मैं आज नहीं
बीता हुआ कल हूँ
बीते हुए कल का
एक यादगार पल हूँ
कुछ खट्टा
कुछ मीठा
कुछ तीखा
कुछ कडुआ
जानता हूँ
मेरे एक हिस्से को
चाहोगे तुम
सहेज कर रखना
और एक हिस्से को
चाहोगे करना ज़ुदा
अपने मन से
मगर
रह रह कर
कराता रहूँगा एहसास
तुम्हारी ताकत का
कमजोरी का
क्योंकि
मैं आज नहीं
बीता हुआ कल हूँ
बीता हुआ कल हूँ
बीते हुए कल का
एक यादगार पल हूँ
कुछ खट्टा
कुछ मीठा
कुछ तीखा
कुछ कडुआ
जानता हूँ
मेरे एक हिस्से को
चाहोगे तुम
सहेज कर रखना
और एक हिस्से को
चाहोगे करना ज़ुदा
अपने मन से
मगर
रह रह कर
कराता रहूँगा एहसास
तुम्हारी ताकत का
कमजोरी का
क्योंकि
मैं आज नहीं
बीता हुआ कल हूँ
बीते हुए कल से कितना कुछ सीख सकते हैं ...आने वाले कल के लिए...
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति..
कल के दिनों को शब्दों के भावों में बड़ी खूबसूरती गांठ रखी है...
ReplyDeleteबेहतरीन..
बहुत खूब कहा है यशवंत जी, बीता हुआ कल बीत कर भी हर पल अपनी मौजूदगी का अहसास करता रहता है ...... सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteशानदार .....अपनी ही एक कविता याद आ गई ...लिंक दे रहा हूँ शायद पसंद आये ...
ReplyDeletehttp://azeemkikavitaayen.blogspot.in/2011/12/blog-post_06.html
सशक्त रचना ......बधाई यशवंत जी ..../
ReplyDelete"मगर /रह रह कर /कराता रहूँगा एहसास "........
एहसास बाकी रहना चाहिए ....बस
बढ़िया है पोस्ट......पर बीते हुए कल से निकलना ज़रूरी है क्योंकि आज भी बहुत जल्द कल में बदल जाने वाला है ।
ReplyDeleteमेरे एक हिस्से को
ReplyDeleteचाहोगे तुम
सहेज कर रखना
और एक हिस्से को
चाहोगे करना ज़ुदा
सटीक कथन ...
अच्छाई बुराई से भरा ये मन ...कुछ अच्छा हर इंसान के पास होता ही है जिससे हम ताकत ले सकें ...!!
क्या बात है...
ReplyDeleteबीता हुआ पल अपना अस्तित्व खोता नहीं है कभी भी...
मेरे ब्लॉग में आने के लिए आपका शुक्रिया.
sach kaha..chahkar bhi beete huye palo se naata nahin tod sakte,...vo rah rah kar yad aa hi jate hai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव हैं यशवंत..
ReplyDeleteसच है बीता कभी बीतता नहीं है...
सस्नेह.
बीते हुआ कल लौट कर नही आता,अतीत के अनुभव आज जीने का रास्ता बताते है,...
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना के लिए बधाई,...
NEW POST ...फुहार....: फागुन लहराया...
jo aaj hai wah kal ho jaata hai...
ReplyDeleteबीते हुए कल का
एक यादगार पल हूँ
..sach achhe se din din beet jaay aur kya chahiye hota hai..
bahut sundar sarthak rachna..
बहुत ही अच्छी लगी..
ReplyDeleteबीता हुआ पल कुछ भूलने नहीं देता , ना अच्छा , ना बुरा !
ReplyDeleteयूँ तो बुरे को भूल जाना ही बेहतर है !
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeletebahut sundar rachna sirji.. beetey hue pal yaad naa rakhein jaayein to aane wale palo mein mushkilein badh jaati hain...
ReplyDeleteआज भी याद है.... वो बीता हुआ कल...... बहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeleteक्योंकि
ReplyDeleteमैं आज नहीं
बीता हुआ कल हूँ waah....
बहूत हि सुंदर
ReplyDeleteसशक्त रचना है...
बेहतरीन भाव अभिव्यक्ती....:-)
यही तो मुश्किल है,और यही सच भी !
ReplyDeleteबीता हुआ पल हर पल साथ रहता है और सिखाता है जीवन जीना... सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकल की खूबी-खामियाँ, रखो बाँध के गाँठ ।
ReplyDeleteविश्लेषण करते रहो, उमर हो रही साठ ।
उमर हो रही साठ, हुआ सठियाना चालू ।
बहुत निकाला तेल, मसल कर-कर के बालू ।
दिया सदा उपदेश, गम भी थोड़ा खा मियाँ ।
देत खामियाँ क्लेश, कल की खूबी ला मियाँ ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
शुक्रवारीय चर्चा मंच पर आपका स्वागत
ReplyDeleteकर रही है आपकी रचना ||
charchamanch.blogspot.com
'आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है...जिंदगी पर वो सदायें पीछा करती हैं'.....एकदम सच्ची बात....
