समझता हूँ खुद को
एक खुली किताब
जिसका हर पन्ना
रंगा है
आड़ी तिरछी
स्याह सफ़ेद
लकीरों से
और
बीच बीच में उभरते
अनाम सा चेहरा बनाते
कुछ छींटे
कुछ धब्बे
खट्टी मीठी
यादों को साथ लिये
घूर रहे हैं
अगले
खाली पन्नों को।
©यशवन्त माथुर©
एक खुली किताब
जिसका हर पन्ना
रंगा है
आड़ी तिरछी
स्याह सफ़ेद
लकीरों से
और
बीच बीच में उभरते
अनाम सा चेहरा बनाते
कुछ छींटे
कुछ धब्बे
खट्टी मीठी
यादों को साथ लिये
घूर रहे हैं
अगले
खाली पन्नों को।
©यशवन्त माथुर©
अगले पन्नों और हर्फ़ के लिए तलाशती जिंदगी , खुबसूरत ही नहीं लाजवाब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteअगले खली पन्ने खुबसूरत यादो और बातो से भरे..
शुभकामनाये :-)
कुछ छींटे
ReplyDeleteकुछ धब्बे
खट्टी मीठी
यादों को साथ लिये
घूर रहे हैं
अगले
खाली पन्नों को।
वाह बहुत सुन्दर ...बहुत अच्छे भाव संयोजन
वो जानते हैं कि ये भी यूँ ही रंगे जायेंगे कल..या परसों....
ReplyDeleteसस्नेह
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteचलना तो निरंतर है ...यादों को साथ रखिए ...
ReplyDeleteसराहनीय - संग्रहणीय प्रस्तुति .आभार हमें आप पर गर्व है कैप्टेन लक्ष्मी सहगल
ReplyDeleteयादों के बिना भी क्या ज़िन्दगी--- बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteवाह ... बहुत बढिया।
ReplyDeleteजिंदगी की हर किताब में उनका चेहरा ही नज़र आता है अक्सर ...
ReplyDeleteयादें जो कभी जाती नहीं ...
खुली किताब की तरह हो यह जीवन तो बहुत खुशनसीबी है...सुंदर भाव!
ReplyDeleteचलते रहिये अगले पन्ने खूबसूरत...
ReplyDeleteरंगों के हों ...सुंदर यादों के हों ...शुभकामनायें..
sundar post
ReplyDeleteबहुत खूब, खली पन्ने भी खुबसूरत रचनाओं से भर जायेंगे |
ReplyDeleteसमय इन पन्नों को भरता चलता है. जिनकी किताब खुली है वहाँ जो भी दिखता है वह साफ और चमकीला होता है. इन पन्नों का कोई अंत नहीं.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई.
ReplyDeleteयह किताब कभी बंद न हो यही दुआ है मेरी !
ReplyDeleteकारगिल युद्ध के शहीदों को याद करते हुये लगाई है आज की ब्लॉग बुलेटिन ... जिस मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी – देखिये - कारगिल विजय दिवस 2012 - बस इतना याद रहे ... एक साथी और भी था ... ब्लॉग बुलेटिन – सादर धन्यवाद
बेहतरीन अभिव्यक्ति,,सुंदर प्रस्तुति,,बधाई यशवंत जी
ReplyDeleteRECENT POST,,,इन्तजार,,,
कोरे पन्ने भी किसी की खुशबू से महकेंगे... :)
ReplyDeleteसमझता हूँ खुद को
ReplyDeleteएक खुली किताब
जिसका हर पन्ना
रंगा है
आड़ी तिरछी
स्याह सफ़ेद
लकीरों से.....
खुली किताब ही दुनिया को रोशन कर पाती है ....आभार
har kore panne par ek nayi kahani hogi
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteयशवंत जी नमस्कार...
ReplyDeleteआपके ब्लॉग 'जो मेरा मन कहे' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 29 जुलाई को 'खुली किताब...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
bahut hi achha likha hai
ReplyDeleteshubhkamnayen