04 August 2012

भ्रम

एक सच है
एक झूठ है
एक मुखौटा है
एक असली चेहरा है
एक शतरंज है
एक मोहरा है
एक साँप है
एक सपेरा है
एक अंधेरा है
एक सवेरा है
एक प्रश्न बहुत टेढ़ा है
किसका साथ दूँ ?
जब सब कुछ साफ है
है पट्टी बंधी आँखों पे
पर क्या इंसाफ है ?
मति भ्रम कहो या
या पैदाइशी दृष्टि भ्रम
मैंने सोचा है
सच की आग में
झुलसुंगा।


©यशवन्त माथुर©

29 comments:

  1. बहुत खूब मन में उपजने वाले भाव ...बहुत सुन्दर

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  2. सुन्दर पंक्तियाँ

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  3. एक प्रश्न बहुत टेढ़ा है
    किसका साथ दूँ ?
    जब कुछ साफ है
    है पट्टी बंधी आँखों पे
    पर क्या इंसाफ है ?

    संशय किसी चीज को कह न कह पाने की

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  4. अच्छी कविता के लिए बधाई

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  5. बहुत बढिया ...

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (05-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  7. बहुत से लोग झुलस रहे हैं भीतर ही भीतर...इस सच्चाई की आग में! मगर इसे बुझाने वालों की चीख अनसुनी हुई जाती है..~बहुत सुंदर!

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  8. बहुत सुन्दर और सशक्त रचना...
    जियो मेरे भाई.

    सस्नेह

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  9. yaswant jee,
    we always want to cooperate many thing at a time
    but we should follow which is crystal clear.

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  10. एक प्रश्न बहुत टेढ़ा है
    किसका साथ दूँ ?

    निर्णय आपके हाथ में,,,,,,

    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

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  11. जब सब कुछ साफ है
    है पट्टी बंधी आँखों पे
    पर क्या इंसाफ है ?

    अब जवाब कौन देगा.....??

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  12. सच की आग में जलकर ही
    एक आइडल(idol) बनता है..
    बहुत बेहतरीन और सशक्त रचना..
    :-)

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  13. बहुत सुन्दर रचना... शुभकामनायें

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  14. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना |
    आशा

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  15. झूठ-सांच की आग में, झुलसे अंतर रोज |
    किन्तु हकीकत न सके, नादाँ अब तक खोज |
    नादाँ अब तक खोज, बड़े वादे दावे थे |
    राष्ट्र-भक्ति के गीत, सुरों में खुब गावे थे |
    दृष्टि-दोष दम फूल, झूल रस्ते में जाते |
    भूले सही उसूल, गलत अनुसरण कराते ||

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  16. मैंने सोचा है
    सच की आग में
    झुलसुंगा।
    कलियुग है ,अकेले हो जाइएगा
    झुलस कर कोयला हो जाइएगा
    हीरा तो झूठ बोलनेवाले होते हैं .... !!

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  17. NICE ONE....

    HAPPY FRIENDSHIP DAY....!!!!!!!

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  18. ati-sunder,bhav-purn rachnaa.hameshaa padhne milti rahe
    pls vsitmy blg purvaai.blogspot.com

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  19. सच कहा आपने
    सच का साथ हमेशा ही सही होता है भले ये दुखदायी लगे !
    बेहतरीन प्रस्तुति !

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  20. सच की आग में ताप कर ही जीवन निखरता है ...
    लाजवाब रचना है ...

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  21. सच की आग के प्रति आस्था बनी रहे!

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  22. ये बीएचआरएम भी कितना भ्रम पैदा करता है ...सुंदर प्रस्तुति

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  23. rachana achhi lagi ....sadar badhai

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  24. sach hai bhrm kaisa bhi ho, uska koi jawab nhi bas yahi ki bhrm ko chetna se dur karna hoga... sunder abhivyakti.

    shubhkamnayen

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