रह रह कर
मन के पर्दे पर
उभर रही हैं
कुछ तस्वीरें
जो बरबस
तैर रही हैं
आँखों के सामने
ये तस्वीरें
दिन का ख्वाब हैं
या सहेजी हुई
कोई बेशक्ल
बेतुकी नज़्म
या किसी
पुरानी किताब
के गलते पन्नों पर
अस्तित्व खोते अक्षर
कह नहीं सकता
ये तस्वीरें
जो भी हैं
बहुत चुभ रही हैं
आँखों को
न जाने क्यों ?
मन के पर्दे पर
उभर रही हैं
कुछ तस्वीरें
जो बरबस
तैर रही हैं
आँखों के सामने
ये तस्वीरें
दिन का ख्वाब हैं
या सहेजी हुई
कोई बेशक्ल
बेतुकी नज़्म
या किसी
पुरानी किताब
के गलते पन्नों पर
अस्तित्व खोते अक्षर
कह नहीं सकता
ये तस्वीरें
जो भी हैं
बहुत चुभ रही हैं
आँखों को
न जाने क्यों ?
तस्वीर का दूसरा रुप भी देखना जो आखो को सुकून अवश्य देगी...सुन्दर अभिव्यक्ति... यशवन्त !बहुत -बहुत धन्यवाद ..तुम सब का प्यार और शुभकामनाओ से ही मैं जल्दी ही फिट होजाऊँगी..
ReplyDeleteये तस्वीरें
ReplyDeleteदिन का ख्वाब हैं
या सहेजी हुई
कोई बेशक्ल
बेतुकी नज़्म
या किसी
पुरानी किताब
के गलते पन्नों पर
अस्तित्व खोते अक्षर
कह नहीं सकता
..man ki manah esthti ko ujagar karti steek prastuti...
मन के भावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeletekabhi kabhi man ki sthiti eysi ho jaati hai har tasveer dhundli berang najar aati hai bahut achche se mansthiti ka chitran kiya hai.
ReplyDeleteबेहद मार्मिक अभिव्यक्ति है...
ReplyDeleteसादर...!!
विकल ह्रदय की कथा कहती....सुंदर रचना ...
ReplyDeletebahut achcha likha hai yashvant jee....heart touching.thanks.
ReplyDeleteमन की व्याकुलता स्पष्ट करते शब्द ... सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मार्मिक रचना...
ReplyDeleteगहन भाव दर्शाती रचना:-)
bahut sundar bhavabhivyakti.badhai.
ReplyDeleteया किसी
ReplyDeleteपुरानी किताब
के गलते पन्नों पर
अस्तित्व खोते अक्षर
कह नहीं सकता....
बहुत सुंदर प्रस्तुति,अच्छी रचना.....
MY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
बहुत सुन्दर यशवंत........
ReplyDeleteतस्वीर बह जाये आँखों से तो चुभन कम हो....
सस्नेह.
प्रभावशाली अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteमन की भावनाओं को सुन्दर शब्द दिए हैं आपने.
ReplyDeleteसादर
अस्तित्व खोते अक्षरों की तहरीरें आँखों को चुभेंगी ही ...
ReplyDeleteअक्षरों से जिंदगी झांके और तस्वीरों का सुहाना मौसम हो जाए ...
शुभकामनायें !
ये तस्वीरें
ReplyDeleteदिन का ख्वाब हैं
या सहेजी हुई
कोई बेशक्ल
बेतुकी नज़्म
या किसी
पुरानी किताब
के गलते पन्नों पर
अस्तित्व खोते अक्षर
कह नहीं सकता
bahut khoob
सुन्दर भाव संयोजन..
ReplyDeletewah wah wah...behad khoob yashwant ji...
ReplyDeleteमन है तो कुछ न कुछ दिखायेगा ही...शब्दों में कैद कर कविता में ढालना एक कला है...आभार!
ReplyDelete:)
ReplyDeleteYashvant ji rachna me aaye bhav marmik hain,
ReplyDeleteमन को छूती पंक्तियाँ ....बहुत सुंदर
ReplyDeleteजो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं
ReplyDeleteऔर फिर
तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी.
कभी कभी कुछ ऐसा होता जो अटका रहता है मन में और तस्वीर तो बहाना बन जाती है ... मन को छू रही हैं पंक्तियाँ ...
ReplyDeleteहो जाता है कुछ तस्वीरे ज़ेहन में बस जाती हैं.....वक़्त के साथ अक्स धुंधले पड़ जाते हैं ।
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteये तस्वीरें
ReplyDeleteजो भी हैं
बहुत चुभ रही हैं
आँखों को
............सुंदर अभिवयक्ति
tasveero ke itne rup to aap ki rachna me hi milte hai.....
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