बहुत सुन्दर यशवंत..सस्नेह.
वाह ... बेहतरीन भाव संयोजन ...
बहुत सुन्दर यशवन्त...सस्नेह
अनकही बातें.....छुपी रहती है..अक्सर...हर किसी के पारिवरिक जीवन में..पर कविता के रूप में पढ़ीपहली बार...
कम शब्द, गहरी बात!
वाह||||लाजवाब बहुत ही अच्छा लिखा है आपनेएक मेरी तरफ से...कहना तो बहुत कुछ चाहते थे उनसे..पर इस जुबान ने साथ ना दिया कभी वक्त की ख़ामोशी में खामोश रह गएकभी उनकी ख़ामोशी ने कुछ कहने ना दिया..]:-)
बहुत खूब|||बहुत ही सुन्दर :-)
किसी कोने मे दबी हुई अब भी अनकही बातें हैं। बेहतरीन रचना,,,,,
awesome ...
बहुत सुंदर ...
बाते हैं ...बातो का क्या हैं ...
sundar panktiyan
किसी कोने मे दबी हुई अब भी अनकही बातें हैं।किसी अपने से कह डालिए अगर दुःख है तो आधा और सुख है तो दूना होना निश्चित है .... !!
बहुत ही अच्छा .......
बहुत खूब यशवंत जी!
बहुत सुन्दर यशवंत..
ReplyDeleteसस्नेह.
वाह ... बेहतरीन भाव संयोजन ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर यशवन्त...सस्नेह
ReplyDeleteअनकही बातें.....
ReplyDeleteछुपी रहती है..
अक्सर...
हर किसी के
पारिवरिक जीवन में..
पर कविता के रूप में पढ़ी
पहली बार...
कम शब्द, गहरी बात!
ReplyDeleteवाह||||
ReplyDeleteलाजवाब
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने
एक मेरी तरफ से...
कहना तो बहुत कुछ चाहते थे उनसे..
पर इस जुबान ने साथ ना दिया
कभी वक्त की ख़ामोशी में खामोश रह गए
कभी उनकी ख़ामोशी ने कुछ कहने ना दिया..]
:-)
बहुत खूब|||
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
:-)
किसी कोने मे दबी हुई
ReplyDeleteअब भी अनकही बातें हैं।
बेहतरीन रचना,,,,,
awesome ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
ReplyDeleteबाते हैं ...बातो का क्या हैं ...
ReplyDeletesundar panktiyan
ReplyDeleteकिसी कोने मे दबी हुई
ReplyDeleteअब भी अनकही बातें हैं।
किसी अपने से कह डालिए
अगर दुःख है तो आधा और
सुख है तो दूना होना निश्चित है .... !!
बहुत ही अच्छा .......
ReplyDeleteबहुत खूब यशवंत जी!
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