एक सच है
एक झूठ है
एक मुखौटा है
एक असली चेहरा है
एक शतरंज है
एक मोहरा है
एक साँप है
एक सपेरा है
एक अंधेरा है
एक सवेरा है
एक प्रश्न बहुत टेढ़ा है
किसका साथ दूँ ?
जब सब कुछ साफ है
है पट्टी बंधी आँखों पे
पर क्या इंसाफ है ?
मति भ्रम कहो या
या पैदाइशी दृष्टि भ्रम
मैंने सोचा है
सच की आग में
झुलसुंगा।
©यशवन्त माथुर©
एक झूठ है
एक मुखौटा है
एक असली चेहरा है
एक शतरंज है
एक मोहरा है
एक साँप है
एक सपेरा है
एक अंधेरा है
एक सवेरा है
एक प्रश्न बहुत टेढ़ा है
किसका साथ दूँ ?
जब सब कुछ साफ है
है पट्टी बंधी आँखों पे
पर क्या इंसाफ है ?
मति भ्रम कहो या
या पैदाइशी दृष्टि भ्रम
मैंने सोचा है
सच की आग में
झुलसुंगा।
©यशवन्त माथुर©
बहुत खूब मन में उपजने वाले भाव ...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteएक प्रश्न बहुत टेढ़ा है
ReplyDeleteकिसका साथ दूँ ?
जब कुछ साफ है
है पट्टी बंधी आँखों पे
पर क्या इंसाफ है ?
संशय किसी चीज को कह न कह पाने की
अच्छी कविता के लिए बधाई
ReplyDeleteबहुत बढिया ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (05-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत खूब ...
ReplyDeleteवाह जी बढ़िया है
ReplyDeleteबहुत से लोग झुलस रहे हैं भीतर ही भीतर...इस सच्चाई की आग में! मगर इसे बुझाने वालों की चीख अनसुनी हुई जाती है..~बहुत सुंदर!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सशक्त रचना...
ReplyDeleteजियो मेरे भाई.
सस्नेह
yaswant jee,
ReplyDeletewe always want to cooperate many thing at a time
but we should follow which is crystal clear.
behtreen....
ReplyDeleteएक प्रश्न बहुत टेढ़ा है
ReplyDeleteकिसका साथ दूँ ?
निर्णय आपके हाथ में,,,,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
जब सब कुछ साफ है
ReplyDeleteहै पट्टी बंधी आँखों पे
पर क्या इंसाफ है ?
अब जवाब कौन देगा.....??
सच की आग में जलकर ही
ReplyDeleteएक आइडल(idol) बनता है..
बहुत बेहतरीन और सशक्त रचना..
:-)
बहुत सुन्दर रचना... शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
एक बेहतरीन कविता
ReplyDeleteझूठ-सांच की आग में, झुलसे अंतर रोज |
ReplyDeleteकिन्तु हकीकत न सके, नादाँ अब तक खोज |
नादाँ अब तक खोज, बड़े वादे दावे थे |
राष्ट्र-भक्ति के गीत, सुरों में खुब गावे थे |
दृष्टि-दोष दम फूल, झूल रस्ते में जाते |
भूले सही उसूल, गलत अनुसरण कराते ||
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteमैंने सोचा है
ReplyDeleteसच की आग में
झुलसुंगा।
कलियुग है ,अकेले हो जाइएगा
झुलस कर कोयला हो जाइएगा
हीरा तो झूठ बोलनेवाले होते हैं .... !!
NICE ONE....
ReplyDeleteHAPPY FRIENDSHIP DAY....!!!!!!!
ati-sunder,bhav-purn rachnaa.hameshaa padhne milti rahe
ReplyDeletepls vsitmy blg purvaai.blogspot.com
सच कहा आपने
ReplyDeleteसच का साथ हमेशा ही सही होता है भले ये दुखदायी लगे !
बेहतरीन प्रस्तुति !
सच की आग में ताप कर ही जीवन निखरता है ...
ReplyDeleteलाजवाब रचना है ...
सच की आग के प्रति आस्था बनी रहे!
ReplyDeleteये बीएचआरएम भी कितना भ्रम पैदा करता है ...सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleterachana achhi lagi ....sadar badhai
ReplyDeletesach hai bhrm kaisa bhi ho, uska koi jawab nhi bas yahi ki bhrm ko chetna se dur karna hoga... sunder abhivyakti.
ReplyDeleteshubhkamnayen