जब कभी देखता हूँ
शब्दों के आईने में
अपना अक्स ...
तो बच नहीं पाता हूँ
खुद के बिखरे होने के
एहसास से।
©यशवन्त माथुर©
शब्दों के आईने में
अपना अक्स ...
तो बच नहीं पाता हूँ
खुद के बिखरे होने के
एहसास से।
©यशवन्त माथुर©
(चित्र आदरणीय अफलातून जी की फेसबुक वॉल से ) |