(फोटो : गूगल सर्च ) |
कभी दूर हो लेती है
खुद की परछाई भी
मजबूर हो लेती है
उसकी मजबूरी मे जब
खुद को तलाशना चाहा
वजह पूछते ही
उसने भागना चाहा
वो बोली कि साथ
इतना ही है तेरा मेरा
मिलना कभी बिछड़ना है
गहरी रात हो या उजला सवेरा
पर एक याद है दोस्ती की
अक्सर जो साथ होती है
परछाई है किस्मत
मजबूरी मे दूर
कभी पास होती है ।
>>>>यशवन्त माथुर<<<<
कभी साथ चलती है
ReplyDeleteकभी दूर हो लेती है
खुद की परछाई भी
मजबूर हो लेती है....bhaut hi khubsurat rachna....
वजह पूछते ही
ReplyDeleteउसने भागना चाहा
बहुत सरलता से मन कि बात कही है ....हम स्वयं को पहचानने से दूर ही भागते है ...स्वयं को अपनाते कहाँ हैं ....?
बहुत अच्छी रचना ...यशवंत ..!
शुभकामनायें ...!!
वाह लाजवाब अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteउसकी मजबूरी मे जब
ReplyDeleteखुद को तलाशना चाहा
वजह पूछते ही
उसने भागना चाहा
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //
MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
MY RECENT POST .....फुहार....: प्रिया तुम चली आना.....
छोटी छोटी रचनाएं |
ReplyDeleteबड़ी बड़ी बातें |
सामान्य से शब्द
भाव मुस्कुराते ||
अपनी परछाई ही आत्मानुभूति है ,प्रतिभूति है ,स्थूल न होते हुए भी स्थूल है , प्रातिकुलन की अवथा में भी अनुकूल है ,उसकी विवसता है की हमेशा पीछे, परन्तु खामोश होती है सतत साथ होती है .......अपने सन्देश देने में सफल अभिव्यक्ति ..... शुभकामनायें जी /
ReplyDeleteकभी साथ चलती है
ReplyDeleteकभी दूर हो लेती है
खुद की परछाई भी
मजबूर हो लेती है...bahut sahi yashwant ji...
पर एक याद है दोस्ती की
ReplyDeleteअक्सर जो साथ होती है
परछाई है किस्मत
मजबूरी मे दूर
कभी पास होती है ।
किस्मत की तुलना परछाई से .... वाह ,
कितनी गहरी बात ,समझाना उतनी ही आसानी से .... !!
पर एक याद है दोस्ती की
ReplyDeleteअक्सर जो साथ होती है
परछाई है किस्मत
मजबूरी मे दूर
कभी पास होती है ।
.....बहुत अच्छा लिखा ,शुभकामनाएं !
केवल यादें ही साथ रहती है ... सुंदर रचना ... !!
ReplyDeleteदोस्त भी परछाईं की तरह ही साथ निबाहते हैं ...भले ही दूर हों या पास ...सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteकभी साथ चलती है
ReplyDeleteकभी दूर हो लेती है
खुद की परछाई भी
मजबूर हो लेती है
वाह ...गहरी अभिव्यक्ति....
बहुत सुंदर प्रस्तुति । मरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteवाकई ....अच्छे दोस्त बड़ी मुश्किल से मिलते हैं ......जो परछाइयों को भी मात देते हैं....
ReplyDeleteकभी साथ चलती है
ReplyDeleteकभी दूर हो लेती है
खुद की परछाई भी
मजबूर हो लेती है...........bahut.sundar gahan bhaav.......
बहुत सुंदर
ReplyDeleteऐसी रचनाएं कभी कभी पढने को मिलती है।
(यशवंत आपका ब्लाग खुलने में बहुत दिक्कत होती है, ना जाने क्यों)
आज टेम्प्लेट मे थोड़ा सुधार किया है सर! उम्मीद है कि ब्लॉग अब ठीक खुल रहा होगा।
Deleteसही कहा है सच्चा दोस्त भी परछाई की तरह होता है, हर दुःख हर सुख में साथ चलता है... सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहतरीन भाव अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर रचना..
On mail by---indira mukhopadhyay
ReplyDeleteपर एक याद है दोस्ती की
अक्सर जो साथ होती है,bahut sundar.
sundar kavita yashwant bhai...
ReplyDeleteपरछाई के बहाने आपने तो बहुत कुछ कहा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
Beautiful creation..
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteबहुत खूब ...लगे रहो ...
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - लीजिये पेश है एक फटफटिया ब्लॉग बुलेटिन
सुन्दर भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteबहुत सुंदर यशवंत.....................
ReplyDeleteपरछाई के होने का सीधा सा मतलब है कि रौशनी कहीं आस-पास ही है....
सस्नेह
true...very nice :)
ReplyDeletenice!
ReplyDeleteपरछाई है किस्मत
ReplyDeleteमजबूरी मे दूर
कभी पास होती है...really very true !!!
वाह ...बहुत बढिया।
ReplyDeleteअब क्या कहें कि गहराते अँधेरों में
ReplyDeleteसच का उजाला तो गहरी नींद में हसीन सपना है
सोच रहा हूँ परायों की रंगीन बस्ती में
किस मुखौटे के पीछे कौन सा चेहरा अपना है
बहुत बढिया।