27 January 2012

इस बसंत के मौसम में क्यों ...

यह कविता 13 दिसंबर 2006 को आगरा के सर्द मौसम मे धूप का आनंद लेते हुए अपनी डायरी में लिखी थी । एक बार पहले भी  इसी ब्लॉग पर प्रस्तुत कर चुका हूँ आज पुनः प्रस्तुत है--












इस बसंत के मौसम में क्यों 
पतझड़ जैसा लगता है,
और मिलन की ख़ुशी मनाते,
हम को विरहा सा लगता है 

इस बसंत के मौसम में क्यों 
पतझड़ जैसा लगता है

किसी डाल पर कोयल गाती,
स्वप्नों के रंगीले गीत,
हम को भी सुन सुन कुछ होता,
पर कपोत न दीखता है 

इस बसंत के मौसम में क्यों 
पतझड़ जैसा लगता है

दूर हुआ मनमीत मगर,
क्यूँ न यादों से हटता है,
आँखों से झर झर झर आंसू,
सागर सूखा सा लगता है

इस बसंत के मौसम में क्यों 
पतझड़ जैसा लगता है.

 
आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

34 comments:

  1. sunder rachna...
    clearifies the real situation

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  2. बहुत अच्छी रचना,
    सच है जब हृदय पीड़ित हो तो बसंत भी पतझड़ ही लगता है.

    शुभकामनायें

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  3. आँखों से झर झर झर आंसू,
    सागर सूखा सा लगता है...
    गहरे भाव... बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  4. जब मन उल्लासित नहीं तो कैसा बसंत ....सुंदर

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  5. सुन्दर विरह गीत...
    आपको भी वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.

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  6. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 28/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।

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  7. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अच्छी रचना,..

    NEW POST --26 जनवरी आया है....

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  8. इस बसंत के मौसम में क्यों ,
    पतझड़ जैसा लगता है.... ?

    पतझड़ के बाद बसंत आता है....:)
    ये तो वही बात हो गई , सावन के अंधे को हमेशा हरा-हरा लगता है.... !

    असली बात जानने का इंतज़ार रहेगा....
    इस बसंत के मौसम में क्यों ,
    पतझड़ जैसा लगता है.... ?

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  9. बहुत सुन्दर रचना । बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ ।

    मेरी कविता

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  10. bahut sundar bhaav sir..
    bahut sundar rachna..

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  11. बहुत प्यारी रचना है यशवंत जी! बहुत धनयवाद!

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  12. इस बसंत पर आपका मन विरह से बाहर आकर प्रसन्न है ऐसी हमारी कामना है. सुंदर रचना.

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  13. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...बसंत पंचमी की शुभकामनाएं।

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  14. sunder Rachna,aap ko bhi basant panchami ki haardik shubhkaamnayen.

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  15. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  16. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।
    बसंत पंचमी की शुभकामनाएं....

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  17. बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।

    ऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  18. पहले तो नहीं देख पाए थे अबकी देखी सुन्दर रचना है |

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  19. इस बसंत के मौसम में क्यों
    पतझड़ जैसा लगता है,
    सुन्दर कविता है ,मेरे ब्लॉग पर आपका
    स्वागत है |||||||||

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  20. जो मनमीत हो वह यादों से कैसे विदा हो भला...
    वसंत..., वसंत ले कर आये आपके जीवन में, माँ शारदे का आशीष प्राप्त हो!
    अनंत शुभकामनाएं!

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  21. सुन्दर प्रस्तुति ...

    बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ

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  22. गहरे भाव के साथ सुन्दर प्रस्तुति.. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  23. बसंत पंचमी की शुभकामनाएं

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  24. जब हृदय में दर्द हो तो वसंत का मौसम भी पतझड सा लगता है ..
    विरह वेदना कि सुंदर अभिव्यक्ती ...
    वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ ....

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  25. nice poem
    http://drivingwithpen.blogspot.com/

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  26. बसंत पंचमी की शुभकामनाएं

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  27. दूर हुआ मनमीत मगर,
    क्यूँ न यादों से हटता है,
    आँखों से झर झर झर आंसू,
    सागर सूखा सा लगता है!

    bahut hi sundar rachna par kyu sir ji ye basant patjhar sa kyu lag raha hai !!

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