05 May 2012

परछाई और मैं

(फोटो : गूगल सर्च )
 कभी साथ चलती है
कभी दूर हो लेती है
खुद की परछाई भी
मजबूर हो लेती है

उसकी मजबूरी मे जब
खुद को तलाशना चाहा
वजह पूछते ही
उसने भागना चाहा

वो बोली कि साथ
इतना ही है तेरा मेरा
मिलना कभी बिछड़ना है
गहरी रात हो या उजला सवेरा

पर एक याद है दोस्ती की
अक्सर जो साथ होती है
परछाई है किस्मत
मजबूरी मे दूर
कभी पास  होती है ।

>>>>यशवन्त माथुर<<<<

32 comments:

  1. कभी साथ चलती है
    कभी दूर हो लेती है
    खुद की परछाई भी
    मजबूर हो लेती है....bhaut hi khubsurat rachna....

    ReplyDelete
  2. वजह पूछते ही
    उसने भागना चाहा

    बहुत सरलता से मन कि बात कही है ....हम स्वयं को पहचानने से दूर ही भागते है ...स्वयं को अपनाते कहाँ हैं ....?
    बहुत अच्छी रचना ...यशवंत ..!
    शुभकामनायें ...!!

    ReplyDelete
  3. वाह लाजवाब अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  4. उसकी मजबूरी मे जब
    खुद को तलाशना चाहा
    वजह पूछते ही
    उसने भागना चाहा

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //

    MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

    MY RECENT POST .....फुहार....: प्रिया तुम चली आना.....

    ReplyDelete
  5. छोटी छोटी रचनाएं |
    बड़ी बड़ी बातें |
    सामान्य से शब्द
    भाव मुस्कुराते ||

    ReplyDelete
  6. अपनी परछाई ही आत्मानुभूति है ,प्रतिभूति है ,स्थूल न होते हुए भी स्थूल है , प्रातिकुलन की अवथा में भी अनुकूल है ,उसकी विवसता है की हमेशा पीछे, परन्तु खामोश होती है सतत साथ होती है .......अपने सन्देश देने में सफल अभिव्यक्ति ..... शुभकामनायें जी /

    ReplyDelete
  7. कभी साथ चलती है
    कभी दूर हो लेती है
    खुद की परछाई भी
    मजबूर हो लेती है...bahut sahi yashwant ji...

    ReplyDelete
  8. पर एक याद है दोस्ती की
    अक्सर जो साथ होती है
    परछाई है किस्मत
    मजबूरी मे दूर
    कभी पास होती है ।
    किस्मत की तुलना परछाई से .... वाह ,
    कितनी गहरी बात ,समझाना उतनी ही आसानी से .... !!

    ReplyDelete
  9. पर एक याद है दोस्ती की
    अक्सर जो साथ होती है
    परछाई है किस्मत
    मजबूरी मे दूर
    कभी पास होती है ।
    .....बहुत अच्छा लिखा ,शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  10. केवल यादें ही साथ रहती है ... सुंदर रचना ... !!

    ReplyDelete
  11. दोस्त भी परछाईं की तरह ही साथ निबाहते हैं ...भले ही दूर हों या पास ...सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  12. कभी साथ चलती है
    कभी दूर हो लेती है
    खुद की परछाई भी
    मजबूर हो लेती है

    वाह ...गहरी अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर प्रस्तुति । मरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  14. वाकई ....अच्छे दोस्त बड़ी मुश्किल से मिलते हैं ......जो परछाइयों को भी मात देते हैं....

    ReplyDelete
  15. कभी साथ चलती है
    कभी दूर हो लेती है
    खुद की परछाई भी
    मजबूर हो लेती है...........bahut.sundar gahan bhaav.......

    ReplyDelete
  16. बहुत सुंदर
    ऐसी रचनाएं कभी कभी पढने को मिलती है।

    (यशवंत आपका ब्लाग खुलने में बहुत दिक्कत होती है, ना जाने क्यों)

    ReplyDelete
    Replies
    1. आज टेम्प्लेट मे थोड़ा सुधार किया है सर! उम्मीद है कि ब्लॉग अब ठीक खुल रहा होगा।

      Delete
  17. सही कहा है सच्चा दोस्त भी परछाई की तरह होता है, हर दुःख हर सुख में साथ चलता है... सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  18. बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति
    सुन्दर रचना..

    ReplyDelete
  19. On mail by---indira mukhopadhyay

    पर एक याद है दोस्ती की
    अक्सर जो साथ होती है,bahut sundar.

    ReplyDelete
  20. परछाई के बहाने आपने तो बहुत कुछ कहा
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  21. सुन्दर भावपूर्ण रचना |

    ReplyDelete
  22. बहुत सुंदर यशवंत.....................

    परछाई के होने का सीधा सा मतलब है कि रौशनी कहीं आस-पास ही है....
    सस्नेह

    ReplyDelete
  23. परछाई है किस्मत
    मजबूरी मे दूर
    कभी पास होती है...really very true !!!

    ReplyDelete
  24. वाह ...बहुत बढिया।

    ReplyDelete
  25. अब क्या कहें कि गहराते अँधेरों में
    सच का उजाला तो गहरी नींद में हसीन सपना है
    सोच रहा हूँ परायों की रंगीन बस्ती में
    किस मुखौटे के पीछे कौन सा चेहरा अपना है

    बहुत बढिया।

    ReplyDelete