उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। यह पंक्तियाँ एक वोटर के मन की बात को कहने का प्रयास हैं जिसने जाति -धर्म-क्षेत्र और भाषा आदि से परे एक सही इंसान को इस बार अपना वोट देने की कसम खाई है --
है तस्वीर का रुख जो स्याह
इस रुख को पलटना ही है
है जो अब हाथ में मौका
कुछ तो कर गुजरना ही है
माना कि हूँ अनजान
कहीं खोया सा रहता हूँ
कर कर के इंतज़ार
गुबार दबाया सा रहता हूँ
पर अब न छोडूंगा तुमको
याद रखना जाग गया हूँ
तिलिस्मी ख्वाबों से
हकीकत पर आ गया हूँ
है यही वक़्त कि अब बेरहम होकर
बीती ठोकर को इक चोट तो देना ही है
निकलकर कमरों से बाहर खा लो कसम
जो भी हो अब अपना वोट तो देना ही है
है तस्वीर का रुख जो स्याह
इस रुख को पलटना ही है
है जो अब हाथ में मौका
कुछ तो कर गुजरना ही है
माना कि हूँ अनजान
कहीं खोया सा रहता हूँ
कर कर के इंतज़ार
गुबार दबाया सा रहता हूँ
पर अब न छोडूंगा तुमको
याद रखना जाग गया हूँ
तिलिस्मी ख्वाबों से
हकीकत पर आ गया हूँ
है यही वक़्त कि अब बेरहम होकर
बीती ठोकर को इक चोट तो देना ही है
निकलकर कमरों से बाहर खा लो कसम
जो भी हो अब अपना वोट तो देना ही है
काश सही लोग अपने मत का पयोग करे तो तस्वीर ही बदल जायगी
ReplyDeleteवाह!!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ,अच्छी रचना
नई रचना ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....
बहुत सच..वोट तो देना ही है और सही उम्मीदवार को...
ReplyDeleteवाह ॥ सजग करती अच्छी रचना ...
ReplyDeletesundar smsamyik prastuti...
ReplyDeleteबिल्कुल वोट देना ही है..
ReplyDeleteअच्छी रचना
sahi samay pr sateek rachana ke liye hardik badhai Mathut ji
ReplyDeleteवैसे तो सही लोगो को ही वोट देना चाहिए लेकिन कैसे पता चलेगा कौन सही कौन गलत.जागरूक करती अच्छी रचना .
ReplyDeleteहै यही वक़्त कि अब बेरहम होकर
ReplyDeleteबीती ठोकर को इक चोट तो देना ही है
निकलकर कमरों से बाहर खा लो कसम
जो भी हो अब अपना वोट तो देना ही है /
waah yaswant jee.. sahi chot/
aap mere blog par bahut dino se nahi aaye hai/
वोट एक चोट भी है
ReplyDeleteबहुत खूब..
ReplyDeleteसार्थक और सामयिक लेखन..
मतदान तो करना ही है ,
ReplyDeleteपर मत को दान ना करके सही एवं उचित व्यक्ति को देना है
यह बात महत्वपूर्ण है |
बेहतरीन रहना ....
है यही वक़्त कि अब बेरहम होकर
ReplyDeleteबीती ठोकर को इक चोट तो देना ही है
निकलकर कमरों से बाहर खा लो कसम सार्थक और सामयिक लेखन|
सार्थक और सामयिक पोस्ट, सादर.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारकर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें, आभारी होऊंगा.
हम जिसे चुनते है , "thaali kai baigan ki tarah" दल न बदले तब वोट को मतलब है .....
ReplyDeleteसुंदर , सटीक सार्थक रचना
ReplyDeleteजी हाँ इस बार भी कई बेईमानों में से तो एक बेईमान चुनना ही पडेगा और कोई विकल्प नहीं है
ReplyDeleteहै तस्वीर का रुख जो स्याह
ReplyDeleteइस रुख को पलटना ही है
है जो अब हाथ में मौका
कुछ तो कर गुजरना ही है...
वक़्त आ गया है कुछ कर गुजरने का...सामयिक रचना
Kya baat hai Yashwant sach kaha hai agar badlaav dekhna hai toh uske liye kuch karna hoga, baithebaithe baat karne se kabhi koi samasya nahi sulajhti...
ReplyDeleteपढ़ा लिखा वोटर हर बात समझता हैं ...पर अनपढ़ वोटर के लिए आप सब क्या कहेंगे ?
ReplyDeleteआपकी पोस्ट बढ़िया है .....वोट ज़रूर देना चाहिए.....पर ऑप्शन वही अहि बुरा या उससे बुरा या सबसे बुरा :-)
ReplyDeleteutsah aur josh se bhari sarthak sandesh deti kavita...bahut achchi prastuti
ReplyDeletebahut khoob,kaash!!!!ki sab me aisi soch ka jazba ho.....
ReplyDeleteहै यही वक़्त कि अब बेरहम होकर.
ReplyDeleteबीती ठोकर को इक चोट तो देना ही है.
निकलकर कमरों से बाहर खा लो कसम.
जो भी हो अब अपना वोट तो देना ही है....बिलकुल सही कहा आपने.... अब कसम दिला दी है तो जाना ही पड़ेगा.......
है यही वक़्त कि अब बेरहम होकर.
ReplyDeleteबीती ठोकर को इक चोट तो देना ही है.
निकलकर कमरों से बाहर खा लो कसम.
जो भी हो अब अपना वोट तो देना ही है....बिलकुल सही कहा आपने.... अब कसम दिला दी है तो जाना ही पड़ेगा....
smaaz me jaagrukta failaati umda post...
ReplyDeleteपर अब न छोडूंगा तुमको
ReplyDeleteयाद रखना जाग गया हूँ
तिलिस्मी ख्वाबों से
हकीकत पर आ गया हूँ
काश देश की जनता सच में हकीकत जान ले और सही तरीके से वोट का उपयोग गारे ...
खोना नही है कोई मौका
ReplyDeleteदुश्मन को शिकस्त देना हैं
आए जो हाथ बाज़ी तो
उसे दुश्मन को नही देना हैं अच्छी रचना....जागते रहो की हुंकार भरती हुई
aapki yeh kavita acchi lagi.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDelete"पर अब न छोडूंगा तुमको
ReplyDeleteयाद रखना जाग गया हूँ
तिलिस्मी ख्वाबों से
हकीकत पर आ गया हूँ...." सच को दर्पण दिखाती बातें मर्मस्पर्शी हैं.शब्दों के माला में गुंथे भाव प्रसंशनीय है...
सादर...१
"पर अब न छोडूंगा तुमको
ReplyDeleteयाद रखना जाग गया हूँ
तिलिस्मी ख्वाबों से
हकीकत पर आ गया हूँ..."सच को दर्पण दिखाती बातें मर्मस्पर्शी हैं.शब्दों के माला में गुंथे हृदय के भाव प्रसंशनीय हैं...
सादर...!
यशवंत जी,आपकी रचना बहुत अच्छी लगी,लाजबाब सुंदर पंक्तियाँ,..
ReplyDeleteMY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...
bahut sundar samayik kavita
ReplyDeleteसार्थक रचना..
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