01 February 2012

जी ना हुआ कि, जी का जंजाल हुआ

जी ना हुआ कि, जी का जंजाल हुआ। 
हड्डी बची न एक, कंकाल भी कंगाल हुआ। । 

वो रास्ते मे मिला मुझ को, मांग रहा था भीख। 
सीने से चिपका शिशु ,रहा भूख से चीख। । 

पर कानों मे ढिबरी बांधे ,साहब सड़क पर नाच रहे थे  । 
चढ़ा आँख पे काला चश्मा ,इंडियन ,इंडिया बाँच रहे थे। । 

वो क्या जानें क्या है भारत ,गली कूचे मे बसता है जो। 
जूठन चाटता फिरता बचपन ,बस्ते को तरसता है जो। । 

अन्नदाता हैरां ,परेशां ,देख खेत पर काली छाया । 
पगडंडी पर खुदती नींव ,बिल्डर आया ,मुसीबत लाया। ।  

चांदी चम्मच नसीब न जिसका,जो झोपड़ की संतान हुआ ।
उसका भाग अभागा जीवन ,देह त्याग आसान हुआ  । । 

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कानो मे ढिबरी--मोबाइल का हेड फोन
चांदी चम्मच--अँग्रेजी का मुहावरा (Born with a Silver spoon)

यशवन्त माथुर

45 comments:

  1. वो क्या जानें क्या है भारत ,गली कूचे मे बसता है जो।
    जूठन चाटता फिरता बचपन ,बस्ते को तरसता है जो। ।

    बहुत सही चित्रांकन, यशवंत जी!
    बहुत सराहनीय रचना!

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  2. मार्मिक प्रस्तुति ...

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  3. तस्वीर सच्ची उकेरी है ,परन्तु शीघ्र परिवर्तन आएगा..
    kalamdaan.blogspot.com

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  4. वो क्या जानें क्या है भारत ,गली कूचे मे बसता है जो।
    जूठन चाटता फिरता बचपन ,बस्ते को तरसता है जो। ।

    संवेदनशील सोच लिए पंक्तियाँ.....

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  5. मार्मिक तथ्यों को उजागर करती उत्कृष्ट रचना!

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  6. सच्चाई को कहती अच्छी रचना .

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  7. Wah kya baat hai Yashwant..this is indeed a brilliant piece or satire :)

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  8. यथार्थ का आईना,सच का दर्शन कराती हैं आपकी पक्तिंयाँ...

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  9. बडी कडवी सच्चाई प्रस्तुत कर दी है यशवंत जी………बेहतरीन्।

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  10. बिल्‍कुल सच कहा है आपने ...आभार ।

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  11. वो क्या जानें क्या है भारत ,गली कूचे मे बसता है जो।
    जूठन चाटता फिरता बचपन ,बस्ते को तरसता है जो। ..

    सच कह है ... मार्मिक चित्रण है भारत के सच का ... पर फिर भी हम भारतीय हैं और उसके होने पे गर्व है ...

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  12. bahut accha likha aapne.
    aaj ke haalat hi aise hain.

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  13. आज के परिवेश में यही तो हो रहा है ..
    सत्यता व्यक्त करती बेहतरीन प्रस्तुति ...

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  14. achchhe shbdon ka chunaw kiya hai apni baat kahne ke liye.. sundar..

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  15. amazing....speechless....haits off for this....due to haevy load of your blog it takes time to load your blog.....if possible please reduse some vidget.

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  16. बहुत सुन्दर रचना,सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

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  17. वाह!!!
    सार्थक रचना..
    बधाई कबूल करें.
    सस्नेह.

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  18. वो क्या जानें क्या है भारत ,गली कूचे मे बसता है जो।
    जूठन चाटता फिरता बचपन ,बस्ते को तरसता है जो। । ....बिल्कुल सुन्दर, सही और सार्थक चित्रण प्रस्तुत किया है यशवंत..बधाई ..

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  19. Hema Shrivastava1 February 2012 at 18:35

    Well done Yashwant!
    I love the way you write and expressed so beautifully!

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  20. वो क्या जानें क्या है भारत ,गली कूचे मे बसता है जो।
    जूठन चाटता फिरता बचपन ,बस्ते को तरसता है जो

    अद्भुत...इस हकीकत को नकारना असंभव है....इस सच्ची रचना के लिए बधाई

    नीरज

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  21. //चढ़ा आँख पे काला चश्मा ,इंडियन ,इंडिया बाँच रहे थे। ।

    //उसका भाग अभागा जीवन ,देह त्याग आसान हुआ । ।

    waah.. bahut sundar abhivyakti sir.. :)

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  22. कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .......

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  23. सच्ची रचना...मार्मिक प्रस्तुति...
    agree wid Imranji...

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  24. Waah... bahut hi achchi rachna ! badhai!

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  25. मौजूदा व्‍यवस्‍था पर कडा प्रहार।
    बेहतरीन रचना।

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  26. सच्चाई की तस्वीर दिखाती बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुतीकरण..

    ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

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  27. नेताओं, अधिकारियों, बिल्डरों और ठेकेदारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत चोट पहुँचाई है. सत्य ब्यान करती सशक्त कविता.

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  28. चांदी चम्मच नसीब न जिसका,जो झोपड़ की संतान हुआ ।
    उसका भाग अभागा जीवन ,देह त्याग आसान हुआ । ।

    बेहतरीन रचना, लाजबाब प्रस्तुतीकरण..

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  29. बिल्कुल कड़वा सच यशवंत जी .......बहुत खूब .......

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  30. भारत की यही सच्ची तस्वीर है।
    सराहनीय रचना.....
    नेता,कुत्ता और वेश्या

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  31. reality..

    http://bestthings4u.blogspot.in/

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  32. interesting...

    http://bestthings4u.blogspot.in/

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  33. बेहद खूबसूरत शब्दों से सजी रचना भली लगी...

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  34. सुन्दर कविता भाई यशवंत बधाई |

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  35. सच बयां करती खूबसूरत रचना.

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  36. यथार्थ का बहुत मर्मस्पर्शी चित्रण...

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  37. bahut khoob mathutr ji bilkul sachhai bayan kr di apne .

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  38. इस देश की सच्ची तस्वीर यही है यशवंत जी, इससे मुह नहीं मोड़ा जा सकता.....यथार्थ-चित्रण.

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  39. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  40. बहुत खूब..सटीक अभिव्‍यक्ति ।

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  41. भूख से मरा था फुटपात पे पड़ा था, जब कपड़ा हटाकर देखा तो, पेट पे लिखा था, सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।

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