18 February 2012

अगर कभी मिले तो.......

न मिलना मुझको है
न मिलना तुमको है
फिर क्यूँ करूँ शक
नियति की नीयत पर
क्यूँ करूँ शिकायत
जो मन मे भीतर तक
दबी हुई है
बस हो चुका
ये क्षणिक सा मिलना
तुम अपनी राह
मैं अपनी राह
है बस एक ही चाह
वक़्त की चौखट पर
अगर कभी
फिर मिले तो
यादों की गठरी से
निकाल लेना
वो तस्वीर
जिसे बनाया था
हमने
अपनी बातों से!

24 comments:

  1. न मिलना मुझको है
    न मिलना तुमको है
    फिर क्यूँ करूँ शक
    नियति की नीयत पर
    क्यूँ करूँ शिकायत
    जो मन मे भीतर तक
    दबी हुई है
    बस हो चुका
    ये क्षणिक सा मिलना
    तुम अपनी राह
    मैं अपनी राह......

    vaah.....
    kya baat hai....

    "kisi rah mein
    kisi mod par...
    gar kabhi mile
    ham aur tum to......"

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  2. बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......

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  3. वाह!!!!यशवंत जी,... बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर रचना

    MY NEW POST ...काव्यान्जलि...सम्बोधन...

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  4. क्यूँ करूँ शिकायत
    जो मन मे भीतर तक
    दबी हुई है
    बस हो चुका
    ये क्षणिक सा मिलना

    जहा इतने गहरे हों प्यार ,
    शिकायत अपने आप जगह बना लेती है.... :)

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  5. बेहद सुंदर।

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  6. "यादों की गठरी से
    निकाल लेना
    वो तस्वीर
    जिसे बनाया था
    हमने
    अपनी बातों से!"
    बहुत सुंदर।

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  7. सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई | मेरे ब्लॉग पर
    आपका स्वागत है |

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  8. वाह!
    क्‍या बात है.....

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  9. वाह....
    बहुत सुन्दर यशवंत जी...

    अगर कभी
    फिर मिले तो
    यादों की गठरी से
    निकाल लेना
    वो तस्वीर
    जिसे बनाया था
    हमने
    अपनी बातों से!..

    अति सुन्दर....
    सस्नेह..

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  10. अगर कभी
    फिर मिले तो
    यादों की गठरी से
    निकाल लेना
    वो तस्वीर
    जिसे बनाया था
    हमने
    अपनी बातों से!

    Bahut sundar bhaav.....

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  11. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  12. प्रेम होगा तो शिकायत भी होगी…………सुन्दर रचना

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  13. बहूत हि गहन भावाभिव्यक्ती है.
    दिल को छु लेनेवाले भाव है .
    एक अनुठी विरह वेदना
    क्या कहू,,,,तारीफ में शब्द नही ....
    :-)

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  14. सुन्दर सृजन , सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  15. बस हो चुका
    ये क्षणिक सा मिलना
    तुम अपनी राह
    मैं अपनी राह

    wah bhai maathur ji ...kya khoob likha hai apne ...badhai sweekaren .

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  16. यादों की गठरी से
    निकाल लेना
    वो तस्वीर
    जिसे बनाया था
    हमने
    अपनी बातों से!
    बहुत सुन्दर भाव ......

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  17. अर्थपूर्ण भी , भावपूर्ण भी......

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  18. वक़्त की चौखट पर
    अगर कभी फिर मिले तो
    यादों की गठरी से
    निकाल लेना वो तस्वीर
    जिसे बनाया था हमने
    अपनी बातों से!

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

    सादर

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  19. यादों की गठरी से
    निकाल लेना
    वो तस्वीर
    जिसे बनाया था
    हमने
    अपनी बातों से!.......बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति...शिव रात्रि पर हार्दिक बधाई..

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  20. बहुत खूब ... यादों की गठरी संभाल के रखना जरूरी है ... जीने के लिए ...

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  21. वाह! क्या खूब...
    हार्दिक बधाई..

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  22. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति..

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