श्रद्धांजलि
उन अनजानों को
जिनकी आँखों में
कभी बसा करते थे
कुछ ख्वाब
सुनहरे कल के
श्रद्धांजलि
उन जाने पहचानो को
जो दर्ज़ हैं
सरकारी सफ़ेद पन्नों पर
शहीदी की अमिट स्याही से
आज
न वो अनजाने हैं
न जाने पहचाने हैं
न वो रौब है
न ख्वाब है
ज़मीं पर रह गए
अपनों के जेहन में
पल पल की घुटन है
यादें हैं
दर्द है
रह रह कर बहता
आंसुओं का सैलाब है
स्मृति चिह्नों पर
स्मारकों पर
बड़े बड़ों के
चिंतन -मनन
स्मरण और संस्मरण
के दिन
मेरा कुछ कहना
कुछ लिखना
व्यर्थ है
क्योंकि
सांत्वना
और हरा करती है
दिल पर लगी चोट को।
©यशवन्त माथुर©
उन अनजानों को
जिनकी आँखों में
कभी बसा करते थे
कुछ ख्वाब
सुनहरे कल के
श्रद्धांजलि
उन जाने पहचानो को
जो दर्ज़ हैं
सरकारी सफ़ेद पन्नों पर
शहीदी की अमिट स्याही से
आज
न वो अनजाने हैं
न जाने पहचाने हैं
न वो रौब है
न ख्वाब है
ज़मीं पर रह गए
अपनों के जेहन में
पल पल की घुटन है
यादें हैं
दर्द है
रह रह कर बहता
आंसुओं का सैलाब है
स्मृति चिह्नों पर
स्मारकों पर
बड़े बड़ों के
चिंतन -मनन
स्मरण और संस्मरण
के दिन
मेरा कुछ कहना
कुछ लिखना
व्यर्थ है
क्योंकि
सांत्वना
और हरा करती है
दिल पर लगी चोट को।
©यशवन्त माथुर©