15 May 2012

मन का पंछी


कितना अजीब होता है
मन का पंछी
पल मे यहाँ
पल मे वहाँ
पल मे नजदीक
पल मे मीलों दूर
भर सकता है उड़ान
आदि से अंत तक की
 
मन का पंछी !
बोल सकता है
मौन मे भी
जी सकता है
निर्वात मे भी
कल्पना के उस पार
जा कर
खोज सकता है
रच सकता है
नित नए शब्द
नित नये चित्र
 
मन का पंछी !
मेरे मन का पंछी
अक्सर
ले चलता है मुझको
अपनी असीमित
उड़ान के साथ
शीत ,ग्रीष्म और वर्षा मे
करने को सैर
अनगिनत मोड़ों वाली
उस राह की
जिस पर छिटके हुए हैं
विचारों के
कुछ फूल और
कुछ कांटे!

<<<<
यशवन्त माथुर>>>>

27 comments:

  1. अनगिनत मोड़ों वाली
    उस राह की
    जिस पर छिटके हुए हैं
    विचारों के
    कुछ फूल और
    कुछ कांटे!

    जीवन की उड़ान भरता .. मन का पंछी ...!!
    सुंदर रचना ...!
    शुभकामनायें ...!

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  2. मन का पंछी
    एक पल इधर
    तो दुसरे पल न जाने किधर
    सुन्दर रचना ... :)

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  3. मन का पंछी अपने में दर्द भी समेटे रहता है भाई

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  4. विचारों के फूल और कांटे चुनते हुए बढ़ते रहें बस हम!

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  5. मन का पंछी !
    बोल सकता है
    मौन मे भी
    जी सकता है
    निर्वात मे भी
    कल्पना के उस पार
    उम्दा सोच की अद्धभुत अभिव्यक्ति .... !!

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  6. जिस पर छिटके हुए हैं
    विचारों के
    कुछ फूल और
    कुछ कांटे!


    मन के पंछी की उड़ान का सटीक दृश्य ...सुंदर अभिव्यक्ति

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  7. मन का पंछी
    पल मे यहाँ
    पल मे वहाँ
    पल मे नजदीक
    पल मे मीलों दूर
    भर सकता है उड़ान
    आदि से अंत तक की

    बहुत सुंदर.....

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  8. "जिस पर छिटके हुए हैं
    विचारों के
    कुछ फूल और
    कुछ कांटे!"
    मन का पंछी है ही निराला, यही साक्ष्य है, यही साक्षी भी...!!
    सुन्दर अभिव्यक्ति यशवंत भाई!
    सादर

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  9. मन पाखी उड़ता जाए...
    सुंदर रचना.

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  10. अच्छा है आप अपने मन के पंछी के साथ उड़ते रहिये..
    विचारो के फुल -काँटों को सहेजकर इसी तरह अच्छी रचनाये लिखे .....
    सुन्दर रचना:-)

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  11. on mail by-indira mukhopadhyay

    मन का पंछी, अद्भुत कल्पना,सटीक

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  12. अनुपम भावों का संगम ... बहुत अच्‍छा लिखा है आपने ।

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  13. बहुत सुंदर....................

    मन के पंछी के परों को बचाए रखना काँटों से.......और स्वार्थी बहेलियों से भी.......
    उड़ान जारी रखना.....
    ऊंची...और ऊंची....

    सस्नेह.

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  14. एक मन ही तो है जिसकी उड़ान सबसे तेज़ है ..एक पल में वोह सबसे ऊँची पहाड़ की चोटी पर पहुँच जाता है ...दूसरे ही पल महासागर की अतल गहराईओं में .....यही तो उसकी खासियत है

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  15. जिस पर छिटके हुए हैं
    विचारों के
    कुछ फूल और
    कुछ कांटे!
    बहुत सुंदर रचना,..अच्छी प्रस्तुति

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,

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  16. बहुत सुन्दर और मासूम कविता. स्नेह.

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  17. सुंदर रचना....

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  18. Man ka panchi.... bilkul sahi...esa hi hota h...jiski alag hi duniya h... :)

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  19. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 17 -05-2012 को यहाँ भी है

    .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....ज़िंदगी मासूम ही सही .

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  20. असीमित होती है मन के पंछी की उड़ान. बहुत प्यारी रचना.

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  21. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.....

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  22. वृहत आसमान... स्वच्छंद उड़ान...

    बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई।

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  23. यशवंत...इतनी सुन्दर रचना हेतु ढेर सी बधाई .

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  24. कितना अजीब होता है
    मन का पंछी
    पल मे यहाँ
    पल मे वहाँ
    पल मे नजदीक
    पल मे मीलों दूर
    भर सकता है उड़ान
    आदि से अंत तक की
    ........
    मेरो मन अनंत कहाँ सुख पावे
    जैसे उडी जहाज को पंछी पुनि जहाज पर आवे
    ..सच मन की चंचलता पर किसी का जोर नहीं ..
    बहुत सुन्दर रचना

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