03 September 2012

गुरु-शिष्य (शिक्षक दिवस विशेष)

पान की दुकान पर
अक्सर दिखते हैं
गुरु शिष्य साथ में
सिगरेट के कश लगाते हुए

और कभी कभी
दिख जाते हैं
शराब के उस ठेके पर
शाम के समय
गलबहियाँ किये हुए

एक को लालच है
अंक पत्र में
बढ़े हुए प्राप्तांकों का
एक को लालच है
मुफ्त की इच्छापूर्ति का 

दोनों
आधुनिक हैं -

द्रोणाचार्य
आज कल
अंगूठा नहीं
कैश इन हैंड
मांगते हैं।


©यशवन्त माथुर©

26 comments:

  1. न द्रोणाचार्य जी ही सही थे...न ही आज के ऐसे शिक्षक...!
    फिर भी.... अगर आदर्श शिक्षक और आदर्श छात्र आज कहीं एक साथ मिल जाएँ....तो दोनों ही पूजने योग्य होंगे... :-)

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  2. बहुत बढ़िया यशवंत....
    एकदम सच्ची बात कही....
    शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं ...

    सस्नेह
    अनु

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  3. द्रोणाचार्य
    आज कल
    अंगूठा नहीं
    कैश इन हैंड
    मांगते हैं।
    ..सच आजकल कौन गुरु कौन शिष्य अंतर करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है ..

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  4. badaltaa paripeksh ...
    katu satya ...

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  5. सत्य का अंश ज़रूर लिए है यह रचना .वैसे सखा होना बड़ी बात है अकसर शोषण होता है बहु -बिध छात्र छात्राओं का जिस पर अलग से एक शोध प्रबंध लिखा जा सकता है .यूनिवर्सिटी(सागर ) में पढता था ,मामा प्रोफ़ेसर थे ,घर में अकसर चर्चे चरखे सब रंग लिए होते -एक दिन सुना "जब भी कोई नै रिसर्च स्कोलर झा साहब (नाम काल्पनिक )के घर आती है मिसेज़ झा उसे अलग ले जाके समझातीं हैं ,क्या होने जा रहा है उसके साथ .होता भी वही था लेकिन पी.एचडी .मिल जाती थी हिंदी में .आधुनिक छोडो परम्परा में भी ऐसा क्या है ?जो पूज्य हो ?दुलारे बाज -पाइयों/वर्माओं /नामवरों के दरबार और दरबारी भी खूब देखे ,किशोरावस्था सब बांचती है हमने भी बांचा .
    ram ram bhai
    सोमवार, 3 सितम्बर 2012
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना

    What both women and men need to know about hypertension

    सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अनुमान के अनुसार छ :करोड़ अस्सी लाख अमरीकी उच्च रक्त चाप या हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में हैं और २० फीसद को इसका इल्म भी नहीं है .

    क्योंकि इलाज़ न मिलने पर (शिनाख्त या रोग निदान ही नहीं हुआ है तब इलाज़ कहाँ से हो )हाइपरटेंशन अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं खड़ी कर सकता है ,दिल और दिमाग के दौरे के खतरे के वजन को बढा सकता है .दबे पाँव आतीं हैं ये आफत बारास्ता हाइपरटेंशन इसीलिए इस मारक अवस्था (खुद में रोग नहीं है जो उस हाइपरटेंशन )को "सायलेंट किलर "कहा जाता है .

    माहिरों के अनुसार बिना लक्षणों के प्रगटीकरण के आप इस मारक रोग के साथ सालों साल बने रह सकतें हैं .इसीलिए इसकी(रक्त चाप की ) नियमित जांच करवाते रहना चाहिए .