ReplyDeleteसंभाल कर रखें , सुंदर अच्छी लगी रचना .....
ReplyDelete"मगर
ReplyDeleteरह रह कर
कराता रहूँगा एहसास
तुम्हारी ताकत का
कमजोरी का
क्योंकि
मैं आज नहीं
बीता हुआ कल हूँ"
बहुत सुंदर !
सशक्त और प्रभावी रचना ...
ReplyDeleteकल ही तो इतिहास है
ReplyDeleteसुन्दर..पोस्ट . होली की शुभ कामनाएं
बहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
रह रह कर
ReplyDeleteकराता रहूँगा एहसास
तुम्हारी ताकत का
कमजोरी का
क्योंकि
मैं आज नहीं
बीता हुआ कल हूँ
jo beete hue kal par nazar rakhte hain..vahi apne aaj ko sudhar sakte hain....
बहुत सुंदर
ReplyDeleteउत्कृष्ट सृजन, विचारों को प्रवाह देता हुआ ...सुन्दर है बधाईयाँ /
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteGyan Darpan
..
sundar kavita
ReplyDeleteहाँ एहसास कराता रहता है बिता हुआ कल .
ReplyDeleteहाँ एहसास कराता रहता है बीता हुआ कल .
ReplyDeletesunder-sunder abhiyakti....
ReplyDeleteaapki aawaz me bhi sunna chahenge...............
इन्दु जी ,
Deleteआपकी इच्छानुसार इसे रिकॉर्ड करके इस लिंक पर लगाया है--http://bakwasofyashwant.blogspot.in/2012/03/audio-vesion.html
सादर
we can learn a lot from our past !!
ReplyDeletean awesome read as ever yash..
hope u doin fine !!
कुछ खट्टा
ReplyDeleteकुछ मीठा
कुछ तीखा
कुछ कडुआ
बीता हुआ कल पर ही तो ....
आज .... और ,आने वाला
कल .... निर्भर करता है.....
कुछ खट्टा
कुछ मीठा
कुछ तीखा
कुछ कडुआ
वाह बहुत खूब ....आज और कल की खूबसूरत परिभाषा
ReplyDeleteYashwant ji
ReplyDeletebahut sundar likha hain aapne.
beete hue pal ke har anubhav
se hi vartmaan hota hain behtar
aur bhavishy hota hain ujjwal.
very touching :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर अहसास...हमारा अतीत किसी न किसी रूप में सामने आता ही रहता है !
ReplyDeleteरह रह कर
ReplyDeleteकराता रहूँगा एहसास
तुम्हारी ताकत का
कमजोरी का
क्योंकि
मैं आज नहीं
बीता हुआ कल हूँ
बहुत सुंदर....मन का विश्वास जगाती कविता....
हार्दिक बधाई..
कल के साथ ही ऐसा नही हैं बस हमारे साथ भी ऐसा ही हैं कुछ.....वो हमारे अच्छे हिस्से को रखना चाहते हैं और बुरे हिस्से को उखाड़ फेकना और फिर भी यही कहते हैं कि तुम जैसे हो हमने तुम्हे वैसा ही कबूल किया हैं
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
आपके "बीते हुए कल" को पढकर मेरा मन भी बीते पल में पलायन कर गया और मुखर हो ही गया! आश करती हूँ कि आपको मेरा "बीता कल" भी पसंद आएगा।
ReplyDeleteजो कविता एक और कविता को जन्म दे उसके लिए सिवाए अति उत्तम के कुछ और कहा ही नहीं जा सकता।
सच कहा है ... बीता हुवा कल आज बनके सामने आता रहता है हमेशा ...
ReplyDeletebahut sundar rachna
ReplyDeleteमेरे प्रिय दोस्त होली की सपरिवार शुभकामनायें |
ReplyDeleteशब्दों एवं भावों का बहुत ही सुन्दर एवं प्रभावशाली प्रवाह... शशक्त रचना के लिए बधाई...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteहोली की ढेर साडी शुभकामनायें !
yashvant ji der se aane ke liye kshama chahti hoon aapki is shandar rachna ke liye badhaai bahut shreshth prastuti.holi ki shubhkamna.
ReplyDeleteआपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ............... बीते पालो से बहुत कुछ सीखा जा सकता है ...........
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति .....
ReplyDelete