चित्र साभार- http://hardinutsav.blogspot.in |
पत्थर का साथ अच्छा है .....
सिर्फ देखता है एक टक ,
सुनता है -समझता है....
न छल है उसमे कोई
सिर्फ देखता है एक टक ,
सुनता है -समझता है....
न छल है उसमे कोई
न कोई तमन्ना है ...
लहरों से टकराना है..
टूटना है बिखरना है ....
फिर अंजाम की क्या फिकर...
कि इंसान भी टूटकर
बिखरता है एक दिन .....
एक जज़्बात से टूटता है
दूसरा लहरों मे बिखरता है ।
टूटना है बिखरना है ....
फिर अंजाम की क्या फिकर...
कि इंसान भी टूटकर
बिखरता है एक दिन .....
एक जज़्बात से टूटता है
दूसरा लहरों मे बिखरता है ।
[ मेरी आदत है कुछ लिंक्स को फेसबुक पर शेयर करने की। स्वप्नगंधा जी की शायरी वाले एक लिंक पर स्वाति वल्लभा जी की एक टिप्पणी के उत्तर मे मैंने (17 मई को) उपरोक्त पंक्तियों को लिखा था। ]
<<<<<यशवन्त माथुर >>>>
बहुत ही सुन्दर...आप अपनी आदत मत बदलियेगा...अच्छी आदत है....पत्थर दिल इंसानों से मौनधारी पाषाण ही बेहतर है....
ReplyDeleteऔर हमेशा दूसरों के काम आता है ...चाहे बुत बना के पूज लो ..या फेंकर तोड़ दो .....
ReplyDeleteइंसान की फितरत भी इसलिए कभी-कभी पत्थर सा हो जाता है .... !!
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति .... !!
इन्सान भी पत्थर की तरह टूटता है, बिखरता है... सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह ,,,, बहुत सुंदर रचना,,,अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
इंसान की फितरत से
ReplyDeleteपत्थर का साथ अच्छा है .....
हाँ सही कहा आपने पत्थर इंसानों के तरह फितरत नहीं बदलता ..
बहुत बढ़िया जज्बात ...सुन्दर प्रस्तुति
सटीक .... सुंदर रचना
ReplyDeleteBahut sundar panktiyan
ReplyDeleteबहुत सुंदर यशवंत....
ReplyDeleteसस्नेह.
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
ese hi comment karte rahiye... :)
ReplyDeleteआभार |
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति ||
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - बामुलिहाज़ा होशियार …101 …अप शताब्दी बुलेट एक्सप्रेस पधार रही है
ReplyDeleteये तो सच है ... पत्थर से चोट लगे तो बात समझ में आती है , पैर इंसान के चोगे में इंसान ! हैरानी होती है
ReplyDeletevery nice Yashwant ji :)
ReplyDeletebahut acchha likha hai yashwant ji aapne!
ReplyDeleteसुन्दर.....बस जज़्बात पत्थर न होने पाएं ।
ReplyDeleteबहुत सही यशवन्त......सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही बढिया प्रस्तुति।
ReplyDeletebahut hi sundar bhav bhari rachna
ReplyDeleteBahut hi sundar bhav bhari rachna
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर विचार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति....
ReplyDeleteगहन विचार..
bahut sundar
ReplyDeleteपत्थर के मन में छुपे भावों को बखूबी पढ़ा है आपने
ReplyDeleteविशेष रूप से अन्तिम दो पंक्ति .....मनमोहक
आभार