सोचा था
खाली पड़े
इस कैनवास पर
खींच दूँ
कुछ आड़ी तिरछी
रंगीन रेखाएँ
वक़्त की पृष्ठभूमि
पर उकेर दूँ
जीवन का चित्र
बना दूँ
कुछ मुखौटे
जिनका चरित्र
झांक रहा हो
मन की खिड़की से
मेरे पास
कैनवास भी है
रंग भी हैं
कूची भी है
कल्पना भी है
मगर
यह कोरा कैनवास
रंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
खाली पड़े
इस कैनवास पर
खींच दूँ
कुछ आड़ी तिरछी
रंगीन रेखाएँ
वक़्त की पृष्ठभूमि
पर उकेर दूँ
जीवन का चित्र
बना दूँ
कुछ मुखौटे
जिनका चरित्र
झांक रहा हो
मन की खिड़की से
मेरे पास
कैनवास भी है
रंग भी हैं
कूची भी है
कल्पना भी है
मगर
यह कोरा कैनवास
रंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
ज़िन्दगी का कैनवास ,रंगीन ही होना चाहिए..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
बहुत गहरी बात कह दी............
ReplyDeleteबहुत बहुत बढ़िया यशवंत............
जियो.
यह कोरा कैनवास
ReplyDeleteरंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
बहुत गहरी बात!
सादर
मगर
ReplyDeleteयह कोरा कैनवास
रंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
गहन रचना ...
बहुत सुंदर भाव लिए रचना, बेहतरीन प्रस्तुति.......
ReplyDeletegahan bhav liye sunder rachna.....
ReplyDeleteगहन रचना!
ReplyDeleteबेहद सुन्दर भाव लिए रचना..... आपकी सुमधुर बाणी में रचना की प्रस्तुति ओर भी सुन्दर हो गयी है ..शुभ कामनाएं यशवंत जी .... !!!
ReplyDeleteयह कोरा कैनवास
ReplyDeleteरंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
जब तक पूर्वाग्रह नहीं हटते तब तक नए रंग कैसे आयें ज़िंदगी में ...बहुत गहन भाव लिए अच्छी प्रस्तुति
वास्तव में ही कठिन है पूर्वाग्रहों को छोड़ पाना
ReplyDeleteबहुत खूब...सुन्दर...
ReplyDeleteमगर
ReplyDeleteयह कोरा कैनवास
रंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
Bahut Hi Sunder...
यहाँ कोरा कहाँ ढूँढ रहे हैं, सब छिंटे हुये हैं यशवंत जी !
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteगहन रचना ...उत्कृष्ट !!
ReplyDeleteइन्दिरा मुखोपाध्याय जी की ईमेल से प्राप्त टिप्पणी--
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,क्या संजोग हा i,कल में भी खली कनवास पर ही कुछ सोच रही थी.बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है|
मखमली शब्दों के धागे में पिरोकर बड़ी ही मार्मिक अभिव्यक्ति की है.
ReplyDeleteहृदय को छू लेने वाले भाव हैं...
सादर...!!!
bahut hi sundar aur shandar post.
ReplyDeleteखाली भी है, कोरा भी है और रंगा भी हुआ है...जीवन कितना विरोधाभासी है...
ReplyDeleteबहुत ही सत्य....सबका जीवन विरोधाभासों से भरा हुआ है.....बढ़िया रचना...
ReplyDeleteयह कोरा कैनवास
ReplyDeleteरंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।......कितना सही कहा है यशवंत जी आपने , पाले से रंगे हुए जीवन के कैनवास पर नया चित्र उकेरना वाकई मुश्किल हो जाता है!
वाह बहुत खूब ...नए रंगों से सजी कविता
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
ReplyDeleteचर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
पूर्वाग्रह की आड़ में स्वयं की सोच कही खो जाती है ...
ReplyDeleteअच्छा लिखा है !
मेरे पास
ReplyDeleteकैनवास भी है
रंग भी हैं
कूची भी है
कल्पना भी है
मगर
यह कोरा कैनवास
रंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
वाह बहुत सुन्दर रचना |
bahut sunder
ReplyDeleteमेरे पास
ReplyDeleteकैनवास भी है
रंग भी हैं
कूची भी है
कल्पना भी है
मगर
यह कोरा कैनवास
रंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
गहन अभिव्यक्ति लिए सुंदर कविता.
सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,भावपूर्ण अभिव्यक्ति सुंदर रचना,...
ReplyDeleteRESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
रंगा हुआ कैनवास
ReplyDeletetitle in itself was so captivating :)
an awesome read as ever !!
बिना रंग के खाली केनवास पर क्या रखा है |रंग सयोजन ने ही तो उसे केनवास बनाया है
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
आशा
मगर
ReplyDeleteयह कोरा कैनवास
रंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।
bahut achcha likhe hain.....
speechless.........
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति ..बहुत सुन्दर यशवन्त....
ReplyDeleteगज़ब की अभिव्यक्ति !!!
ReplyDeleteलाज़वाब प्रस्तुति..बिना पूर्वाग्रहों को त्यागे ज़िंदगी में आगे नहीं बढ़ा जा सकता..
ReplyDeletehttp://aadhyatmikyatra.blogspot.in/
यह कोरा कैनवास
ReplyDeleteरंगा हुआ है
पहले ही
पूर्वाग्रह के
छीटों से ।.. kuch kahne ke liye choda hi nhi aapne.... ek gahri abhivaykti....