खानाबदोश कौन ?
वो जो
आवारा जानवरों की तरह
सड़क किनारे भटकते हैं
दो जून की रोटी को !
या
खानाबदोश मैं ?
जो हर पल भटक रहा हूँ
दर बदर
अस्तित्व की तलाश में!
©यशवन्त माथुर©
वो जो
आवारा जानवरों की तरह
सड़क किनारे भटकते हैं
दो जून की रोटी को !
या
खानाबदोश मैं ?
जो हर पल भटक रहा हूँ
दर बदर
अस्तित्व की तलाश में!
©यशवन्त माथुर©
Gehra sawaal...
ReplyDeleteखानाबदोश मैं ?
ReplyDeleteजो हर पल भटक रहा हूँ
दर बदर
अस्तित्व की तलाश में!,,,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,
recent post: वह सुनयना थी,
शुभप्रभात बेटे :))
ReplyDeleteजबाब मिले तो Plz.Share ....... !!
शुभकामनायें !!
सच है ! कई सवालों से घिरे हुए हैं... मगर जवाब नहीं मिल पा रहा.. :(
ReplyDelete~God Bless!!!
sawaal to अस्तित्व ka hi hai ..,,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,
ReplyDeleteउस हिसाब से तो हम सभी खाना बदोश हुए न ....मुश्किल सवाल ...!
ReplyDeleteउस हिसाब से तो हम सभी खाना बदोश हुए न ....मुश्किल सवाल ...!
ReplyDeleteवाजिब प्रश्न ... कवि मन भटकता है अपनी तलाश में ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
गजब अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteसप्रेम ||
बहुत सुंदर, बेहतरीन।
ReplyDeleteशायद दोनों ही..एक को आशियाँ नहीं मिलता ... तो दूसरे को अस्तित्व!
ReplyDeleteवैसे तो हम सब ही खानाबदोश हैं..सभी के अंदर एक भटकन है..
ReplyDeleteसोचने वाली बात कही....
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