बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है
6 बजे से शाम को अंधेरा छाने लगा है
खिली होती थी इस समय कभी धूप जून के महीने में
घूमते घूमते धरती को चक्कर आने लगा है
7 बजे खोलता है सुबह सूरज भी अपनी आँखें
बादलों की रज़ाई में आसमां छुप जाने लगा है
बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है
एक चादर मे सिमट कर फुटपाथ कंपकपाने लगा है
मावस की कालिख हो या चाँदनी की चमक में
ओस की बूंदों को गिरने में मज़ा आने लागा है
बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है।
©यशवन्त माथुर©
6 बजे से शाम को अंधेरा छाने लगा है
खिली होती थी इस समय कभी धूप जून के महीने में
घूमते घूमते धरती को चक्कर आने लगा है
7 बजे खोलता है सुबह सूरज भी अपनी आँखें
बादलों की रज़ाई में आसमां छुप जाने लगा है
बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है
एक चादर मे सिमट कर फुटपाथ कंपकपाने लगा है
मावस की कालिख हो या चाँदनी की चमक में
ओस की बूंदों को गिरने में मज़ा आने लागा है
बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है।
©यशवन्त माथुर©
सही आकलन |
ReplyDeleteबधाई भाई ||
Vakai....:))))))
ReplyDeleteत्योहारों का ये मौसम और सर्दियाँ....
ReplyDeleteपूरे बरस इंतज़ार रहता है इनका...(बस फुटपाथ का कंपकपाना दर्द दे गया...)
सस्नेह
अनु
बिल्कुल सच...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteSahi h...yashwant ji...
ReplyDeletebat to sahi hai,mausham ki mul paribhasha hi alpkalik badlav se judi hai,to badlna swabhavik hai
ReplyDeleteओस की बूंदों को गिरने में मज़ा आने लागा है
ReplyDeleteबदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है।
इसी धुप छांव में बितती है जिंदगी.
ओस की बूंदों को गिरने में मज़ा आने लागा है
ReplyDeleteबदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है।..gazab ki prastuti....
सच सुंदर प्रभाव छोडती रचना......बधाई !!
ReplyDeleteबदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है .....सटीक , सुन्दर रचना ....
ReplyDeleteबदलता मौसम सुन्दर वर्णन |दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं |
ReplyDeleteआशा