न रागों की पहचान मुझे
न साज सजाना आता है
हैं रस- छंद- अलंकार अबूझे
न गीत बनाना आता है
क्या होते सप्तरंग सुर
संगीत,कोकिला ही जाने
है बहुत डगमग यह डगर
न रंग रचाना आता है
बस कहता है कुछ शब्द मन
भाव कहीं धुंधलाता है
अब तक यह न समझ सका
क्यों फागुन चला आता है ?
न साज सजाना आता है
हैं रस- छंद- अलंकार अबूझे
न गीत बनाना आता है
क्या होते सप्तरंग सुर
संगीत,कोकिला ही जाने
है बहुत डगमग यह डगर
न रंग रचाना आता है
बस कहता है कुछ शब्द मन
भाव कहीं धुंधलाता है
अब तक यह न समझ सका
क्यों फागुन चला आता है ?
बहुत ही सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,...
ReplyDeleteरचना प्रकाशित होने के लिए बधाई...
RESENT POST...फुहार...फागुन...
अब तक यह न समझ सका
ReplyDeleteक्यों फागुन चला आता है ?
............ बहुत ही सुन्दर लिखा है यशवंत जी .
रंगों से अंग भिगोने को
साज औ राग सजाने को
मन सराबोर करने को ही
ये फागुन चला आता है
बहुत सुंदर भावों का संयोजन ...
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteसुंदर रचना!
ReplyDeleteफागुन के बात निराले॥
ReplyDeleteसावन के रात निराले ... बहुत सुन्दर भाई
सुंदर भाव .......
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत सुंदर!
ReplyDeleteमन की एक मासूम सी अबूझ पहेली को सुंदर कविता में ढाल दिया है आपने ! बधाई !
ReplyDeleteबस कहता है कुछ शब्द मन
ReplyDeleteभाव कहीं धुंधलाता है
अब तक यह न समझ सका
क्यों फागुन चला आता है ?
बहुत सुन्दर भाव...
बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteआपको सपरिवार रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ......!!!!
बहुत सुंदर रचना, बेहतरीन प्रस्तुति,...
ReplyDeleteMY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...:बसंती रंग छा गया,...
बहुत सुन्दर.............
ReplyDeleteढेर सारी बधाई भी.........
सस्नेह.
सुन्दर भावाभिव्यक्ति....बधाई
ReplyDeleteBahut hi sundar bhavabhivyakti!
ReplyDeleteDheron shubhkaamnayen!
Saadar
colorful n vibrant post :)
ReplyDeletebelated happy holi to u yash !!!
bahut pasand aayee.....
ReplyDeletebeautiful :)
ReplyDeletevery refreshing...
ReplyDeleteबेहतरीन भावो का संयोजन..
ReplyDeleteसुंदर रचना...
bahut sunder
ReplyDeleteबस कहता है कुछ शब्द मन
ReplyDeleteभाव कहीं धुंधलाता है
अब तक यह न समझ सका
क्यों फागुन चला आता है ? thodi busy thi to holi me apki itni khubsurat rachna padh nhi paayi.... aaj padha to kuch kahe na aisa ho nhi sakta tha.... aap ne likha hi itna accha hai..... bhaut hi acchi lagi....