मेरे एक बहुत ही अज़ीज़ पूर्व सहकर्मी और मित्र जो मेरे फेसबुक मित्र भी हैं ,आज उन्होने 'बीयर' पर अपना एक स्टेटस दिया है (
उनके इस स्टेटस को पढ़ कर जो कुछ मन मे आया वो टाइप होता चला गया और अब आपके सामने इस रूप मे प्रस्तुत है -------
कोई खुद पीता है
कोई पिलाता है
कोई खुद झूमता है
कोई झूमाता है
कभी खुद के पैसों से
कभी यारों के करम पे
न जाने कौन से नशे मे
किस नतीजे की तलाश मे
बेढब उजालों मे
या अँधेरों की आस मे
कभी खुद लुटता है
कभी खुद को लुटाता है
इस नशे से
शराब से
कैसा ये नाता है
समझ नहीं आता है
है अजीब सी राह
कश्मकश से भरी
जिसके हर मोड पर
कांटे हैं फूल नहीं
जो अँधेरों से शुरू होती है
अँधेरों पर ही खतम
ढाती है सितम
बेगुनाहों पर मगर
भरी बोतल को अक्ल
कभी आती नहीं
'बीयर' है कि मानती नहीं।
उनके इस स्टेटस को पढ़ कर जो कुछ मन मे आया वो टाइप होता चला गया और अब आपके सामने इस रूप मे प्रस्तुत है -------
कोई खुद पीता है
कोई पिलाता है
कोई खुद झूमता है
कोई झूमाता है
कभी खुद के पैसों से
कभी यारों के करम पे
न जाने कौन से नशे मे
किस नतीजे की तलाश मे
बेढब उजालों मे
या अँधेरों की आस मे
कभी खुद लुटता है
कभी खुद को लुटाता है
इस नशे से
शराब से
कैसा ये नाता है
समझ नहीं आता है
है अजीब सी राह
कश्मकश से भरी
जिसके हर मोड पर
कांटे हैं फूल नहीं
जो अँधेरों से शुरू होती है
अँधेरों पर ही खतम
ढाती है सितम
बेगुनाहों पर मगर
भरी बोतल को अक्ल
कभी आती नहीं
'बीयर' है कि मानती नहीं।
जो अँधेरों से शुरू होती है
ReplyDeleteअँधेरों पर ही खतम
वाह बहुत अच्छे
वाह ...बहुत बढिया।
ReplyDeleteभिया, अपनी तो कोका कोला ही मस्त है .... :)
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteबढ़िया!!!!
वाह ………बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बढिया ....
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeleteबहुत बढिया, मैं भी देखता हूं
संडे बीयर के साथ.. हाहाहहााहहा
BAHUT KHOOB .BADHAI
ReplyDeleteLIKE THIS PAGE AND SHOW YOUR PASSION OF INDIAN HOCKEY मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड
जिसके हर मोड पर
ReplyDeleteकांटे हैं फूल नहीं
जो अँधेरों से शुरू होती है
अँधेरों पर ही खतम
...वाह! बहुत सुंदर...
bahut khoobh
ReplyDeleteसचमुच, 'बीयर' है कि मानती नहीं!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सर
सादर
:)
ReplyDeleteपढ़ने से ही हलचल हो गई............मादक रचना....
ReplyDeleteजो अँधेरों से शुरू होती है
ReplyDeleteअँधेरों पर ही खतम
ढाती है सितम
बेगुनाहों पर मगर
Ekdam Sateek....
Could I get a translation too? Nice piece of poetry.
ReplyDeleteJeewan ki tarah,jo ki maantta hi nahi,sunder rachna.
ReplyDeleteक्या बात है !
ReplyDeleteभरी बोतल को अक्ल
ReplyDeleteकभी आती नहीं
'बीयर' है कि मानती नहीं।
बिलकुल सही बात यशवंत जी.
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
good one.
ReplyDeleteसच कहा ...ये ही शुरुआत हैं
ReplyDeleteबेहतरीन........
ReplyDeleteसत्य वचन!
ReplyDeleteमेरा पिछला पोस्ट भी इसी विषय पर था..
कविता जब पानी की तरह बहती जाए ...तो मज़ा आ जाता है पढने में ......प्रवाहमयी रचना !
ReplyDeleteसही है।
ReplyDeleteReceive on mail---
ReplyDeleteindira mukhopadhyay ✆ indumukho@gmail.com
Mar 27 (6 days ago)
to me
bahut khub Yashwantji.
Receive on mail---
ReplyDeleteyashoda agrawal ✆ Mar 27 (6 days ago)
बेगुनाहों पर मगर........मन तो कहता है पर....खूब अच्छी कविता है
acchi hai....
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