जाड़े की नर्म धूप ......
बादलों संग खेलते कूदते
मंद सूरज की
मस्ती में
जाड़े की नर्म धूप
पूनम के चाँद की
बिखरती चाँदनी
की तरह
बंद आँखों के पार
मन के शून्य में
अपने
क्षणिक एहसास के साथ
कहती है
इस पल को
जी भर जीने को
क्योंकि
दुनिया के
दूसरे कोने में
अंतिम सांसें गिनता
अंधेरा
कर रहा है
उसका इंतज़ार!
©यशवन्त माथुर©
बहुत बढ़िया भाव और विचार अभिव्यक्त हुए हैं .
ReplyDeleteबहुत सराहनीय प्रस्तुति. आभार. बधाई आपको
ReplyDeleteजब तक जिन्दगी है जी भर जियो...
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना...
:-)
बहुत प्यारे एहसास .... वर्तमान को जीने का संदेश देती हुई सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजाड़े में नर्म धूप का अहसास बहुत ही सुन्दर लगा... सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसराहनीय प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर अहसास
ReplyDeleteउम्मीदों पे उतरे खरे सारे तंत्र, समाज में आये ऐसा बदलाव.
ReplyDeleteनए साल के पहले दिन से हमारा हो इस तरफ सार्थक प्रयत्न.
शुभकामनाओं के साथ...