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  6. सत्य का अंश ज़रूर लिए है यह रचना .वैसे सखा होना बड़ी बात है अकसर शोषण होता है बहु -बिध छात्र छात्राओं का जिस पर अलग से एक शोध प्रबंध लिखा जा सकता है .यूनिवर्सिटी(सागर ) में पढता था ,मामा प्रोफ़ेसर थे ,घर में अकसर चर्चे चरखे सब रंग लिए होते -एक दिन सुना "जब भी कोई नै रिसर्च स्कोलर झा साहब (नाम काल्पनिक )के घर आती है मिसेज़ झा उसे अलग ले जाके समझातीं हैं ,क्या होने जा रहा है उसके साथ .होता भी वही था लेकिन पी.एचडी .मिल जाती थी हिंदी में .आधुनिक छोडो परम्परा में भी ऐसा क्या है ?जो पूज्य हो ?दुलारे बाज -पाइयों/वर्माओं /नामवरों के दरबार और दरबारी भी खूब देखे ,किशोरावस्था सब बांचती है हमने भी बांचा .
    ram ram bhai
    सोमवार, 3 सितम्बर 2012
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना

    What both women and men need to know about hypertension

    सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक अनुमान के अनुसार छ :करोड़ अस्सी लाख अमरीकी उच्च रक्त चाप या हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में हैं और २० फीसद को इसका इल्म भी नहीं है .

    क्योंकि इलाज़ न मिलने पर (शिनाख्त या रोग निदान ही नहीं हुआ है तब इलाज़ कहाँ से हो )हाइपरटेंशन अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं खड़ी कर सकता है ,दिल और दिमाग के दौरे के खतरे के वजन को बढा सकता है .दबे पाँव आतीं हैं ये आफत बारास्ता हाइपरटेंशन इसीलिए इस मारक अवस्था (खुद में रोग नहीं है जो उस हाइपरटेंशन )को "सायलेंट किलर "कहा जाता है .

    माहिरों के अनुसार बिना लक्षणों के प्रगटीकरण के आप इस मारक रोग के साथ सालों साल बने रह सकतें हैं .इसीलिए इसकी(रक्त चाप की ) नियमित जांच करवाते रहना चाहिए .

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  7. बहुत सही एवं बहुत ही बढ़िया... शुभकामनायें...

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  8. बिलकुल सही... दोनों ही नहीं रहे पहले जैसे, बीच का रास्ता चुन लेते हैं, सरल, सस्ता...
    शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं ...

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  9. पता नहीं इसमें मैं आपसे सहमत नहीं हूँ ... शिक्षक ऐसा नहीं कर सकता ..और जो ऐसा करता है वह शिक्षक नहीं व्यापारी है.

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    1. मैं आपकी असहमति का सम्मान करता हूँ मैम ,लेकिन जो खुद अपनी आँखों से देखा है बस उसे ही इस पोस्ट मे लिखा है।
      सारे गुरु सारे शिष्य एक जैसे नहीं होते यह मैं भी मानता हूँ।
      समय मिले तो पिछले वर्ष की इस पोस्ट को भी देखिएगा--http://jomeramankahe.blogspot.in/2011/09/blog-post_05.html

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  10. बहुत सुन्दर..शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं ... यशवंत..

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  11. एकांगी लेख . तस्वीर का दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष भी उजागर करें अन्यथा सुखद सन्देश छुट जाता है जो आप जैसे विद्वान का दायित्व ?

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    1. सर! अगर मैं खुद को विद्वान मानने की गलती कभी नहीं करूंगा ,न ही जो मैंने लिखा वह हर जगह होता है,लेकिन जो लिखा है ,उसे प्रत्यक्ष देखा है और अक्सर देखता हूँ।

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  12. हम तो ऐसे देश में हैं जहाँ गुरूजी ही शराब पीने को देते हैं.. और मना करने को यहाँ की संस्कृति में बुरा माना जाता है.. भले ही लेकर मत पियो...

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  13. समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है..... शिक्षा के क्षेत्र में भी यही हो रहा है....

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  14. समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है..... शिक्षा के क्षेत्र में भी यही हो रहा है....

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  15. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 05/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  16. आज कल के जो हालात हैं ,उस पर सटीक सार्थक कटाक्ष !!

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  17. आज के समय का कटु सत्य है यह..जितनी भर्त्सना की जाये कम है..

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  18. sahi kaha...ab guru shishya ki defination hi bdal gayi h....

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  19. आजकल द्रोण और एकलव्य कैश में विश्वास रखते हैं :))

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