अभी अभी फेसबुक पर यह चित्र देखा ;इसे देख कर जो मेरे मन ने कहा ,वह प्रस्तुत है-
मन की कलम में
बादलों की स्याही भर कर
सोच रहा हूँ
कुछ लिख दूँ
आसमां के पन्ने पर
कुछ ऐसा
जो उड़ कर मिट न पाए
कुछ ऐसा जो
हर पल नज़र आए
कुछ ऐसा कि
जिसे पढ़ कर
कोई हँसे तो
कोई रोए
जी भर कर
सोच रहा हूँ
कुछ लिख दूँ
आसमां के पन्ने पर
©यशवन्त माथुर©
साभार : फेसबुक |
मन की कलम में
बादलों की स्याही भर कर
सोच रहा हूँ
कुछ लिख दूँ
आसमां के पन्ने पर
कुछ ऐसा
जो उड़ कर मिट न पाए
कुछ ऐसा जो
हर पल नज़र आए
कुछ ऐसा कि
जिसे पढ़ कर
कोई हँसे तो
कोई रोए
जी भर कर
सोच रहा हूँ
कुछ लिख दूँ
आसमां के पन्ने पर
©यशवन्त माथुर©