायेँ अच्छी है.....दूसरी कुछ अलग सी है |

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  9. प्रस्तुति इक सुन्दर दिखी, ले आया इस मंच |
    बाँच टिप्पणी कीजिये, प्यारे पाठक पञ्च ||

    cahrchamanch.blogspot.com

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  10. बहुत ही सुन्दर

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  11. दोनों ही रचनाएँ काफी अच्छी लगी .....
    आंटीजी तो बहुत ही सुन्दर लिखती हैं

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  12. great...
    kitne kam shabdon mei Aunty ji ne kitna kuch kah diya... ise hi kala kahte hain...
    awesome...
    thank you so much for sharing...

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  13. poonam mam ki
    दोनों ही रचनाये बहुत ही सुन्दर है..

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  14. दोनों रचनायें सुन्दर है!
    पूनम जी को शुभकामनाएं!
    सादर!

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  15. दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर...आभार

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  16. सरल और सपाट शब्दों में पिरोई रचना..................
    ...........अब मैं समझी बच्चे सवा सेर होते हैं

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  17. रचना का प्रवाह रोचक है। इसके भाव भी।

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  18. दूर पार जाने को माझी और नाव थे ही ...
    अच्छी कवितायेँ !

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  19. उत्तम रचनाएं...
    सादर आभार...

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  20. दोनों ही सृजन बहुत उत्तम हैं.

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  21. Sunder saral rachnaen achchi lagin.

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  22. आपसे निवेदन है इस पोस्ट पर आकर
    अपनी राय अवश्य दें -
    http://cartoondhamaka.blogspot.com/2011/12/blog-post_420.html#links

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  23. कल शनिवार ... 03/12/2011को आपकी कोई पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.com> नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद

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  24. दोनों रचनाएँ बहुत ही सुन्दर है |आभार |

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  25. यशवंत भाई ,
    दोनों ही कविताएं बहुत अच्छी बन पढ़ी है , लेकिन दूसरी कविता बने बहुत दिल को छुआ . जिंदगी की जिद को दर्शाया है .

    बधाई !!
    आभार
    विजय
    -----------
    कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html

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  26. Dono kavitayen bahut hi sunder. Ek se badhkar ek.

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  27. इस सुंदर रचना के लिये पूनम जी को बधाई,...बेहतरीन पोस्ट,..
    मेरे नए पोस्ट -जूठन- में आपका इंतजार है ..

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  28. वाह बेहद खूबसूरत रचना. आभार.

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  29. आप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
    इतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
    आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
    धन्यवाद्
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.com/
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

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  30. आप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
    इतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
    आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
    धन्यवाद्
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.com/
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

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  31. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  32. sunder rachnayen, ma ko pranaam.

    shubhkamnayen

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  33. dono rachanyen bahut acchee hain.
    Dusri kavita ..gagar mei sagar ' hai!
    har pankti gahan arth liye hai.
    badhaayee

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  34. dono rachnayein bahut bahut acchi.....Anti ji ki itni acchi kavita padhane kay liye shukriya

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  35. बहुत बहुत धन्यवाद सर!
    मम्मी भी आपको धन्यवाद कह रही हैं।

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  36. disqus_pzl7EZDstC14 December 2012 at 13:04

    अत्यंत मार्मिक एवं दार्शनिक कविताएं । माँ जी को नमन । सुधाकर अदीब ।

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  37. disqus_pzl7EZDstC14 December 2012 at 13:06

    प्रियवर , आपकी कविताओं में आप द्वारा कम शब्दों का प्रयोग कर भावों संवेदनाओं और बिंबों को पकड़ने की शैली मुझे बहुत सुखद लगी । आप ऐसे ही आगे बढ़ते रहिए और अपनी नयी राह बनाइये । मेरी अनंत शुभकामनाएँ । यह गुण लगता है आपको अपनी विदुषी माँ जी से मिला है । उन्हें मेरा पुनः प्रणाम । सुधाकर अदीब ।

    2012/11/25 Disqus

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  38. आदरणीय सर!
    अपना आशीर्वाद यूं ही बनाए रखें।



    सादर

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