(1)
बापू !
राजघाट पर
आज लगे जमघट में
मुझे तलाश है
उन तीन बंदरों की
जो हुआ करते थे
कभी तुम्हारे हमराही
पर आज जो
छुपे बैठे हैं
फर्जी प्रवचनों और
मुखौटों के ढेर में कहीं।
(2)
बापू!
तुम आज
दीवार पर टंगी
वह तस्वीर हो
जो मुस्कुराते हुए
रो रही है
देख कर
आजादी का
एक नया रूप
हाँ
आजादी का नया रूप
जिसमें
नाबालिग को
अधिकार नहीं रोजगार का
पर
उसके कुकर्मों को
मिल जाता है
'उचित' न्याय।
(3)
बापू!
मैं नहीं कर रहा कामना
तुम्हारी आत्मा की शांति की
क्योंकि मुझे पता है
तुम कुलबुला रहे हो
फिर से
इस धरती पर
आने को।
©यशवन्त माथुर©
बापू !
राजघाट पर
आज लगे जमघट में
मुझे तलाश है
उन तीन बंदरों की
जो हुआ करते थे
कभी तुम्हारे हमराही
पर आज जो
छुपे बैठे हैं
फर्जी प्रवचनों और
मुखौटों के ढेर में कहीं।
(2)
बापू!
तुम आज
दीवार पर टंगी
वह तस्वीर हो
जो मुस्कुराते हुए
रो रही है
देख कर
आजादी का
एक नया रूप
हाँ
आजादी का नया रूप
जिसमें
नाबालिग को
अधिकार नहीं रोजगार का
पर
उसके कुकर्मों को
मिल जाता है
'उचित' न्याय।
(3)
बापू!
मैं नहीं कर रहा कामना
तुम्हारी आत्मा की शांति की
क्योंकि मुझे पता है
तुम कुलबुला रहे हो
फिर से
इस धरती पर
आने को।
©यशवन्त माथुर©
बहुत बेहतरीन, तीनो ही!
ReplyDeleteसम्वेदनशील प्रस्तुति यशवंत जी ! सचमुच बापू की आत्मा कराह रही होगी अपने भारत की यह दुर्दशा देख कर ! उन्हें कोटिश: नमन एवं भावभीनी श्रद्धान्जलि उनकी पुण्यतिथि पर !
ReplyDeleteइस महान आत्मा की पूरी मेहनत उसी दिन व्यर्थ हो गयी थी जिस दिन भारत माता खंडित हो गयी थी कुछ स्वार्थियों के कारण. सुन्दर अभिव्यक्ति यशवंत भाई.
ReplyDeleteआज के हालात देखकर तो गांधीजी भी कुलबुला रहे होंगे..
ReplyDeleteकी जिस भारत देश के लिए उन्होंने और उनके जैसे
कई देशप्रेमियों ने कुर्बानी दी है,आज उस देश की हालत अपने ही देशवासियों ने ख़राब कर दी है...
सुन्दर अभिव्यक्ति , बापू को भावभीनी श्रद्धान्जलि
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति !!!
ReplyDeletesatik likha hai apne...abhi kay halat ko bapu say khoob joda hai....wah !
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति .कोटिश: नमन
ReplyDeleteतीनों रचनाएँ बहुत सुंदर .... सार्थक और सटीक ....
ReplyDeleteआजादी का नया रूप
जिसमें
नाबालिग को
अधिकार नहीं रोजगार का
पर
उसके कुकर्मों को
मिल जाता है
'उचित' न्याय।
सौ फीसदी सही बात कही ...
Yashwant Mathur ji ....Badhai..Sundar aur sarthak abhivyakti ke liye ....
ReplyDeleteबापू की आत्मा की यह दुर्दशा , सुन्दर अभिव्यक्ति,
ReplyDeleteतीनों ही अति सुन्दर यशवंत ....गाँधी जी को उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धान्जलि !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया यशवंत....
ReplyDeleteमहात्मा को हमारा सादर नमन...
सस्नेह
अनु
सम्वेदनशील प्रस्तुति यशवंत जी ! सचमुच बापू की आत्मा कराह रही होगी अपने भारत की यह दुर्दशा देख कर ! उन्हें कोटिश: नमन एवं भावभीनी श्रद्धान्जलि उनकी पुण्यतिथि पर !
ReplyDeleteI AM TOTALY AGREE WITH SADHANA WAID JI
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 31-01-2013 को यहाँ भी है
ReplyDelete....
आज की हलचल में.....मासूमियत के माप दंड / दामिनी नहीं मिलेगा तुम्हें न्याय ...
.. ....संगीता स्वरूप
. .
sundar aur sateek
ReplyDeleteबापू!
ReplyDeleteमैं नहीं कर रहा कामना
तुम्हारी आत्मा की शांति की
क्योंकि मुझे पता है
तुम कुलबुला रहे हो
फिर से
इस धरती पर
आने को....संवेदनशील रचना...बापू ने क्या सोचा था और क्या हो गया...
andar umadte vichaaron ka isi prakaar hota hai praakatya.....behtareen!!!
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