एक के पास -
बड़ी चार पहिया गाड़ी है
ड्राइवर है
आलीशान मकान है
जिसके कोने कोने से
संपन्नता का देसी घी
सबको ललचाता सा गिरता है
महंगा मोबाइल है
लैपटॉप है
दस उँगलियों के इशारे पर
नाचती
ग्लोबल दुनिया है
जिसके चारों ओर
बदसूरत चाँद की तरह
वह परिक्रमा करता है
दूसरे के पास -
पैर में टूटी चप्पल है
सूत भर फुटपाथ है
जिसके कोने कोने में गूँजती
डरावनी पदचापों का एहसास
एक जनम मे ही
कई पुनर्जन्मों का होना है
चीख है -पुकार है
मुरझाता यौवन है
एक कपड़े मे सिमटा तन है
वेदना और सूखे आंसुओं की
अनोखी दुनिया में
उसका होना
एलियन का मिलना है
'दूसरे' का घर
'एक' के ठीक सामने है
एक समय पर
अक्सर
दोनों एक दूसरे के सामने होते हैं
'दूसरा' हाथ फैलाता है
और
उसके ज़ख़्मों से
बेपरवाह 'एक'
काले शीशे वाली कार मे
निकल जाता है
समाजसेवा को।
©यशवन्त माथुर©
बड़ी चार पहिया गाड़ी है
ड्राइवर है
आलीशान मकान है
जिसके कोने कोने से
संपन्नता का देसी घी
सबको ललचाता सा गिरता है
महंगा मोबाइल है
लैपटॉप है
दस उँगलियों के इशारे पर
नाचती
ग्लोबल दुनिया है
जिसके चारों ओर
बदसूरत चाँद की तरह
वह परिक्रमा करता है
दूसरे के पास -
पैर में टूटी चप्पल है
सूत भर फुटपाथ है
जिसके कोने कोने में गूँजती
डरावनी पदचापों का एहसास
एक जनम मे ही
कई पुनर्जन्मों का होना है
चीख है -पुकार है
मुरझाता यौवन है
एक कपड़े मे सिमटा तन है
वेदना और सूखे आंसुओं की
अनोखी दुनिया में
उसका होना
एलियन का मिलना है
'दूसरे' का घर
'एक' के ठीक सामने है
एक समय पर
अक्सर
दोनों एक दूसरे के सामने होते हैं
'दूसरा' हाथ फैलाता है
और
उसके ज़ख़्मों से
बेपरवाह 'एक'
काले शीशे वाली कार मे
निकल जाता है
समाजसेवा को।
©यशवन्त माथुर©