13 January 2013

अगर जीवन सपना होता......

सपनों की रंगीन
चित्ताकर्षक
मनमोहक
और अपनी मनचाही
दुनिया में घूमते हुए
मैं अक्सर सोचता हूँ
यह जीवन भी
होता अगर
ऐसे ही किसी
सुखांत सपने की तरह
तब शायद
एक बार खिल उठने के बाद
कोई फूल
न कभी मुरझाता 
और न ही कर पाता
नव जीवन का एहसास !

    
©यशवन्त माथुर©

16 comments:

  1. काश !ऐसा हो पाता !!
    आपको लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएँ .... :))

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  2. लेकिन सपने तो सपने ही होते हैं

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  3. बहुत खूब ... नवजीवन का एहसास खिलने के बाद ही होता है ... इसलिए चक्र जरूरी है ...

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  4. बढ़िया प्रस्तुति |
    प्रभावी कथ्य |
    आभार ||

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  5. है तो स्वप्नवत ही बस आँख ही नही खुली है अभी तक

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  6. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के चर्चा मंच पर ।। मंगल मंगल मकरसंक्रांति ।।

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  7. bahut hi badhia likha hain bhai
    check my blog
    http://drivingwithpen.blogspot.in/

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  8. खूबसूरत यशवंत

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  9. जीवन एक सपना ही तो है, काश सभी के लिए सुखांत होता...लोहिड़ी व मकर संक्रांति पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ

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  10. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 16/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    मकर संक्रान्ति के अवसर पर
    उत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई!

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  12. मानव-जीवन कर्म के लिये है, जिसकी देवता (जिनका जीवन केवल भोग के लिये है)भी कामना करते हैं.

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  13. सुन्दर भाव !!!

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  14. मेरी टिप्पणी स्पैम में देखिये ।

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    1. आंटी
      आपकी टिपणी स्पैम मे भी देखि और मेल मे भी...पर मुझे इस पोस्ट पर पहले आप्क कोई टिप्पणी नहीं मिली :(

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