न मिलना मुझको है
न मिलना तुमको है
फिर क्यूँ करूँ शक
नियति की नीयत पर
क्यूँ करूँ शिकायत
जो मन मे भीतर तक
दबी हुई है
बस हो चुका
ये क्षणिक सा मिलना
तुम अपनी राह
मैं अपनी राह
है बस एक ही चाह
वक़्त की चौखट पर
अगर कभी
फिर मिले तो
यादों की गठरी से
निकाल लेना
वो तस्वीर
जिसे बनाया था
हमने
अपनी बातों से!
न मिलना तुमको है
फिर क्यूँ करूँ शक
नियति की नीयत पर
क्यूँ करूँ शिकायत
जो मन मे भीतर तक
दबी हुई है
बस हो चुका
ये क्षणिक सा मिलना
तुम अपनी राह
मैं अपनी राह
है बस एक ही चाह
वक़्त की चौखट पर
अगर कभी
फिर मिले तो
यादों की गठरी से
निकाल लेना
वो तस्वीर
जिसे बनाया था
हमने
अपनी बातों से!
न मिलना मुझको है
ReplyDeleteन मिलना तुमको है
फिर क्यूँ करूँ शक
नियति की नीयत पर
क्यूँ करूँ शिकायत
जो मन मे भीतर तक
दबी हुई है
बस हो चुका
ये क्षणिक सा मिलना
तुम अपनी राह
मैं अपनी राह......
vaah.....
kya baat hai....
"kisi rah mein
kisi mod par...
gar kabhi mile
ham aur tum to......"
बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteवाह!!!!यशवंत जी,... बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर रचना
ReplyDeleteMY NEW POST ...काव्यान्जलि...सम्बोधन...
क्यूँ करूँ शिकायत
ReplyDeleteजो मन मे भीतर तक
दबी हुई है
बस हो चुका
ये क्षणिक सा मिलना
जहा इतने गहरे हों प्यार ,
शिकायत अपने आप जगह बना लेती है.... :)
बेहद सुंदर।
ReplyDelete"यादों की गठरी से
ReplyDeleteनिकाल लेना
वो तस्वीर
जिसे बनाया था
हमने
अपनी बातों से!"
बहुत सुंदर।
सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई | मेरे ब्लॉग पर
ReplyDeleteआपका स्वागत है |
वाह!
ReplyDeleteक्या बात है.....
वाह जी सुंदर सीघी सरल बात.
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर यशवंत जी...
अगर कभी
फिर मिले तो
यादों की गठरी से
निकाल लेना
वो तस्वीर
जिसे बनाया था
हमने
अपनी बातों से!..
अति सुन्दर....
सस्नेह..
अगर कभी
ReplyDeleteफिर मिले तो
यादों की गठरी से
निकाल लेना
वो तस्वीर
जिसे बनाया था
हमने
अपनी बातों से!
Bahut sundar bhaav.....
बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteप्रेम होगा तो शिकायत भी होगी…………सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहूत हि गहन भावाभिव्यक्ती है.
ReplyDeleteदिल को छु लेनेवाले भाव है .
एक अनुठी विरह वेदना
क्या कहू,,,,तारीफ में शब्द नही ....
:-)
सुन्दर सृजन , सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबस हो चुका
ReplyDeleteये क्षणिक सा मिलना
तुम अपनी राह
मैं अपनी राह
wah bhai maathur ji ...kya khoob likha hai apne ...badhai sweekaren .
यादों की गठरी से
ReplyDeleteनिकाल लेना
वो तस्वीर
जिसे बनाया था
हमने
अपनी बातों से!
बहुत सुन्दर भाव ......
अर्थपूर्ण भी , भावपूर्ण भी......
ReplyDeleteवक़्त की चौखट पर
ReplyDeleteअगर कभी फिर मिले तो
यादों की गठरी से
निकाल लेना वो तस्वीर
जिसे बनाया था हमने
अपनी बातों से!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
सादर
यादों की गठरी से
ReplyDeleteनिकाल लेना
वो तस्वीर
जिसे बनाया था
हमने
अपनी बातों से!.......बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति...शिव रात्रि पर हार्दिक बधाई..
बहुत खूब ... यादों की गठरी संभाल के रखना जरूरी है ... जीने के लिए ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteवाह! क्या खूब...
ReplyDeleteहार्दिक बधाई..
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति..
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