फिकरे बजी की फिकर, नहीं करे यशवंत |किस सर का सर है सखे, कौन चाँद श्रीमंत ||
FIKRON SE DAR JIYE TO PHIR KYA JIYE,APNI AUKAT PAR JIYE,JINA USI KA NAM HAE
/:-)
चाँद हर हाल में खूबसूरत होता है ... शुभकामनाये
apane aap ko swikarana hi apne mein sampurnata darshta hai....achhi abhivykati...yashwant ji..( server slow hone se roman mein likhna majburi ho jati hai..iske liye kshama prathi hoon)
मेरे भी चाँद निकल रहे है ... यसवंत भाई
आज हमने भी एक कविता लिखी चाँद पर....बड़ा फर्क है मगर तुम्हारे और हमारे चाँद में :-)हमारा निकले तो खुशी..तुम्हारा निकले तो गम..सस्नेह.
आपकी पोस्ट कल 12/7/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई हैकृपया पधारेंचर्चा - 938 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत खूब ...
वास्तव में ..बहुत ही अच्छी ... फिकरों की फ़िक्र ....के बगैर ...इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है ....
चाँद चाँद फर्क होता, निकलता दोनों समएक निकलने में हो खुशी,दूजे में हो गम,,,,,,,बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
बहुत उम्दा.....
बहुत ही खूबसूरत चाँद है आभार
नयी सोच.....एक अलग चाँद जो बदसूरत है...
आपके इस जज्बे को सलाम .... !दूसरों पर फिकरा कसना तो बहुत आसान होता .... !
'chaand' ke liye Yeh nazreeya bhii khub raha!:)
:):) अब चाँद तो चाँद है ...
चाँद चाँद में फर्क है,निकलते दोनों समएक निकले में खुशी हो, दूजे में हो गम,,,,,,,बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
वाह ! बहुत सुंदर सोच जो चाँद को भी साथ लिये जाती है !
ये चाँद आता भी तो बिना पूछे है और फिर जाता भी नहीं तमाम कोशिश के बावजूद ...
चाँद चमकती है तभी, जब यौवन ढल जाय।पीले पत्तों में नहीं, हरियाली आ पाय।।
यशवंत जी, बहुत खूब.... दोनों चाँद की खूब विवेचना की हा आपने | :)
बहुत अच्छा व्यंग |कुछ भी हो दौनों में कुछ तो समानता है है |आशा
इस चाँद ने क्या दिमाग पाया है!:)
kya baat :)
bahut khoob!!
फिकरे बजी की फिकर, नहीं करे यशवंत |
ReplyDeleteकिस सर का सर है सखे, कौन चाँद श्रीमंत ||
FIKRON SE DAR JIYE TO PHIR KYA JIYE,
ReplyDeleteAPNI AUKAT PAR JIYE,JINA USI KA NAM HAE
/:-)
ReplyDeleteचाँद हर हाल में खूबसूरत होता है ... शुभकामनाये
ReplyDeleteapane aap ko swikarana hi apne mein sampurnata darshta hai....achhi abhivykati...yashwant ji..
ReplyDelete( server slow hone se roman mein likhna majburi ho jati hai..iske liye kshama prathi hoon)
मेरे भी चाँद निकल रहे है ... यसवंत भाई
ReplyDeleteआज हमने भी एक कविता लिखी चाँद पर....
ReplyDeleteबड़ा फर्क है मगर तुम्हारे और हमारे चाँद में :-)
हमारा निकले तो खुशी..तुम्हारा निकले तो गम..
सस्नेह.
आपकी पोस्ट कल 12/7/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 938 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत खूब ...
ReplyDeleteवास्तव में ..बहुत ही अच्छी ... फिकरों की फ़िक्र ....के बगैर ...इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है ....
ReplyDeleteचाँद चाँद फर्क होता, निकलता दोनों सम
ReplyDeleteएक निकलने में हो खुशी,दूजे में हो गम,,,,,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
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बहुत उम्दा.....
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत चाँद है आभार
ReplyDeleteनयी सोच.....
ReplyDeleteएक अलग चाँद जो बदसूरत है...
आपके इस जज्बे को सलाम .... !
ReplyDeleteदूसरों पर फिकरा कसना तो बहुत आसान होता .... !
'chaand' ke liye Yeh nazreeya bhii khub raha!
ReplyDelete:)
:):) अब चाँद तो चाँद है ...
ReplyDeleteचाँद चाँद में फर्क है,निकलते दोनों सम
ReplyDeleteएक निकले में खुशी हो, दूजे में हो गम,,,,,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
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वाह ! बहुत सुंदर सोच जो चाँद को भी साथ लिये जाती है !
ReplyDeleteये चाँद आता भी तो बिना पूछे है और फिर जाता भी नहीं तमाम कोशिश के बावजूद ...
ReplyDeleteचाँद चमकती है तभी, जब यौवन ढल जाय।
ReplyDeleteपीले पत्तों में नहीं, हरियाली आ पाय।।
यशवंत जी, बहुत खूब....
ReplyDeleteदोनों चाँद की खूब विवेचना की हा आपने | :)
बहुत अच्छा व्यंग |कुछ भी हो दौनों में कुछ तो समानता है है |
ReplyDeleteआशा
इस चाँद ने क्या दिमाग पाया है!:)
ReplyDeletekya baat :)
ReplyDeletebahut khoob!!
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