यहीं कहीं तो थी
शब्दों की वह मेड़
जिससे घेरा था
तरल मन को
बह जाने से रोकने को
वह मेड़ मजबूत थी
ठोस और अटल थी
विश्वास ,उत्साह और
स्वाभिमान से लिपी पुती थी
शायद आत्ममुग्ध भी थी
तरल मन के भीतर की
अस्थिर लहरों की
धीमी धीमी चोटों से
आहत
शब्दों की
वह मेड़
बिखर कर,टूट कर
अब खो चुकी है कहीं
हमेशा के लिये
और मैं जुटा हूँ
पहले से मजबूत
एक और
नयी मेड़ बनाने में ।
©यशवन्त माथुर©
शब्दों की वह मेड़
जिससे घेरा था
तरल मन को
बह जाने से रोकने को
वह मेड़ मजबूत थी
ठोस और अटल थी
विश्वास ,उत्साह और
स्वाभिमान से लिपी पुती थी
शायद आत्ममुग्ध भी थी
तरल मन के भीतर की
अस्थिर लहरों की
धीमी धीमी चोटों से
आहत
शब्दों की
वह मेड़
बिखर कर,टूट कर
अब खो चुकी है कहीं
हमेशा के लिये
और मैं जुटा हूँ
पहले से मजबूत
एक और
नयी मेड़ बनाने में ।
©यशवन्त माथुर©
बहुत सुन्दर यशवंत...
ReplyDeleteसस्नेह
उम्दा अभिव्यक्ति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: दोहे,,,,
शब्दों की मेड़ मज़बूत से मज़बूत बने और भावों की वो सघनता सृजित हो जो हर बार मेड़ को बहा ले जाए, नयी मेड़ के सृजन का मार्ग प्रशस्त करती हुई...!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
वह मेड़ मजबूत थी
ReplyDeleteठोस और अटल थी
विश्वास ,उत्साह और
स्वाभिमान से लिपी पुती थी
फिर बिखर नहीं सकती वक़्त की धूल जम गई होगी, ध्यान से देखें तो मेड़ वहीं कहीं होगी.... शुभकामनायें
वाह ... बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteऔर मैं जुटा हूँ
ReplyDeleteपहले से मजबूत
एक और
नयी मेड़ बनाने में । .बहुत ही आशावादी विचार एवम अभिव्यक्ति ..
wah:) bahut sundar yashwant ji
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति. सुन्दर रचना. :-).
ReplyDeleteआज का आगरा
सुंदर सकारात्मक रचना
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeleteबहुत सुंदर
एक मेड़ टूटना अन्त नही है....पुनर्निर्माण का सुन्दर सन्देश
ReplyDeleteशब्दों की अनवरत गहन अभिवयक्ति......
ReplyDeleteसकारात्मक सोच व्यक्त करती रचना...
ReplyDeleteइस बार आपकी यह मेड़
बहुत मजबूत बने..कभी न टूटे ...
शुभकामनाये :-)
Very nice post.....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
विश्वास ,उत्साह और
ReplyDeleteस्वाभिमान से लिपी पुती मेढ़ तो मजबूती लिए ही होगी.... बहुत सुंदर लिखा है...
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteऔर मैं जुटा हूँ
ReplyDeleteपहले से मजबूत
एक और
नयी मेड़ बनाने में ।
आपकी हिम्मत , सकारात्मक सोच ,
आशावादी विचार की जीतनी प्रशंसा की जाए कम होगी .... :)
शुभकामनाएं .... !!
बहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteसादर
कलमदान
शब्दों की मेड़ ... सुंदर बिम्ब ले कर रची रचना
ReplyDeleteबेह्द उम्दा रचना सुन्दर भावो को सहेजे
ReplyDeleteजीवन के खट्टे मीठे अनुभव..इस मेढ़ को अक्सर लहो लुहान कर देते हैं ......लेकिन अहसासों को बांधना भी ज़रूरी होता है ...बस पुनर्निर्माण का यह क्रम यूहीं सतत चलता रहता है ...बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteऔर मैं जुटा हूँ
ReplyDeleteपहले से मजबूत
एक और
नयी मेड़ बनाने में ।
आशा की नई किरण की तरह,सुन्दर भाव,सुन्दर रचना...
वाह ! बहुत हिम्मत भरा भाव !
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ....सादर
ReplyDeletekya baat hai janab bahut khub
ReplyDeleteऔर मैं जुटा हूँ
ReplyDeleteपहले से मजबूत
एक और
नयी मेड़ बनाने में ।
वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है... बधाई आपको... सादर वन्दे
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