खुशहाली ,चोट और चोर ......(मम्मी की 2 नयी कविताएं)
आज एक बार पुनः पढ़िये मम्मी की 2 नवीनतम कविताएं ---
खुशहाली
हाथ खाली,पेट खाली,थाली खाली।
जेब खाली,आना खाली,जाना खाली।
फिर क्यों करते हो गैरों की दलाली।
फिर क्यों करते हो चोरों की रखवाली।
क्यों नहीं लाते हो भारत मे खुशहाली। ।
*
चोट और चोर
चोट भीतर घाव करता है,
चोर बाहर घाव करता है।
चोट का निशान मिटा नहीं करता है,
चोर दगाबाजी करता है।
चोट समय-समय पर दर्द दिया करता है,
चोर समय-समय पर माल उड़ाया करता है। ।
(पूनम माथुर)
दोनो ही रचनाएं बहुत अच्छी लगी ...आभार
ReplyDeleteदोनो ही कविताएँ सुन्दर और सटीक भावो से ओत-प्रोत है..उनकी लेखनी को नमन..
ReplyDeleteक्या बात है...दोनो ही रचनाएं बढ़िया लगी मम्मी जी प्रणाम कहिएगा....यशवंत भाई
ReplyDeleteमाँ बहुत अच्छा लिखती हैं ... मैं कल्पना करती हूँ उनके बारे में ... उनका ब्लॉग बनाओ यशवंत
ReplyDeleteआंटी ! आपका संदेश मम्मी तक पहुंचा दिया है।
Deleteaap ki mummy ke hi gun aap me aaye hai :) tab hi aap bhi un ki tarh umda likhte hai,aap ki mummy ko bdhai dijiyega,bahut acha likhti hai wo...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteconvey my wishes and regards to her.
bahut accha likha hai yashvantji.......
ReplyDeletevery nice yashvant ji tell her to write more...........
ReplyDeleteअच्छी रचना , प्रभावशाली बात
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रभावी रचनाएँ...
ReplyDeleteमाता जी की दोनों कवितायेँ बेहतरीन हैं... रश्मि जी के आदेशानुसार उनका अलग ब्लॉग बनाइये...
ReplyDeleteज़रूर सर! आपका यह संदेश मम्मी तक पहुंचा दिया है।
Delete'चोरों' पर अच्छी चोट की है बहन ने. पर ये चोर सुधरते ही नहीं.
ReplyDeleteअपनी माताजी की रचनाओं को सम्मान देकर एक अच्छा काम किया है ..
ReplyDeleteदोनों ही कवितायें ज़िन्दगी का सच बयान करती हैं..
kalamdaan.blogspot.com
सटीक सार्थक प्रस्तुति,बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन...
ReplyDeletenew post...वाह रे मंहगाई...
बढ़िया रचनाएँ ... गहन भाव लिए हुए .
ReplyDeleteअच्छी रचना।
ReplyDeleteव्यवस्था पर करारी चोट।
आपकी मम्मी जी को प्रणाम।
दोनों ही रचनाएँ बहुत सुंदर हैं......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
अच्छी भावपूर्ण रचनाएँ |सुन्दर शब्द चयन |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteअच्छी रचनायें, वाह !!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना पढवाने के लिए आभार..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना !
ReplyDeleteआभार !
वाह,बहुत अच्छा लिखा है !
ReplyDeleteआंटी जी ने बहुत अच्छा लिखा है ...
ReplyDeleteउन्हें प्रणाम कहिये...
दोनों ही रचनाएँ,गहनता पूर्ण हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteYashwant ji
ReplyDeleteaapki mummy ji ki likhi dono kavitain bahut sundar hain.
aapki mataji ko mera pranaam.
वाह बेहद प्रभावशाली ...सटीक
ReplyDeleteचोर तो सदियों से चोट देते आए हैं। बाहरी चोट तो ठीक हो जाती है मगर दगाबाजी भुलाए नहीं भूलती।
ReplyDeleteमम्मी को नमन ।
bahut khoob
ReplyDeleteshaandar rachnaaye
दोनों ही रचनाएँ सार्थक सन्देश दे रही हैं। धन्यवाद।
ReplyDeletedoni hi rachnayen shikshaprad aur jiwan anubhav se paripurn hain..
ReplyDeleteसमसामयिक सुन्दर कविता ! बधाई
ReplyDeleteआपके इस उत्कृष्ठ प्रस्तुति का आभार ।
ReplyDeleteदोनो ही कविताएँ बहुत सुन्दर है..उनका बहुत -बहुत आभार...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति,भावपूर्ण अच्छी रचना,..
ReplyDeleteWELCOME TO NEW POST --26 जनवरी आया है....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
दोनों बेहतरीन रचनाये हैं ... सार्थक सटीक ...
ReplyDeletenice poems :)
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.......सराहनीय.....
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े-
नेता, कुत्ता और वेश्या