इन ठंडी रातों में
मन के वीरान
मैदान पर
जहां तहां उग आयी
ख्यालों की दूब पर
चमकती बूंदों को देख कर
ऐसा लगता है जैसे
अंधेरा भी रोता है
ओस के आँसू !
©यशवन्त माथुर©
मन के वीरान
मैदान पर
जहां तहां उग आयी
ख्यालों की दूब पर
चमकती बूंदों को देख कर
ऐसा लगता है जैसे
अंधेरा भी रोता है
ओस के आँसू !
©यशवन्त माथुर©
बहुत बढ़िया क्षणिका,,,,
ReplyDeleteRECENT POST : समय की पुकार है,
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
touchy
ReplyDeleteवीराने मन में जहाँ तहां ख्याल आ ही जाते है..
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
:-)
:)
<3
8)
आह, इतने कम शब्दों में इतनी गहरी बात कह दी आपने ..
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteअंधेरा मुस्काता है...तो चाँद निखरता है...
ReplyDeleteऔर जब रोता है... तो ओस टपकती है...
सुंदर रचना !
~God Bless !
बहुत बढ़िया क्षणिका
ReplyDeleteसुंदर भावभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिका
ReplyDeletebhaut hi badiya....
ReplyDeleteई मेल से प्राप्त टिप्पणी-
ReplyDelete================
Prabodh Govil
Bahut khoob kah raha hai mann aapka.
इन ठंडी रातों में
ReplyDeleteमन के वीरान
मैदान पर
जहां तहां उग आयी
ख्यालों की दूब पर
चमकती बूंदों को देख कर
ऐसा लगता है जैसे
अंधेरा भी रोता है
ओस के आँसू !
sajjan jee
awesome.
इन ठंडी रातों में
ReplyDeleteमन के वीरान
मैदान पर
जहां तहां उग आयी
ख्यालों की दूब पर
चमकती बूंदों को देख कर
ऐसा लगता है जैसे
अंधेरा भी रोता है
ओस के आँसू !
sundar rachana
sajjan jee
चंद शब्दों में सूक्ष्म अनुभवों की बड़ी बात कह दी आपने. सुन्दर रचना की बधाई.
ReplyDeleteई मेल पर प्राप्त ---
ReplyDeleteशालिनी रस्तोगी
क्या बात है यश्वत जी, अद्भुत कल्पना ....
ई मेल पर प्राप्त
ReplyDeleterajeev ---
बहुत ही सरस रचना, बेहद उम्दा
बहुत ही सरस रचना, बेहद उम्दा
ReplyDeleteक्या बात है यश्वत जी, अद्भुत कल्पना ....
ReplyDeleteक्या बात है यश्वत जी, अद्भुत कल्पना ....
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