मोटरों से चीखते
चौराहों के शोर में
दिन के उजाले में
रातों में
और क्षणिक भोर में ....
तनहाई में
नींद में
या बंद आँखों की ओट में ....
आगे बढ्ने की दौड़ में
आज के इस दौर में
सब कुछ है हर जगह
पर
शांति कहाँ है ?
©यशवन्त माथुर©
चौराहों के शोर में
दिन के उजाले में
रातों में
और क्षणिक भोर में ....
तनहाई में
नींद में
या बंद आँखों की ओट में ....
आगे बढ्ने की दौड़ में
आज के इस दौर में
सब कुछ है हर जगह
पर
शांति कहाँ है ?
©यशवन्त माथुर©
शुभप्रभात :))
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुती !!
शुभकामनायें !!
शान्ति मन में है ....:)
ReplyDeleteशांति तो मन की गहराई में है जहाँ कोई विचार नहीं है भाव लोक के भी पार..
ReplyDeleteसब कुछ है हर जगह
ReplyDeleteपर
शांति कहाँ है ?????
सहज और गहन सवाल !!!
सच कहा बंधुवर शांति नहीं है आज किसी के भी जीवन में .....उसी की कमी है हर तरफ | जब इंसान के मन में ही शांति नहीं होगी तो जीवन में शांति कहाँ से आएगी | सर्वप्रथम मन की शांति अत्यंत आवश्यक है उसके बाद ही और कुछ है | अच्छी रचना | आभार |
ReplyDeletetamasha-e-zindagi
Tamashaezindagi FB Page
गहन बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,
ReplyDeleterecent post: गुलामी का असर,,,