19 July 2012

क्षणिका ,,

बादलों के पर्दे में
लुक छिप कर
डूबता सूरज
लग रहा है
जैसे कह रहा हो
अपने मन की बात
कि अंत
सिर्फ यही नहीं है।


©यशवन्त माथुर©

25 comments:

  1. वो सुबह जरूर आयेगी....

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  2. हाँ एक और सवेरा है.......

    बहुत सुन्दर यशवंत
    सस्नेह

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  3. well said!
    सूरज का डूबना...एक नयी सुबह की आस भी है... :-)

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  4. शनिवार 21/07/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!

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  5. गतिमान सूरज का सन्देश अच्छा लगा .

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  6. बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
    बहुत सुंदर क्षणिका ,,,,,,


    RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....

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  7. अनंत ...अनवरत ...
    सच कह रहा है ...!!
    शुभकामनायें

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  8. bilkul sahi kaha aapne.sundar prastuti.

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  9. डूबता सूरज एक नए प्रभात का आगाज होता है ......निरंतर चलता पथिक विश्राम की वेला को अवसान समझने की भूल करता है .....

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  10. हौसला बढ़ाने के लिए शुक्रिया ....

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  11. बहुत सही कहा ... बेहतरीन भाव

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  12. डूबता सूरज एक सन्देश की तरह होता है..
    जो कहता है की मै कल फिर आऊंगा
    और फिर उसी तेज से चमकूँगा
    बेहतरीन प्रेरनादायी रचना
    :-)

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  13. सूरज कभी डूबता ही नहीं, दिखता भर है कि डूब रहा है..चंद शब्दों में सुंदर संदेश !

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  14. जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!

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  15. कुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..बहुत सुन्दर

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  16. बहुत खूब !

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  17. सच कहा अंत कोई कहाँ देख पाता है ..
    बहुत सार्थक चिंतन ..

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  18. वाह,क्या बात है

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  19. सच है जिंदगी और भी है ... बहुत बड़ी जिसका पता भी नहीं है ...

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  20. sach kaha kabhi kabhi jo dikhta hai vo hota nhi, jo ant lagta hai vo ek nai shuruat hoti hai. sunder goodh rachna


    shubhkamnayen

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