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07 November 2012

बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है......

बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है
6 बजे से शाम को अंधेरा छाने लगा है
खिली होती थी इस समय कभी धूप जून के महीने में
घूमते घूमते धरती को चक्कर आने लगा है
7 बजे खोलता है सुबह सूरज भी अपनी आँखें
बादलों की रज़ाई में आसमां छुप जाने लगा है
बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है
एक चादर मे सिमट कर फुटपाथ कंपकपाने लगा है
मावस की कालिख हो या चाँदनी की चमक में
ओस की बूंदों को गिरने में मज़ा आने लागा है 
बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है।

©यशवन्त माथुर©

11 comments:

  1. सही आकलन |
    बधाई भाई ||

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  2. त्योहारों का ये मौसम और सर्दियाँ....
    पूरे बरस इंतज़ार रहता है इनका...(बस फुटपाथ का कंपकपाना दर्द दे गया...)


    सस्नेह
    अनु

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  3. बिल्कुल सच...बहुत सुन्दर

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  4. bat to sahi hai,mausham ki mul paribhasha hi alpkalik badlav se judi hai,to badlna swabhavik hai

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  5. ओस की बूंदों को गिरने में मज़ा आने लागा है
    बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है।

    इसी धुप छांव में बितती है जिंदगी.

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  6. ओस की बूंदों को गिरने में मज़ा आने लागा है
    बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है।..gazab ki prastuti....

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  7. सच सुंदर प्रभाव छोडती रचना......बधाई !!

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  8. बदलते मौसम का असर नज़र आने लगा है .....सटीक , सुन्दर रचना ....

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  9. बदलता मौसम सुन्दर वर्णन |दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं |
    आशा

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