14 January 2013

आज़ाद विषय........

आज
खुल ही गयी गांठ
एक बहुत भारी गठरी की
जिसमें सदियों से बंद
तमाम विषय
अब इधर उधर बिखर कर
मन के कमरे में उछल कूद कर
मना रहे हैं जश्न
बंधन से आज़ाद होने का।

अब तलाश है तो बस
किसी अच्छे डिटर्जेंट की
जो कर सके साफ
जंग लगी सोच के धरातल को
जिससे ये हरे  भरे विषय
ले सकें खुल कर सांस
शब्दों में ढल कर
किसी किताब के पन्नों पर!

©यशवन्त माथुर©

14 comments:

  1. Surf Excel hain na ;)

    ReplyDelete
  2. जंग हटाने के लिए ,खुद से करलो जंग
    करत करत अभ्यास के, निखर उठेगा रंग ||

    ReplyDelete
  3. FB pe padh li thi.. Achhi abhivyakti hai Yashwant bhai..
    Sankranti ki shubhkaamnayen!

    ReplyDelete
  4. गांठें खुल जाएँ यही बहुत है .... सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. डॉ सोप लो पहले यूज़ तब विशवास करो ........
    ये तो मज़ाक था ........
    आप बेहतरीन लिखते हैं .......

    ReplyDelete
  6. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया रचना....

    सस्नेह
    अनु

    ReplyDelete
  8. भावपूर्ण रचना...
    मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  9. बहुत . सुंदर प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  10. बहुत खूब.. जंग लगी सोच के धरातल को वाकई अब साफ करना होगा...

    ReplyDelete
  11. Sundar abhivyakti ....
    जंग लगी सोच के धरातल को
    जिससे ये हरे भरे विषय
    ले सकें खुल कर सांस

    ReplyDelete