प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

11 January 2013

सब थम जाता है जब.....

सड़कों पर गूँजते नारे
हक की बुलंद आवाज़ें
गुस्सा,आक्रोश,जुनून,
सब थम जाता है
चीखता गला
थक जाता है
किये धरे पर पानी
फिर जाता है....
शरीर पर चटकती
पुलिस की लाठीयों से नहीं ...
सड़क पर बहते
खून की धार से नहीं....
बल्कि मशीन पर लगे
उस नीले बटन से
जब चुनाव आता है
वोट उसी को जाता है
जो हम को सताता है
क्योंकि
जात,धर्म का दृष्टि दोष
हमें देखने नहीं देता
काले चश्मे के
उस पार!

©यशवन्त माथुर©

7 comments:

  1. उम्मीद है कि इस बार सोच के दबाएंगे बटल को लोग

    ReplyDelete
  2. सुन्दर प्रस्तुति ||
    शुभकामनायें ||

    ReplyDelete
  3. जागना होगा जनता को अपने कर्तव्यों के प्रति, नहीं तो यही सब होता रहेगा, आखिर शिकायत किससे करेंगे हम चुना तो हमने ही है इन्हें... सशक्त अभिव्यक्ति ...शुभकामनायें

    ReplyDelete
  4. यह जात धर्म का दृष्टिदोष है या कुर्सी की माया...की हर इंसान उसें पाकर ऐसा हो जाता है .....सटीक प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. जात,धर्म का दृष्टि दोष
    हमें देखने नहीं देता
    काले चश्मे के
    उस पार!

    BUT WHY?

    ReplyDelete
+Get Now!