01 January 2013

कैसे करूँ स्वागत ?

भोर की पहली किरण
कहीं धुंध
और कहीं खिली धूप
कहीं चिड़ियों का चहचहाना
अपनी ही मस्ती मे
चलते जाना
गाते जाना
स्वागत गीत
कितने सारे
बिंबों के साथ
कितने सारे
चित्रों के साथ
कुछ वास्तविक
कुछ काल्पनिक
कुछ कविता
कुछ कहानी
और कुछ
उड़ते
बिखरते शब्दों का साथ
कर रहा है स्वागत
नव वर्ष का  !

पर
सुखांत के इन बिंबों मे
इन चित्रों मे
कविता मे
कहानी मे 
डाल पर बैठी
उस चिड़िया के गीतों मे
एक रूप
एक स्वर
एक मुस्कुराहट
एक खुशी
अगर 'उसकी'
भी होती ......
एक गीत
अगर
उसके भी मन का होता....
उसके अपनों का  होता....
तो कैसा होता ?
कितना अच्छा होता
नव वर्ष-
तुम्हारा स्वागत
आज के दिन !

अफसोस !
तुम आए हो
उस वक़्त 
जब
लाखों प्रार्थनाओं
की हार पर 
लाखों दुआओं
की हार पर
बे सिर पैर की
रार के बीच
छाया हुआ है
कुछ छद्म
और 
कुछ वास्तविक 
मौन
एक कोने से
दूसरे कोने तक
पत्थरों के भी
रूदन के बीच
नव वर्ष !
अब तुम्ही बता दो
कैसे करूँ
स्वागत ?

©यशवन्त माथुर©

25 comments:

  1. बहुत उम्दा.बेहतरीन श्रृजन,,,,
    नए साल 2013 की हार्दिक शुभकामनाएँ|
    यशवंत जी आपने तो पोस्ट पर आना ही छोड़ दिया,,
    ==========================
    recent post - किस्मत हिन्दुस्तान की,

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  2. बिल्कुल यशवंत यही स्थिति है पूरे देश की शायद

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  3. कैसे स्वागत करूँ ? परन्तु नववर्ष में प्रवेश तो करना ही है ...
    एक खुशी
    अगर 'उसकी'
    भी होती ......
    एक गीत
    अगर
    उसके भी मन का होता....
    उसके अपनों का होता....
    तो कैसा होता ?
    ये ख़ुशी उनकी बनी रहे जो हैं इस दुनिया में.
    नववर्ष मंगलमय हो .. सबके लिए .

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  4. एक खुशी
    अगर 'उसकी'
    भी होती ......
    एक गीत
    अगर
    उसके भी मन का होता....
    उसके अपनों का होता....
    तो कैसा होता ?

    नववर्ष में प्रवेश तो कर ही ह्चुके हैं.. नए प्राण के साथ करें स्वागत की अब कोई न रहे मोहताज इस [एक खुशी
    अगर 'उसकी'
    भी होती ......
    एक गीत
    अगर
    उसके भी मन का होता....
    उसके अपनों का होता....
    तो कैसा होता ?] प्रकार

    नववर्ष की मंगलकामनाएँ यशवंत जी .

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  5. मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
    आस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।

    बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
    शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।

    रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
    सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।

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  6. उम्दा कविता |नववर्ष शुभ और मंगलमय हो |
    आशा

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  7. दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए,
    मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
    ज्यों कहीं फिसल गए।
    कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
    कुछ आकुल,विकल गए।
    दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए।।
    शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
    इस उम्मीद और आशा के साथ कि

    ऐसा होवे नए साल में,
    मिले न काला कहीं दाल में,
    जंगलराज ख़त्म हो जाए,
    गद्हे न घूमें शेर खाल में।

    दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
    प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
    बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
    ऐसा होवे नए साल में।

    Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

    May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!

