पड़ोस मे रहने वाले
नेता जी
आज बहुत गुस्से मे हैं
लड़ रहे हैं
सभासद का चुनाव
अक्सर देते हैं
सफाचट मूछों पर ताव
आज अचानक वो बोले
आओ बिजली घर पर
हल्ला बोलें
जब तब चली जाती है
देर तक नहीं आती है
ट्रेलर बहुत दिखाती है
हमरा वोट कटवाती है
निकला जब जुलूस
हुई किरपा जे ई जी की
लौट के जब सब घर को आए
कटिया कटी
नेता जी की
अब सर झुकाए
भन्नाए ,बड़े अनमने हैं
नेता जी गुस्से मे हैं।
[सच से कहीं दूर ये पंक्तियाँ पूरी तह काल्पनिक हैं;सच सिर्फ इतना है कि यहाँ लाइट बहुत आ जा रही है ]
©यशवन्त माथुर©
नेता जी
आज बहुत गुस्से मे हैं
लड़ रहे हैं
सभासद का चुनाव
अक्सर देते हैं
सफाचट मूछों पर ताव
आज अचानक वो बोले
आओ बिजली घर पर
हल्ला बोलें
जब तब चली जाती है
देर तक नहीं आती है
ट्रेलर बहुत दिखाती है
हमरा वोट कटवाती है
निकला जब जुलूस
हुई किरपा जे ई जी की
लौट के जब सब घर को आए
कटिया कटी
नेता जी की
अब सर झुकाए
भन्नाए ,बड़े अनमने हैं
नेता जी गुस्से मे हैं।
[सच से कहीं दूर ये पंक्तियाँ पूरी तह काल्पनिक हैं;सच सिर्फ इतना है कि यहाँ लाइट बहुत आ जा रही है ]
©यशवन्त माथुर©
कल्पना में ही शब्द और भाव छिपे हैं ....आभार
ReplyDeleteसब जगह यही हाल है.....
ReplyDeleteहाल बेहाल हों तो ऐसी कविता का उपजना स्वाभाविक है....
बहुत बढ़िया.
सस्नेह.
वैसे यह जग विदित है ...की जब भी यह कहा जाता या लिखा जाता है ..कि यह कहानी किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से..........सिर्फ एक को-इन्सिडेन्स है...तब वह हमेशा सच होती है .....खैर ....रचना मजेदार है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...!
ReplyDeleteमजेदार कल्पना...
ReplyDeletebehtreen andaaz....
ReplyDeleteबिलकुल सत्य..... परन्तु मनोरंजक ढंग से परोसा गया सत्य.
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
thank you :) very nice :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteजेई तो बड़ा राजनीतिज्ञ निकला.
ReplyDeleteजब तब चली जाती है
ReplyDeleteदेर तक नहीं आती है
ट्रेलर बहुत दिखाती है
पटना का बुरा हाल है...
नेताओं का ही सब चाल है ....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना...
ReplyDeleteबढ़िया रचना...
ReplyDeleteसुंदर कल्पना !!
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबढ़िया रचना...
on e-mail
ReplyDeleteअब सर झुकाए
भन्नाए ,बड़े अनमने हैं
नेता जी गुस्से मे हैं।
शुभ प्रभात,
खुश कीता...
सादर
यशोदा
bahut sahi
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