कुछ बातें
होती हैं
हाथी के दांतों की तरह
जो सोची जाती हैं
कहीं नहीं जातीं
जो कही जातीं हैं
सोची नहीं जातीं
फिर भी
कभी मजलिसों में
महफिलों में
या तीखी बहसों में
कह दी जाती हैं
हाथी दांत के जैसा
खुद का
अक्स दिखाने को।
©यशवन्त माथुर©
होती हैं
हाथी के दांतों की तरह
जो सोची जाती हैं
कहीं नहीं जातीं
जो कही जातीं हैं
सोची नहीं जातीं
फिर भी
कभी मजलिसों में
महफिलों में
या तीखी बहसों में
कह दी जाती हैं
हाथी दांत के जैसा
खुद का
अक्स दिखाने को।
©यशवन्त माथुर©
बिल्कुल सही कहा .... यदि मन की हर बात कह दी जाए तो हंगामा न हो जाए ... बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteकहना भी बेकार है...
ReplyDeleteक्योंकि वो दिखेगे ही नहीं उन दांतों का खासा ख्याल जो रखा जाता है..बेहतरीन रचना....:-)
ReplyDeleteकड़वी पर सच्चाई ! ऐसो पर विश्वास नहीं होता !!
सही बात है !!!
ReplyDeleteबातों का क्या...
ReplyDeleteसच कहा आपने!
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसच न कहने की हिम्मत है न सुनने की....करें भी तो क्या करें...
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
बिलकुल सही कहा आपने यशवंत भाई.
ReplyDelete:)
ReplyDeleteaisi bhi baatein hoti hain .. kuchh din ne kahaa ..kuchh bhi nahin ..
ReplyDeleteबेहतर लेखन !!
ReplyDeletesach hi kaha, haathi ke dant
ReplyDeleteकड़वी सच्चाई लेकिन खरी १०० प्रतिशत
ReplyDeleteआपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 19/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteसच्चाई हमेशा कड़वी ही क्यो होती है..सही और सटीक रचना..शुभकामनाएं यशवंत..
ReplyDeleteyeh aadambar se bhari duniya hain,
ReplyDeletehar koi liye firte do-do chehra hain,
dusre par apni bhadhaas nikaalte hain,
aur apne upar jara si koi ungli uthaye
to tilmilaate hain...
acchi likha aapne.
सच कहा है ... किन्तु इस सच को कहने सुनने की हिम्मत भी जरूरी है ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
सटीक और सार्थक रचना
ReplyDeletesahi baat kahi hai rachna ke maadhyam se
ReplyDeleteshubhkamnayen