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  8. बस उसी दिन नव वर्ष की खुशियाँ सुकून पायेंगी
    जब इंसाफ़ की फ़सल लहलहायेगी
    और हर बेटी के मुख से डर की स्याही मिट जायेगी

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  9. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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  10. कुछ वास्तविक
    मौन
    एक कोने से
    दूसरे कोने तक
    पत्थरों के भी
    रूदन के बीच
    नव वर्ष !
    अब तुम्ही बता दो
    कैसे करूँ
    स्वागत ?
    ..सच कहा आपने .. .. बुझे मन ही सही आने वाले कल की और देखना हो पड़ता है ...नववर्ष सबके लिए शुभ हो यही शुभकामनायें है..

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  11. नववर्ष की मंगलकामनाएँ यशवंत जी !

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  12. एक कोने से
    दूसरे कोने तक
    पत्थरों के भी
    रूदन के बीच
    नव वर्ष !
    अब तुम्ही बता दो
    कैसे करूँ
    स्वागत ?
    God Bless U ...... !!

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  13. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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  14. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 05/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  15. Dear Yash,
    I know its a bit difficult to be hopeful in such gloomy circumstances....
    But still, WE SHALL OVERCOME!
    Regards,
    Ashish

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  16. बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति..इसी आशा के साथ कि नव वर्ष और मंगलमय हो..

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  17. कुछ छद्म
    और
    कुछ वास्तविक
    मौन
    एक कोने से
    दूसरे कोने तक
    पत्थरों के भी
    रूदन के बीच
    नव वर्ष !
    अब तुम्ही बता दो
    कैसे करूँ
    स्वागत ?

    बहुत ही मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी रचना ! अपने मन के भावों की प्रतिध्वनि आपकी रचना में भी सुन रही हूँ यशवंत जी ! बहुत सुन्दर रचना ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें !

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  18. बेहतरीन रचना यशवंत भाई. यास के माहौल में नया वर्ष आ तो गया किसी भी संवेदनशील मन को उसके आमद की भनक नहीं लगी. लगे भी तो कैसे.....रावण बहुत हो गए है..बहुत शोर मचा रखा है..आदमी किसी के आमद की पदचाप कोई कैसे सुने.

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  19. जो कुछ भी हुआ ...इसमें नव वर्ष का क्या दोष ...यह तो एक शिशु की तरह है ..जिसका जन्म अभी अभी हुआ है ...हमें उसे परवान चढ़ाना है ...उसे सही राह ...सही दृष्टिकोण से अवगत कराना है ......उसे सही और गलत का फर्क बताना है ...और यह तभी मुमकिन है जब हम उस फर्क को पहचाने ....और आज वह वक़्त आ गया है ...इसलिए आइये इस नव आगंतुक का सहर्ष स्वागत करें ......उसका साथ दें ...!

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  20. २०१३ तो आना है ... पर कुछ संकल्प लेने का समय भी आया है इसके साथ ...
    मंगलमय हो २०१३ ...

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  21. जी हाँ यशवंत जी...नववर्ष आया तो है ..पर वो उल्लास कहीं खो गया है

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  22. आदरणीय सरस दरबारी जी के टिपण्णी से पूर्णतः सहमत .नई उड़ान और नई सोच के साथ

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  23. इस बार कुछ भारी मन से यह नया साल आया...
    नव वर्ष की शुभ कामनाएं...

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  24. बेहतरीन रचना ****एक कोने से
    दूसरे कोने तक
    पत्थरों के भी
    रूदन के बीच
    नव वर्ष !
    अब तुम्ही बता दो
    कैसे करूँ
    स्वागत ?

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  25. यशवंत बहुत सुन्दर रचना है ....लेकिन मेरा मानना है की जो हुआ उसमें नव वर्ष का क्या दोष ...वह तो एक नवजात शिशु है ...जिसे हमें परवान चढ़ाना है ...सही गलत बताना है ...है ना

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