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12 January 2012

चलना तो अकेले ही है !

कुछ किस्सों कहानियों में
फिल्मों में
प्रेम और वियोग की
कविताओं में
कहीं कोई मिलता है
कोई बिछड़ता है
सुखांत और दुखांत में
कुछ पल आते ही हैं
एकांत के
काफिला बनता है
नायक चलता है
अपनी राह
संघर्ष और अंतर्द्वंद
साथ चलते हैं
बिखरते हैं
जो भी हो
अस्तित्व एक का ही होता है
नायक या तो जीता है
या हो जाता है कुर्बान
धारा एक ही होती है
विचारों की
बस बदलते हैं चित्र
और दृश्य
हजारों के साथ
मिले हुए हाथ के साथ
कारवां के कदमताल में
आखिर
चलना तो एक को ही है
अकेले ही है !

45 comments:

  1. हम्मम्मम
    सो तो है...
    चलना तो अकेले है..
    सार्थक रचना.

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  2. बहुत सुंदर, क्या बात है

    अस्तित्व एक का ही होता है
    नायक या तो जीता है
    या हो जाता है कुर्बान
    धारा एक ही होती है
    विचारों की

    ReplyDelete
  3. चलना तो वाकई सभी को अकेले है..
    बहुत अच्छा..
    मेरे ब्लॉग पर भी नज़र डालें ..
    kalamdaan.blogspot.com

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  4. सच, चलना तो अकेले ही है!!!

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  5. एकला चालो रे....

    बेहतरीन रचना...बधाई...

    नीरज

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  6. यूं तो ज़िंदगी आपकी अपनी है और उसमें आने वाले अच्छे बुरे पल
    देखते-सुनते, रोते-हस्ते ,झेलना तो आपको ही है। मगर इस अकेली रहा मे यदि कोई ऐसा हमसफर मिल जाये जो आप की भावनाओ को समझ सके तो ज़िंदगी हा हरपल आसान हो जाता है जीने के लिए है न !!:)

    बहुत खूब सार्थक रचना...

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  7. यही तो सत्य है कि चलना तो अकेले है ...

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  8. एकला चलो रे...ये गाना याद आगया..सुन्दर भाव..

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  9. अकेला अंत है , शुरुआत नहीं

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  10. sach kaha...jindgi ki raah me kuch pal ka sath mil sakta hai par antatah chalna to akele hi hai...

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  11. जोदी केयू डाक शुने केयू न ...ता बे एकला चोलो रे ....

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  12. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  13. आखिर
    चलना तो एक को ही है
    अकेले ही है!

    waah, bahut hi achhi rachna, padhna man bhaya.

    shubhkamnayen

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  14. सुंदर रचना।
    गहरा संदेश।

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  15. बहुत सुंदर, क्या बात है

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  16. wah Yashwant ji bahut sundar aap metaphors ka istemaal bahut sundarta se karte hai...

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  17. बहुत ही अच्‍छी शब्‍द रचना ।

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  18. sahi kaha yashwant bhai
    chalna to ek akele ko hain

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  19. चलना तो एक को ही है
    अकेले ही है !

    बहुत सुन्दर ...!
    आभार !

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  20. खूब-सूरत प्रस्तुति |
    बहुत-बहुत बधाई ||

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  21. ये कारवां हूँ ही चलता रहेगा ....हमेशा

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  22. चल अकेला चल अकेला........तेरा मेला पीछे छूटा रही चल अकेला|

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  23. बस बदलते हैं चित्र
    और दृश्य
    हजारों के साथ
    के साथ
    मिले हुए हाथ के साथ
    कारवां के कदमताल में
    आखिर
    चलना तो एक को ही है
    अकेले ही है !मर्म को छु जाये वो पंक्तियाँ रची हैं आपने

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  24. आखिर
    चलना तो एक को ही है
    अकेले ही है !


    बहुत सही कहा आपने....

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  25. Bahut sundar rachna sir.. :)

    kabhi samay mile to mere blog par bhi aaiyega.. aapka swaagat hai..
    palchhin-aditya.blogspot.com

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  26. वाह!
    बहुत बढ़िया!
    लोहड़ी पर्व के साथ-साथ उत्तरायणी की भी बधाई और शुभकामनाएँ!

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  27. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  28. सुन्दर और प्रभावी रचना ..

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  29. राही चल अकेला,यही नियति है...
    सुंदर रचना

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  30. बिलकुल सही कहा है ..बहुत प्रवाहमयी रचना

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  31. ( जब ) काफिला बनता है ,
    ( तब अकेला क्यों.... ? )नायक चलता है ,
    दुआ करुगी ,आपको अच्छी हमसफर मिल जाये..... :):)

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  32. चलना तो अकेले हि है ...
    सार्थक रचना....
    मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर आपको एवं आपके परिवार जनो को हार्दिक शुभ कामनाये

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  33. कल 14/1/2012को आपकी पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  34. sahi kaha aapne. chalna to akele hi padta hai.

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  35. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  36. बहुत सुन्दर गहन अभिव्यक्ति..

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  37. बेहतरीन रचना...बधाई

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  38. SATY TO YAHI HAI....LEKIN JAB TAK AURO KA SATH HO TO SAFAR AASANI SE KAT JATA HAI.

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  39. सही कहा चलना तो अकेले ही है ....

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  40. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  41. बहुत ही अच्छी लगीं.

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