श्रद्धांजलि
उन अनजानों को
जिनकी आँखों में
कभी बसा करते थे
कुछ ख्वाब
सुनहरे कल के
श्रद्धांजलि
उन जाने पहचानो को
जो दर्ज़ हैं
सरकारी सफ़ेद पन्नों पर
शहीदी की अमिट स्याही से
आज
न वो अनजाने हैं
न जाने पहचाने हैं
न वो रौब है
न ख्वाब है
ज़मीं पर रह गए
अपनों के जेहन में
पल पल की घुटन है
यादें हैं
दर्द है
रह रह कर बहता
आंसुओं का सैलाब है
स्मृति चिह्नों पर
स्मारकों पर
बड़े बड़ों के
चिंतन -मनन
स्मरण और संस्मरण
के दिन
मेरा कुछ कहना
कुछ लिखना
व्यर्थ है
क्योंकि
सांत्वना
और हरा करती है
दिल पर लगी चोट को।
©यशवन्त माथुर©
उन अनजानों को
जिनकी आँखों में
कभी बसा करते थे
कुछ ख्वाब
सुनहरे कल के
श्रद्धांजलि
उन जाने पहचानो को
जो दर्ज़ हैं
सरकारी सफ़ेद पन्नों पर
शहीदी की अमिट स्याही से
आज
न वो अनजाने हैं
न जाने पहचाने हैं
न वो रौब है
न ख्वाब है
ज़मीं पर रह गए
अपनों के जेहन में
पल पल की घुटन है
यादें हैं
दर्द है
रह रह कर बहता
आंसुओं का सैलाब है
स्मृति चिह्नों पर
स्मारकों पर
बड़े बड़ों के
चिंतन -मनन
स्मरण और संस्मरण
के दिन
मेरा कुछ कहना
कुछ लिखना
व्यर्थ है
क्योंकि
सांत्वना
और हरा करती है
दिल पर लगी चोट को।
©यशवन्त माथुर©
अनुपम श्रद्धांजलि
ReplyDelete...
बिल्कुल सच कहा आपने
ReplyDeleteश्रद्धांजलि
ReplyDeleteसंवेदनशील रचना...
ReplyDeleteशहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि ....
धन्यवाद!
ReplyDeleteनमन उन शहीदों को जिनहोने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये ... सुंदर भाव
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आंटी!
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 27/11/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका चर्चा मंच पर स्वागत है!
ReplyDeleteआपका आभारी हूँ आंटी !
ReplyDeleteबहुत ही भावभीनी श्रधांजलि दी है यशवंत...वाकई ....
ReplyDeleteधन्यवाद आंटी
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अंकल !
ReplyDeleteखाने को दाने नहीं, अम्मा रही भुनाय ।
ReplyDeleteदानवता माने नहीं, दुनिया को सुलगाय ।
दुनिया को सुलगाय, करे विध्वंसक धंधे ।
करते इस्तेमाल, दुष्ट धर्मान्धी कंधे ।
भेजें चटा अफीम, साधु की शान्ति मिटाने ।
भारत है तैयार, नहीं घुस मुंह की खाने ।
सादर हे हुत-आत्मा, श्रद्धांजलि के फूल ।
भारत अर्पित कर रहा, करिए इन्हें क़ुबूल ।
करिए इन्हें क़ुबूल, भूल तुमको नहिं पायें ।
किया निछावर जान, ढाल खुद ही बन जाएँ ।
मरते मरते मार, दिए आतंकी चुनकर ।
ऐसे पुलिस जवान, नमन करते हम सादर ।।
आपका जवाब नहीं अंकल !
ReplyDelete