09 January 2012

अभी बाकी है

कुछ धूप निकली पर धुंध अभी बाकी है ।
बादलों के पर्दे को हटना अभी बाकी है। । 

बाकी है निशां इक जख्म का जो गहरा था ।
अक्स ने दिया दगा हर शख्स पे पहरा था । ।

खानी हैं ठोकरें पथरीली राह अभी बाकी है।
आहों की है कसम कि चलने की चाह अभी बाकी है। ।

38 comments:

  1. कुछ धूप निकली पर धुंध अभी बाकी है ।
    बादलों के पर्दे को हटना अभी बाकी है। । sach me abhi baki hai.............

    ReplyDelete
  2. खानी हैं ठोकरें पथरीली राह अभी बाकी है।
    आहों की है कसम कि चलने की चाह अभी बाकी है। ।

    खानी हैं ठोकरें पथरीली राह अभी बाकी है।
    आहों की है कसम कि चलने की चाह अभी बाकी है। ।
    ये चाह मंजिल का रास्ता है... सुन्दर भाव... शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  3. अभी बहुत कुछ बाकि हैं ....

    ReplyDelete
  4. likhte rahiye yu hi kyonki,
    aur padhne ki chah abhi baaki hai :)
    bahut sundar rachna.

    ReplyDelete
  5. कुछ धूप निकली पर धुंध अभी बाकी है ।
    बादलों के पर्दे को हटना अभी बाकी है। ।

    ...बहुत खूब! यह पर्दा भी जल्दी ही हटेगा...

    ReplyDelete
  6. शानदार प्रस्तुती है | जीवन में सदा ही कुछ बाकी रहता है
    अन्यथा निष्क्रियता वयाप्त हो जाएगी |

    ReplyDelete
  7. जितने भी ख्याल अभी अन्दर रुके हैं , उन्हें पन्नों पर लाना बाकी है

    ReplyDelete
  8. बहुत खूब..आहों की है कसम कि चलने की चाह अभी बाकी है। ।सुन्दर...

    ReplyDelete
  9. सुंदर अभिव्यक्ति बहुत बढ़िया रचना,....
    --"काव्यान्जलि"--

    ReplyDelete
  10. बहुत बढ़िया ..
    :
    :
    :
    सादर.

    ReplyDelete
  11. खानी हैं ठोकरें पथरीली राह अभी बाकी है।
    आहों की है कसम कि चलने की चाह अभी बाकी है।
    और हमेशा ये चाह बनाये रखना
    आगे बढ़ते जाना...

    ReplyDelete
  12. ए अभी खत्म नहीं हुआ picthure अभी बाकी है मेरे दोस्त :)....

    ReplyDelete
  13. behtareen likh rahe ho yashwant shubhkaamnaye

    ReplyDelete
  14. चाह बाकी रहेगी तभी तो आगे बढ़ेंगे ..बढ़िया ..

    ReplyDelete
  15. ....आहों की है कसम कि चलने की चाह अभी बाकी है
    ये ही उम्‍मीदें हैं जो जिंदगी को आसान कर देती हैं।
    सुंदर सारगर्भित रचना।

    ReplyDelete
  16. खानी हैं ठोकरें पथरीली राह अभी बाकी है।
    आहों की है कसम कि चलने की चाह अभी बाकी है |
    ये हौसला काबिले तारीफ है.... :)
    ठोकरें खा-खा कर जो पहुँचता है , मंजिल ,
    मंजिल तक पहुँचने का आन्नद पाता है अनोखा..... :):)

    ReplyDelete
  17. तुम्हारे लिये.....
    उमर ज्यों-ज्यों बढ़ने लगी
    परिपक्वता की पर्त चढ़ने लगी.
    लिखती थी जो कलम A,B,C,D कल तक
    वो ज़िंदगी की किताब पढ़ने लगी.
    जख्म,आह,ठोकर से आशना हुई
    अब जवानी अफसाने गढ़ने लगी.

    बहुत बेहतरीन नर्म और नाजुक भाव.....

    ReplyDelete
  18. बहुत ही बढि़या

    ReplyDelete
  19. कुछ धूप निकली पर धुंध अभी बाकी है ।
    बादलों के पर्दे को हटना अभी बाकी है ।।

    और भी बहुत कुछ बाकी है जो धुंध के साथ छंट जायेगा....!!
    सुन्दर रचना...!!

    ReplyDelete
  20. बहुत खूब......उम्दा शेर|

    ReplyDelete
  21. यूँ ही चलते रहना ,रुकना नहीं कभी
    क्यूँ कि जिंदगी की लंबी राहें अभी बाकि हैं

    ReplyDelete
  22. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...

    ReplyDelete
  23. बहुत सुन्दर..!
    kalamdaan.blogspot.com

    ReplyDelete
  24. super lines
    बाकी है निशां इक जख्म का जो गहरा था ।
    अक्स ने दिया दगा हर शख्स पे पहरा था । ।

    ReplyDelete
  25. सुंदर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  26. बहुत सुंदर कविता।

    ReplyDelete
  27. कुछ धूप निकली पर धुंध अभी बाकी है
    बादलों के पर्दे को हटना अभी बाकी है ...

    वाह गज़ब का शेर है ... बादलों के परदे हटने पर ही धूप आती है ...

    ReplyDelete
  28. waah kya likha hai aapne...bahut sundar...!
    aabhaar !

    ReplyDelete
  29. bahut shandar likha hai yashwant Ji..

    ReplyDelete
  30. यह ज़रा सा "बाकी" ही तो जीवन को खूबसूरत बनाता है...
    सुन्दर पंक्तियाँ हैं!

    ReplyDelete
  31. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

    ReplyDelete
  32. खानी हैं ठोकरें पथरीली राह अभी बाकी है।
    आहों की है कसम कि चलने की चाह अभी बाकी है। ।
    bahut khood kaha hai.

    shubhkamnayen

    ReplyDelete
  33. कुछ धूप निकली पर धुंध अभी बाकी है ।

    गहन विचार...

    ReplyDelete
  34. वाह,,,,,,,बहुत खूब लिखा आपने ...

    ReplyDelete
  35. बहूत कुछ सीख लिया जीवन में .. लेकिन फिर भी बहूत कुछ सीखना अभी बाकि है !

    ReplyDelete