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03 May 2012

बस यूं ही......

सूई से चुभते फूल
अब सुहाते नहीं है
कोमल से शूल
कुछ सुनाते नहीं हैं

मुंह फुला कर बैठा है
गमले मे गुलाब
गेंदा और बेला
नज़र उठाते नहीं हैं

न जाने क्या हुआ कि
क्यारियाँ भी सूख गयीं
गुलशन जो थे हलक
अब कुछ कह पाते नहीं हैं।

>>>>यशवन्त माथुर <<<<

30 comments:

  1. waah behad khubsurat shayad mausam ka asar hai

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  2. न जाने क्या हुआ कि
    क्यारियाँ भी सूख गयीं
    गुलशन जो थे हलक
    अब कुछ कह पाते नहीं हैं ,
    *बस यूँ ही कुछ होता नहीं
    जो होता है अच्छे के लिए होता ,सुहाता नहीं.... !!

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  3. वाह ...बहुत खूब लिख्‍खा है आपने ...

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  4. न जाने क्या हुआ कि
    क्यारियाँ भी सूख गयीं
    गुलशन जो थे हलक
    अब कुछ कह पाते नहीं हैं।

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति, सुंदर रचना,.....

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

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  5. बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाई यशवंत जी ||

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  6. अति सुन्दर....

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  7. वाह ....बिलकुल अलग सी ...बहुत प्रभावी रचना ...!!

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  8. सुन्दर रचना | उम्दा प्रस्तुति के लिए बधाई |

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  9. वाह वाह ज आप तो गमलों और गुलाबों से बतिया रहे हैं , खूबसूरत पंक्तियां

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  10. न जाने क्या हुआ कि
    क्यारियाँ भी सूख गयीं
    गुलशन जो थे हलक
    अब कुछ कह पाते नहीं हैं। behtreen rachna....

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  11. We can learn many things from nature.....1 of the best examples... good work :)

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  12. है ज़रूरी नहीं कि
    बयां हो हर तमाशा
    मिल के पूछो कभी
    क्यूं बताते नहीं हैं!

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  13. मुंह फुला कर बैठा है
    गमले मे गुलाब
    गेंदा और बेला
    नज़र उठाते नहीं हैं!

    फूलों को क्या हुआ जो मुंह फुला के बैठ गए हैं.....ज़रूर कुछ आपकी ही नादानी होगी....

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  14. मुंह फुला कर बैठा है
    गमले मे गुलाब...
    बेहतरीन पंक्तियाँ हैं,सुन्दर रचना...

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  15. वाह.....................

    बहुत सुंदर यशवंत............
    प्यारी सी रचना के लिए तुम्हें बधाई.

    सस्नेह.

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  16. बहुत प्रभावी रचना के लिए तुम्हें बधाई.

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  17. hmmm.. aisa bhi hota hai kabhi ...sundar rachna

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  18. बहुत सुंदर.... प्यारी सी रचना यशवंत........ ..
    .

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  19. कोमल पंक्तियां....

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  20. कभी - कभी इन गुलाब, गेंदों से बतियाना भी अच्छा लगता है, और इनका मुंह फुलाकर रूठ जाना भी... सुन्दर पंक्तियाँ... शुभकामनाएं

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  21. जब फूल सुयीं से चुभने लगेंगे तो कैसे भाएंगे ? दिल की बात कहती अच्छी रचना

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  22. वाह ... बहुत खूब ... लाजवाब पंक्तियाँ ...

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  23. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    इंडिया दर्पण
    की ओर से शुभकामनाएँ।

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  24. करुणा केसर जी का ई मेल से कहना है--

    फूलों के नखरे उठाएगें तो वो बस यूं ही चुभना छोड़ दें |

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  25. नि:शब्द कर गयी ये रचना ........ खुश रहो !!!

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  26. बहुत खूब||||
    सुन्दर रचना है जी..

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