बड़ा विचित्र
चित्र है
अंतर्जाल के
मायाजाल का
मैं
तुम
और सब
फंस चुके हैं
इस जंजाल में
उलझ चुके हैं इतना
कि सुलझने का वक़्त नहीं
कोई
सीना तान कर
कर रहा है
सच का सामना
कोई हार के वार को
जीत का उपहार समझ कर
जी रहा है भ्रम में
सबकी
अपनी दुनिया है
अपने समूह हैं
सबके
अपने अधिकार हैं
कर्तव्य हैं
आभासी दुनिया में
आने से पहले
शायद पूर्वाभास नहीं था
भेड़ चाल का
मतभेद का
ऊंच-नीच का
शोषण का
पर
सच तो यही है
यहाँ सच कहना मना है
क्योंकि
अंतर्जाल का मायाजाल
टिका है
झूठ और दिखावे की
अदृश्य -अनकही
नींव पर।
©यशवन्त माथुर©
चित्र है
अंतर्जाल के
मायाजाल का
मैं
तुम
और सब
फंस चुके हैं
इस जंजाल में
उलझ चुके हैं इतना
कि सुलझने का वक़्त नहीं
कोई
सीना तान कर
कर रहा है
सच का सामना
कोई हार के वार को
जीत का उपहार समझ कर
जी रहा है भ्रम में
सबकी
अपनी दुनिया है
अपने समूह हैं
सबके
अपने अधिकार हैं
कर्तव्य हैं
आभासी दुनिया में
आने से पहले
शायद पूर्वाभास नहीं था
भेड़ चाल का
मतभेद का
ऊंच-नीच का
शोषण का
पर
सच तो यही है
यहाँ सच कहना मना है
क्योंकि
अंतर्जाल का मायाजाल
टिका है
झूठ और दिखावे की
अदृश्य -अनकही
नींव पर।
©यशवन्त माथुर©
उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDelete
ReplyDeleteमैं
तुम
और सब
फंस चुके हैं
इस जंजाल में
उलझ चुके हैं इतना
कि सुलझने का वक़्त नहीं
....namaskaar yashwant ji , bahut sarthak rachna likhi aapne ,sach kaha aapne isme sabhi ulajh gaye hai aur is mayajaal se baahar nikale ka rasta nahi hai ....kitna jhoot hai kitna sach yah to pare hai aabhasi duniyaan mai ..badhai aapko sundar srajan ke liye
yashwant padkar dukh hua ki energy se bsre tum depressiv likhoge kavita achchee hai magar tumhe isse bahar aakar kuchh nsya karna hoga
ReplyDeleteअरे नहीं सर! मैंने डिप्रेसिव नहीं लिखा है....बस जो महसूस हुआ उसे ही लिखने की कोशिश मात्र की है।
Deleteअंतर्जाल के आभासी रिश्ते जो आभासी नहीं होते .... कभी कभी गहरी चोट दे जाते हैं .... जब तक इंसान भ्रम में रहता है खुश रहता है और जब भ्रम टूटता है तो हतप्रभ रह जाता है ... विचारणीय रचना
ReplyDeleteपर
ReplyDeleteसच तो यही है
यहाँ सच कहना मना है
क्योंकि
अंतर्जाल का मायाजाल
टिका है
झूठ और दिखावे की
अदृश्य -अनकही
नींव पर।
कब तक .... !!
इस जंजाल में
ReplyDeleteउलझ चुके हैं इतना
कि सुलझने का वक़्त नहीं,,,,,आपने सही कहा,,,,
सार्थक सुंदर प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
सच कहा....
ReplyDeleteबढ़िया कहा.......
सस्नेह
अनु दी
खरी खरी.....
ReplyDeleteबहुत खुब. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसादर.
उत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteपर
ReplyDeleteसच तो यही है
यहाँ सच कहना मना है
क्योंकि
अंतर्जाल का मायाजाल
टिका है
झूठ और दिखावे की
अदृश्य -अनकही
नींव पर।
इसी ठगने ठगाने की क्रिया में बीत जाती है जिंदगी क्या ज्यादा सोचना , और सोच भी लिया तो होगा क्या?
अंतरजाल के अंतर्द्वंद को प्रस्तुत करती सुन्दर रचना.
ReplyDeleteआभार.
वाह ये तो इंटरनेट की क्लास हो गई
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा इसी माया सभी फँसे हैं ..बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबढ़िया रचना | बहुत कुछ सच बयां क्या है आपने |
ReplyDeleteक्यों न हम यह सोचकर ही खुश हो लें ...की इसी अंतरजाल की बदौलत...इतने सुन्दर मित्र बना सके हम सब ..क्यों है न ....
ReplyDeleteअंतर्जाल का मायाजाल
ReplyDeleteटिका है
झूठ और दिखावे की
अदृश्य -अनकही
नींव पर।
ISLIYE ISMEN NAHI PHANSO TO HI THEEK HAE,
ACHHI RACHNA YASHWANTJI
बहुत बढ़िया... जब जैसा महसूस हो लिख देना चाहिए...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया... जब जैसा महसूस हो लिख देना चाहिए...
ReplyDeleteअंतर्जाल का मायाजाल
ReplyDeleteटिका है
झूठ और दिखावे की
अदृश्य -अनकही
नींव पर।
sach kaha hai, bahut sunder abhivyakti.
shubhkamnayen
bahut achchi rachna par mere vichar se to ye aabhasi dunia vastavik dunia se kuch bhi alag nahin...jaise mukhote log vastivk dunia mein lagaye ghumte hai vaise hi yahan par bhi...
ReplyDeleteमायाजाल का सच लिखा है ...
ReplyDeleteबहु खूब ... बधाई यशवंत जी ...
आपकी बात में दम है. आभासी दुनिया शायद रचना जी का दिया शब्द है.
ReplyDeleteयदि हमारे आभास भी ठीक हो जाएँ तो हमारा व्यक्तित्व बेहतर बन सकता है. आभासी दुनिया का यह महत्व है.
पर
ReplyDeleteसच तो यही है
यहाँ सच कहना मना है
क्योंकि
अंतर्जाल का मायाजाल
टिका है
झूठ और दिखावे की
अदृश्य -अनकही
नींव पर।
bauhat khoob...
बिल्कुल सही
ReplyDeletesach kaha apne...sundar shabdo may...
ReplyDeleteबहुत सटीक और विचारणीय रचना...
ReplyDeletemano to duniya mai bahut kush aabhaasi hai , na mano to kuch nhi, dukh aur sukh to sifr apno se hi milte hai , to agar es antarjaan se hme kuch dukh milta hai to hmto yhi sochte hai chalo apno mai ek aur naam jud gaya....
ReplyDeleteaapne wahi likha jo anubhav kiya aur ye anubhav kewal aapka nahi....
पूरा सच बोलना मना नहीं है यहाँ ,लेकिन लोग स्वेच्छया "आधा सच "बोलतें हैं लिखतें हैं ब्लोगियातें हैं .क्या कीजिएगा ? .
ReplyDeleteram ram bhai
मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने