12 December 2012

जाड़े की नर्म धूप ......

बादलों संग खेलते कूदते
मंद सूरज  की
मस्ती में
जाड़े की नर्म धूप
पूनम के चाँद की
बिखरती चाँदनी
की तरह
बंद आँखों के पार
मन के शून्य में
अपने
क्षणिक एहसास के साथ
कहती है
इस पल को 
जी भर जीने को
क्योंकि
दुनिया के 
दूसरे कोने में
अंतिम सांसें गिनता
अंधेरा
कर रहा है
उसका इंतज़ार!

©यशवन्त माथुर©

7 comments:

  1. बहुत बढ़िया भाव और विचार अभिव्यक्त हुए हैं .

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  2. बहुत सराहनीय प्रस्तुति. आभार. बधाई आपको

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  3. जब तक जिन्दगी है जी भर जियो...
    अति सुन्दर रचना...
    :-)

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  4. बहुत प्यारे एहसास .... वर्तमान को जीने का संदेश देती हुई सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. जाड़े में नर्म धूप का अहसास बहुत ही सुन्दर लगा... सुन्दर रचना...

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  6. सराहनीय प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर अहसास

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  7. उम्मीदों पे उतरे खरे सारे तंत्र, समाज में आये ऐसा बदलाव.
    नए साल के पहले दिन से हमारा हो इस तरफ सार्थक प्रयत्न.

    शुभकामनाओं के साथ...

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